नई दिल्ली
आईसीआईसीआई बैंक के आर्थिक अनुसंधान समूह के एक शोध पत्र के अनुसार, भारतीय सोने की कीमतों में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है, जो 2025 के शेष समय में 99,500 रुपये से 110,000 रुपये प्रति दस ग्राम के दायरे में कारोबार करेगी, और 2026 की पहली छमाही में 110,000 रुपये से 125,000 रुपये तक बढ़ जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, "यदि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया हमारे अनुमानों की तुलना में बहुत कम मूल्य पर कारोबार करता है, तो इन अनुमानों के जोखिम बढ़ सकते हैं। हमने इस अवधि के लिए अमेरिकी डॉलर/रुपये की औसत सीमा 87.00-89.00 मान ली है।"
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में अब तक वैश्विक सोने की कीमतों में लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नरमी की उम्मीदों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार संस्थागत चिंताओं का समर्थन प्राप्त है। विश्लेषकों का अनुमान है कि 2025 के शेष समय में वैश्विक सर्राफा औसतन 3,400-3,600 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस रहेगा और 2026 की पहली छमाही में 3,600-3,800 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक और मज़बूत होगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "अगर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है, तो इन सीमाओं में और बढ़ोतरी हो सकती है।"
संरचनात्मक कमज़ोरी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर संस्थागत चिंताओं को लेकर जारी चिंताओं के चलते मध्यम अवधि में सोने की कीमतों में तेज़ी का रुझान बना रहने की उम्मीद है। सुरक्षित निवेश के लिए खरीदारी में थोड़ी कमी के बावजूद, रिपोर्ट में कहा गया है कि पीली धातु के लिए मध्यम अवधि में तेज़ी की उम्मीदें बरकरार हैं। अनुमानित बढ़त को संयुक्त राज्य अमेरिका के घटनाक्रमों से निकटता से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।
हालाँकि भू-राजनीतिक तनाव कम होने और व्यापार युद्ध की अनिश्चितताओं के बीच सोने की खरीदारी कम हुई है, लेकिन रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि सोने की तेज़ी का अगला चरण अमेरिकी घटनाक्रमों से प्रेरित होगा। इनमें 2025-26 के दौरान फेड द्वारा ब्याज दरों में अनुमानित 125 आधार अंकों की कटौती और केंद्रीय बैंकों तथा निवेशकों द्वारा अमेरिकी डॉलर से दूर चल रहा विविधीकरण शामिल है।
घरेलू स्तर पर, सोने में तेजी का रुख कमजोर रुपये और मजबूत निवेश मांग, दोनों के कारण है। भारतीय आयात जून के 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर जुलाई 2025 में 4 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो त्योहारी सीजन से पहले स्थानीय मांग में मजबूती को दर्शाता है।
भारत में गोल्ड ईटीएफ में भी उल्लेखनीय निवेश हुआ, जिसमें पिछले साल की तुलना में साल-दर-साल निवेश लगभग दोगुना हो गया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में निवेशकों की रुचि स्पष्ट है। इसने एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों का हवाला दिया, जिसमें जुलाई में 12.6 अरब रुपये का शुद्ध निवेश दिखाया गया। हालांकि यह जून के 20.8 अरब रुपये के निवेश से कम था, लेकिन साल-दर-साल 92.8 अरब रुपये का आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि में देखे गए 45.2 अरब रुपये के दोगुने से भी ज्यादा था।
हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अनुमानों के लिए जोखिम ऊपर की ओर झुका हुआ है, खासकर यदि भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87-89 की अनुमानित सीमा से अधिक गिरता है।