कायमखानी बेटियां के कंधे पर राजस्थानी मुसलमानों के युवा का बोझ

Story by  अशफाक कायमखानी | Published by  [email protected] | Date 24-07-2021
कायमखानी बेटियां के कंधे पर राजस्थानी मुसलमानों के युवा का बोझ
कायमखानी बेटियां के कंधे पर राजस्थानी मुसलमानों के युवा का बोझ

 

अशफाक कायमखानी / जयपुर

दूसरे प्रांतों के बच्चे जब प्रतियोगी परीक्षाओं में बेतहर प्रदर्शन कर रहे हैं.राजस्थान के मुस्लिम युवा कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं. यदि प्रदेश के कोटा में जेईई, नीट की परीक्षाआंे की तैयारियों का गढ़ नहीं होता तो शायद इनमें भी राजस्थानी मुस्लिम युवा कुछ खास नहीं कर पाते.
 
हाल में आए राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम ने प्रदेश के मुस्लिम युवाआंें का प्रशासनिक सेवा के प्रति बेरूखी ने यहां के लोगों की चिंता बढ़ा दी है. यदि आप प्रशासन में नहीं होंगे तो एक तरह से अपकी बात उपर तक पहुंचनी नामुमकिन सी हो जाएगी. इस बार की सिविल सेवा परीक्षा में कुल 9 मुस्लिम युवा कामयाबी दर्ज करवा पाए हैं. उसमें भी कायमखयानी मुस्लिम लड़कियांें ने बेहतर किया.
  
एक जमाना था जब कायमखानी परिवार के तकरीबन हर घर से युवा फौज व पुलिस में जाते थे.उसके बाद डीडवाना के झाड़ोद गावं के बक्सू खान व झूंझुनू जिले के नुआ गावं के लियाकत अली खान के  परिवार ने सिविल सेवा के प्रति रूचि दिखाई.
 
इसका परिणाम हुआ कि उनके परिवारों के कई बच्चे अपनी मेहनत, लगन से सिविल अधिकारी बनने. यह सिलसिला लगातार चलता रहा.इन परिवारों के बच्चों से प्रभावित होकर राजस्थान के दूसरी मुस्लिम बिरादरी के युवा भी सेवा में दिलचस्पी लेने लगे.
 
परिणाम यह हुआ कि कुछ साल पहले तक राजस्थानी मुसलमानों में सिविल सेवा के प्रति खासा माहौल बन गया था. युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए कुछ मुस्लिम संस्थानों ने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारियों के लिए कोचिंग भी शुरू किया.
 
मगर यह सब कुछ कुछ साल ही चला. उसके बाद सब कुछ ठप हो गया. परिणाम स्वरूप इस बार की सिविल सेवा परीक्षा में मात्र 9 मुस्लिम बच्चे की कामयाब हो पाए.जानकार बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में कायमखानी बिरादरी के लड़कों का भी तालीमी स्तर कमजोर पड़ा है. इसके उलट बिरादरी की लड़कियां बेहतर कर रही हैं.
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हाल के दिनों में कायमखानी की बेटियां आर्मी, नेवी, एयरफोर्स व न्यायिक सेवा में गई हैं. इसके साथ  भारतीय व राज्य स्तर की प्रशासनिक सेवा में भी कायमखानी बेटियां पैर जमाने लगी हैं. बेरी गावं की  असलम खान सिविल सेवा पास करके भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी बनीं हैं. इसी तरह नुआ गावं की फराह हुसैन भारतीय सिविल सेवा परीक्षा करके आयकर विभाग में कमिश्नर पद पर तैनात हैं.इन दोनों के अलावा झारिया गावं की शाहीन खान ने हाल में राजस्थान सिविल सेवा की परीक्षा पास की है.
 
कुल मिलाकर यह कि प्रदेश के खासतौर पर शेखावाटी व मारवाड़ क्षेत्र में रहने वाली मुस्लिम कायमखानी बिरादरी में लड़कों के कमजोर होते शैक्षणिक स्तर व सिविल सेवा में जाने के घटते प्रतिशत की पूर्ति करने के लिएं बेटियां आगे आई हैं.