भारत का मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र छलांग लगाने को तैयार: इंफ्रास्ट्रक्चर और नीतियों का मजबूत समर्थन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 28-06-2025
India's manufacturing sector set to take a leap: Strong support from infrastructure and policies
India's manufacturing sector set to take a leap: Strong support from infrastructure and policies

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

भारत का विनिर्माण क्षेत्र एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर के तेज़ विकास और सरकार की नीतियों के सहारे यह क्षेत्र आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है. यह बात कशमैन एंड वेकफील्ड की हालिया रिपोर्ट ‘Elevating India’s Manufacturing Resilience: Charting the Path to Self-Reliance’ में सामने आई है.
 
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के 94 वरिष्ठ अधिकारियों (जैसे CEO, प्लांट हेड्स और सप्लाई चेन मैनेजर्स) से लिए गए सर्वे में 88% उत्तरदाताओं ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना जताई है. इसका बड़ा कारण भारतमाला, सागरमाला, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर जैसी मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं हैं.
 
बेहतर लॉजिस्टिक्स और सुलभता से बढ़ा आत्मविश्वास
 
95% कंपनियों ने बताया कि लॉजिस्टिक्स तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, वहीं 94% बड़े उद्योगों ने माना कि इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड ने उनके विकास में अहम भूमिका निभाई है. कशमैन एंड वेकफील्ड के मुंबई और न्यू बिजनेस के एग्जीक्यूटिव मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम साराफ ने कहा, "भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर संरचनात्मक बदलाव के दौर में है. नीति स्पष्टता, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और उद्योग की मंशा के बीच गहरा तालमेल नजर आ रहा है.
 
नीति योजनाओं की भूमिका
 
सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (NLP) भी निवेश के फैसलों को प्रभावित कर रही हैं. सर्वे में 40% उत्तरदाताओं ने इन योजनाओं को महत्वपूर्ण बताया, जबकि 77% MSME कंपनियों ने बेहतर कनेक्टिविटी और कारोबारी सुगमता को सराहा.
 
डिजिटल एक्सपोर्ट प्लेटफॉर्म
 
सरकार ने 2025-26 के बजट में ₹2,500 करोड़ की राशि 12 ऐसे प्लग-एंड-प्ले पार्क्स के लिए आवंटित की है, जो पूरी तरह से तैयार और अनुमति प्राप्त ज़ोन होंगे. रिपोर्ट बताती है कि 81% कंपनियां अगले दो-तीन वर्षों में विस्तार की योजना बना रही हैं और उनमें से 70% कंपनियों की रुचि टियर-2 और टियर-3 शहरों में निवेश करने की है. गौतम साराफ ने कहा, "भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है.  सरकार की नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर और निजी क्षेत्र की मंशा का तालमेल भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है. इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि यदि नीति, निवेश और नवाचार का यह संतुलन बना रहा, तो अगले 10 वर्षों में भारत का मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र $40-45 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जो न केवल आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करेगा बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी को भी बढ़ाएगा.