आरबीआई की नई गाइडलाइंस से प्रोजेक्ट फाइनेंस को राहत, मूडीज ने बताया क्रेडिट पॉज़िटिव

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 30-06-2025
RBI's new guidelines provide relief to project finance, Moody's calls it credit positive
RBI's new guidelines provide relief to project finance, Moody's calls it credit positive

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा प्रोजेक्ट फाइनेंस लोन को लेकर जारी की गई अंतिम गाइडलाइंस को मूडीज रेटिंग्स ने 'क्रेडिट पॉज़िटिव' करार दिया है. मूडीज ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह कदम परियोजनाओं की व्यवहार्यता को सुनिश्चित करने के साथ-साथ जोखिम प्रबंधन में भी मददगार साबित होगा.
 
मूडीज ने कहा कि इन गाइडलाइंस का बैंकिंग सेक्टर की लाभप्रदता पर पहले दिन से कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह केवल उन्हीं प्रोजेक्ट्स पर लागू होंगी जिनकी वित्तीय क्लोज़र की प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2025 तक पूरी नहीं हुई है. गौरतलब है कि ये अतिरिक्त प्रावधान केवल प्रोजेक्ट-विशिष्ट लोन पर लागू होंगे, जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर और कमर्शियल रियल एस्टेट (CRE) सेक्टर में दी जाने वाली टर्म लोन, वर्किंग कैपिटल लोन जैसे अन्य ऋण इससे प्रभावित नहीं होंगे.
 
आरबीआई की अंतिम गाइडलाइंस 19 जून को जारी की गई थीं, जिसमें पुराने प्रोजेक्ट्स पर अतिरिक्त प्रावधानों की आवश्यकता नहीं रखने का प्रावधान किया गया, जो मई 2024 के ड्राफ्ट दिशा-निर्देशों से एक बड़ा बदलाव है. पहले इन प्रोजेक्ट्स पर 5 प्रतिशत तक प्रावधान की सिफारिश की गई थी, जिसे अब घटाकर 1.0-1.25 प्रतिशत कर दिया गया है.
 
मूडीज ने कहा कि यह बदलाव उन परियोजनाओं के लिए थोड़ी अस्थायी हानि ला सकता है जो 1 अक्टूबर तक वित्तीय क्लोज़र हासिल नहीं कर पाएंगी। खासकर वे बैंक और वित्तीय संस्थान जो इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में बड़ा निवेश करते हैं, जैसे कि पब्लिक सेक्टर बैंक और NBFC-IFCs, उन्हें कुछ असर महसूस हो सकता है. हालांकि, मूडीज ने इसे "वन-ऑफ" यानी एक बार का प्रभाव करार दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक इन अतिरिक्त प्रावधानों की लागत को नए प्रोजेक्ट्स के लिए उच्च ब्याज दरों के ज़रिये पास ऑन कर सकते हैं, जिससे उनकी मुनाफे पर सीधा असर सीमित रहेगा.
 
मूडीज का यह भी मानना है कि इन गाइडलाइंस से प्रोजेक्ट फाइनेंस में अनिश्चितता कम होगी और इससे भारत में जारी सरकारी निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा. इस नीति परिवर्तन को विशेषज्ञ देश के बुनियादी ढांचे के विकास और परियोजनाओं की वित्तीय संरचना को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम मान रहे हैं.