कश्मीरः अल्ताफ की मधुमक्खियां कैसे बनीं राजस्थानी किसानों की मददगार

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 11-01-2022
कश्मीरः अल्ताफ की मधुमक्खियां कैसे बनीं राजस्थानी किसानों की मददगार
कश्मीरः अल्ताफ की मधुमक्खियां कैसे बनीं राजस्थानी किसानों की मददगार

 

एहसान फाजली / श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के अल्ताफ अहमद भट्ट अपने क्षेत्र के सबसे बड़े शहद उत्पादक हैं. वर्तमान में जिले मे कुल 400 से अधिक मधुमक्खी पालक हैं. अल्ताफ अहमद भट्ट सालाना 150 से 200 क्विंटल शहद का उत्पादन करते हैं. अब घाटी में किसानों का रुझान बदल रहा है. घाटी में शहद और सब्जियों के उत्पादन में रुचि बढ़ी है. जबकि पहले ऐसा नहीं था. इस जिले में 2379 वर्ग किमी वन हैं, जिसमें से 1651 वर्ग किमी क्षेत्र का उपयोग किसान अपने लिए कर रहे हैं.

कुपवाड़ा में घाटी के अन्य जिलों की तुलना में 1900 से अधिक किसान शहद के कारोबार में लगे हुए हैं, जिनमें से 408 पंजीकृत हैं.

कुपवाड़ा जिले के सुदूर गांव गुलगाम के अल्ताफ अहमद भट्ट 2005 में 12वीं पास करने के बाद नौकरी की तलाश में थे, लेकिन उन्हें कोई उपयुक्त नौकरी नहीं मिली. इसलिए वह अपने पिता के पेशे से जुड़ गए.

उनके पिता मधुमक्खियां पालन करते थे. उस समय वे बहुत छोटे पैमाने पर मधुमक्खियां पालते थे, जिससे शहद का उत्पादन कम होता था. हालांकि उन्होंने लगन से काम लिया और आखिरकार आज उन्होंने इस क्षेत्र में एक लंबा सफर तय किया है.

अल्ताफ अहमद भट्ट ने आवाज-द वॉयस को बताया कि 1985 में कुपवाड़ा जिले में एपिकल्चर सेंटर की स्थापना की गई थी. उस समय मेरे पिता शहद उत्पादन के लिए पांच कॉलोनियों की एक इकाई पाने वाले पहले लोगों में से एक थे. उन्होंने कहा कि उनके पिता ने 1987 में पेशेवर रूप से मधुमक्खियों को पालना शुरू किया था. 2005 तक, वह अपना छोटा व्यवसाय चलाने में सक्षम थे. फिर इस पेशे में अल्ताफ शामिल हो गए.

उन्होंने कहा कि उनके पिता को वन विभाग और कृषि विभाग से बराबर का सहयोग मिलता रहा. अल्ताफ अहमद भट्ट और उनके पिता ने इसमें और प्रगति की. उन्होंने बालगाम में तीन कनाल भूमि का अधिग्रहण किया और वहां मधुमक्खी के छत्ते लगा दिए. अब कुल पांच सौ छत्ते हो गए हैं.

वे इनमें से लगभग 50 प्रतिशत कैन को कुपवाड़ा से जम्मू और गुजरात और राजस्थान जैसे अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं, ताकि गुणवत्तापूर्ण शहद का उत्पादन किया जा सके.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/164188311001_Kashmir_How_Altaf's_bees_became_helpful_to_Rajasthani_farmers_2.webp

अल्ताफ अहमद की एक सफल परियोजना


अल्ताफ अहमद ने कहा कि वे साल भर मधुमक्खियों के साथ घूमते हैं और करीब दो महीने तक वहीं रहते हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 200 छत्तों को पिछली बार सितंबर और अक्टूबर के बीच जम्मू की गर्म जलवायु में रखा गया था.

किसी विशेष स्थान पर ठहरने की अवधि मुख्य रूप से जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है, क्योंकि मधुमक्खियों को आमतौर पर शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है. नवंबर से मध्य दिसंबर तक इकाइयों को राजस्थान स्थानांतरित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि फिलहाल उनकी इकाइयां गुजरात में तैनात हैं.

अल्ताफ ने खुलासा किया कि मधुमक्खियां सरसों के फूल पसंद करती हैं और जहां ये फसल की पैदावार बढ़ाती हैं, वहीं इन फूलों के रस से शहद भी बाजार में उच्च मांग में है.

22 जनवरी से 25 फरवरी तक इन इकाइयों को गुजरात से राजस्थान स्थानांतरित किया जा रहा है, जबकि परिवहन लागत किसानों द्वारा वहन की जा रही है. उन्होंने कहा कि इन इकाइयों को 25 फरवरी से जम्मू में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, ताकि वे 26 अप्रैल तक रह सकें और वसंत ऋतु में वापस कश्मीर में स्थानांतरित हो सकें.

कश्मीर में, कैक्टस के पेड़ (रॉबिनिया स्यूडोसेशिया) के फूलों से रस या अमृत चूसने की प्रक्रिया मई की शुरुआत में शुरू होती है, जबकि यह प्रक्रिया पूरे साल अन्य मौसमी फसलों या जंगली फूलों के साथ जारी रहती है. अल्ताफ अहमद भट्ट के लिए शहद का उत्पादन वास्तव में एक साल भर की गतिविधि है, जिसमें उन्हें महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है.

कुपवाड़ा के मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) के मुताबिक घरेलू, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में शहद की बढ़ती मांग से जिले में कारोबार फलफूल रहा है. कृषि विभाग किसानों को प्रशिक्षण और विस्तार सेवाओं के साथ रियायती दर पर मधुमक्खी का छत्ता प्रदान कर रहा है.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/164188313301_Kashmir_How_Altaf's_bees_became_helpful_to_Rajasthani_farmers_3.webp

वर्तमान में जिले में 6000 कॉलोनियां हैं, जिनमें 400 बड़े और छोटे मधुमक्खी पालक इस व्यवसाय में लगे हैं, जिनका सालाना कारोबार 400 करोड़ रुपये से अधिक है. विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस विभाग में कई युवा आ रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर सरकार शहद उत्पादन बढ़ाने के लिए घाटी भर में यूनिट धारकों को प्रशिक्षण और सब्सिडी प्रदान कर रही है. अधिकारियों के अनुसार, पिछले वर्ष (2021) के दौरान पूरे कश्मीर में कम से कम 85,000 कॉलोनियां चल रही थीं, जो 2020 में 70,000 से अधिक थीं.

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड पहले से ही मधुमक्खी पालकों की संख्या का पूर्व-पंजीकरण करने की प्रक्रिया में है, जिन्होंने पिछले साल के अंत तक ऐसे 1,881 व्यवसाय दर्ज किए हैं.