आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्मित क्षेत्र 2023 में 3,386.76 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2033 तक 3,868.28 वर्ग किलोमीटर हो जाने का अनुमान है। इससे संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा शहरीकृत हो जाएगा, जो 2023 के स्तर से 481.5 वर्ग किलोमीटर या लगभग 14 प्रतिशत अधिक है। यह बात एक नये अध्ययन में सामने आयी है.
निर्मित क्षेत्र वह भूमि है जिस पर मकान, सड़क, कारखाने और अन्य कंक्रीट संरचना निर्मित होती है.
‘फोरकास्टिंग अर्बन एक्सपैन्शन इन दिल्ली-एनसीआर: इंटीग्रेटिंग रिमोट सेंसिंग, मशीन लर्निंग एंड मार्कोव चेन सिमुलेशन' शीर्षक वाला यह शोध ‘जियोजर्नल’ में प्रकाशित हुआ है। यह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के प्रोफेसर और अन्य विद्वानों द्वारा किया गया था.
इसमें 2003 और 2023 के बीच भूमि उपयोग और भूमि आवरण में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण किया गया है और 2033 के लिए अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं.
अध्ययन के अनुसार, 2033 तक कृषि भूमि घटकर 9,153.1 वर्ग किलोमीटर रह जाने की उम्मीद है. यह 2023 की तुलना में 477.6 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्शाता है। वन क्षेत्र 282.9 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा कम होकर 281.3 वर्ग किलोमीटर हो सकता है.
जलाशयों का क्षेत्रफल 101.09 वर्ग किलोमीटर से घटकर 100.04 वर्ग किलोमीटर रह जाने की आशंका है. खुली भूमि 24.11 वर्ग किलोमीटर से घटकर 21.83 वर्ग किलोमीटर रह सकती है। झाड़ीदार भूमि केवल एक वर्ग किलोमीटर बढ़कर 329.5 वर्ग किमी हो सकती है.
अध्ययन में कहा गया है कि मध्य दिल्ली में क्षैतिज विस्तार के लिए बहुत कम जगह बची है। उत्तर, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पश्चिम के बाहरी इलाकों में सबसे ज़्यादा विकास हो रहा है.
इसमें कहा गया है कि इन क्षेत्रों में कृषि भूमि और झाड़ीदार भूमि की जगह आवासीय कॉलोनियां, औद्योगिक क्षेत्र और परिवहन नेटवर्क विकसित हो गए हैं.
अध्ययन में कहा गया है कि दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम और उत्तर में झाड़ीदार भूमि का शहरीकृत क्षेत्रों में एक प्रमुख बदलाव दर्ज किया गया। इसमें कहा गया है कि मध्य और पूर्वी दिल्ली में केवल मामूली बदलाव देखे गए.
वर्ष 2003 और 2023 के बीच, निर्मित क्षेत्र 1,893.64 वर्ग किलोमीटर या क्षेत्र के 13.77 प्रतिशत से बढ़कर 3,386.76 वर्ग किलोमीटर या 24.62 प्रतिशत हो गया.