नई दिल्ली
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में ऑटोमोबाइल सेक्टर का प्रदर्शन अपेक्षाओं से कम रहा, जिसमें ट्रैक्टर को छोड़कर सभी सेगमेंट में मांग कमजोर रही।
रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रैक्टर को छोड़कर घरेलू ऑटो वॉल्यूम में पहली तिमाही में वर्ष-दर-वर्ष (YoY) 6 प्रतिशत की गिरावट आई। शहरी क्षेत्रों में मांग में कमजोरी इसका मुख्य कारण रही, विशेषकर दोपहिया वाहनों के चलते। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि “ट्रैक्टर को छोड़कर अधिकांश सेगमेंट में मांग अपेक्षाओं से पीछे रही।”
दोपहिया (2W) सेगमेंट में वॉल्यूम में पहली तिमाही में 8 प्रतिशत YoY गिरावट आई, जबकि पैसेंजर व्हीकल्स (PVs) और कमर्शियल व्हीकल्स (CVs) में क्रमशः 1 प्रतिशत की कमी रही। तीन पहिया वाहनों का वॉल्यूम स्थिर रहा। इसके विपरीत, ट्रैक्टर ने 9 प्रतिशत YoY वृद्धि के साथ अच्छे प्रदर्शन का परिचय दिया।
2W सेगमेंट में मोटरसाइकिल की बिक्री में 9 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि स्कूटर में 5 प्रतिशत की कमी रही। >250cc मोटरसाइकिल को छोड़कर अन्य सभी सेगमेंट में वॉल्यूम कम हुआ।
PVs में कार वॉल्यूम में 11 प्रतिशत YoY गिरावट आई, जबकि यूटिलिटी व्हीकल्स (UVs) ने 4 प्रतिशत YoY मामूली वृद्धि दर्ज की, जिससे इस तिमाही में कुल PV वॉल्यूम में UV का हिस्सा 66 प्रतिशत तक पहुंच गया।
CVs में मीडियम और हेवी कमर्शियल व्हीकल (MHCV) गुड्स सेगमेंट में 4.5 प्रतिशत YoY गिरावट आई, जबकि लाइट कमर्शियल व्हीकल (LCV) गुड्स में 1 प्रतिशत YoY कमी रही। केवल बस सेगमेंट में 8 प्रतिशत YoY वृद्धि हुई।
वित्तीय प्रदर्शन के लिहाज से मोतीलाल ओसवाल कवरेज में शामिल कंपनियों का संचालन अपेक्षाओं के अनुरूप रहा। सेक्टर की कुल आमदनी में 4 प्रतिशत YoY वृद्धि हुई, जिसमें OEMs में 3 प्रतिशत और ऑटो एंसीलरीज में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।
भविष्य की दृष्टि से, इंडस्ट्री ने PVs में 2-4 प्रतिशत, CVs में मध्यम एकल अंकों और 2Ws में उच्च एकल अंकों की वृद्धि का अनुमान लगाया है। ट्रैक्टर OEMs को ग्रामीण माहौल के सहारे उच्च एकल अंक की वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि, अब तक का प्रदर्शन अपेक्षाओं से कम रहा है।
वित्त वर्ष 2025-26 के पहले चार महीनों के बाद, 2Ws में 4 प्रतिशत YoY गिरावट, PVs में 1 प्रतिशत YoY कमी, CVs स्थिर और ट्रैक्टर अपेक्षित वृद्धि के अनुरूप रहे।
इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी मार्जिन पर दबाव डाल सकती है, जबकि निर्यात-केंद्रित एंसीलरीज को टैरिफ के कारण मांग की अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।