शारिक अहमद और समरुल हसन को BPSC में मिली कामयाबी, पर मंजिल है दूर

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 05-08-2022
शारिक अहमद और समरुल हसन को बीपीएससी में मिलीं कामयाबी, मगर मंजिल है अभी दूर
शारिक अहमद और समरुल हसन को बीपीएससी में मिलीं कामयाबी, मगर मंजिल है अभी दूर

 

मोहम्मद अकरम / पश्चिमी चंपारण ( बिहार)
 
बीपीएससी यानी बिहार लोक सेवा आयोग ने 66वीं संयुक्त परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दियां. इस बारं मुस्लिम समाज के किसी बच्चे ने टॉप 10 में जगह नहीं बनाई है. इसके इतर कई ऐसे मुस्लिम बच्चे भी हैं जिन्हांेने न केवल कामयाबी हासिल की परिवार और समाज के लिए नजीर भी बने हैं.

सीतामढ़ी शहर के मेहसौल गोट के रहने वाले समरुल हसन, पिता स्वर्गीय कमरुल हसन ने सप्लाई इंस्पेक्टर पद में 463 वां रैंक हासिल किया है. बीते 14 जुलाई को उनकी मां, बेटे की कामयाबी की खुशखबरी से पहले दुनिया को अलविदा कह गईं थी. पिता सरकारी मास्टर थे. वह भी गुजर चुके हैं. बड़े भाई ने उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई हुई है. 
 
दूसरी तरफं मोतिहारी जिले के ढ़ाका ब्लॉक के मेसौढा गांव के मास्टर अख्तर के बेटे शारिक अहमद ने रूरल डेवलपमेंट आॅफिसर वर्ग में 104 वां रैंक हासिल किया हैं. मास्टर अख्तर मोतिहारी शहर के इकरा इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में 30 साल से पढ़ा रहे हैं. बीपीएससी में कामयाबी हासिल करने वाले दोनों प्रतिभागियों के मुताबिक, अभी मंजिल बाकी हैं. उनका सपना यूपीएससी क्रैक करना हैं.
 
आवाज द वॉइस से बात करते हुए ने शारिक अहमद ने कहा, मेरी शुरुआती शिक्षा इकरा इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल मोतिहारी में हुई., जहां हमारे अब्बू आज भी पढ़ाते हैं. अब्बू हमें नर्सरी क्लास से ही पढ़ाई पर जोर देते रहेे. वह हमेशा कहते हैं कि तुम्हें यूपीएससी पास करना हैं. उनके सपने को साकार करने के लिए मैं पढ़ाई में लगातार लगा हुआ हूं..
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धनबाद से आईटीआई पास है शारिक

दरअसल शारिक मोतिहारी शहर के इकरा इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद मुजफ्फरपुर पहुंचे, जहां से इंटर पास किया. उसके बाद उनका दाखिला धनबाद आईआईटी में हुआ. वहां से पढ़ाई करने के बाद पिता के कहने पर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली पहुंचे. यहां पहुंचने पर जकात फाउंडेशन में एक साल पढ़ाई के बाद जामिया मिल्लिया के आवासीय कोचिंग में दाखिला ले लियां.
 
घर पर मिला पढ़ाई का माहौल
 
सीतामढ़ी के रहने वाले समरुल हसन ने बताया कि हमारे पिता स्वर्गीय कमरुल हसन हाई स्कूल में शिक्षक थे इससे घर पर पढ़ाई का माहौल मिला. शुरुआती शिक्षा शहर में हासिल करने के बाद दिल्ली का रुख किया, जहां बड़े भाई कि निगरानी में पढ़ाई कर कामयाबी हासिल की.
 
पिता हैं आइडियल
 
शारिक बताते हैं कि हमारे लिए पिता आइडियल हैं. उन्होंने कम पैसे पर स्कूल में नौकरी की. हमेशा हमें मोटिवेट किया. अच्छे सपने दिखाए. कुछ बड़ा करने को प्रोत्साहित किया. यही कारण है कि यूपीएससी की परीक्षा क्रैक करना चाहता हूं.
 
दोनों का सपना है यूपीएससी
 
शारिक अहमद और समरुल हसन ने बताया कि जब तक वह संघ लोक सेवा आयोग में कामयाबी हासिल न कर ले उस वक्त तक सुकून से नहीं बैठेंग. अभी उनकी जद्दोजहद जारी रहेगी.
 
प्रशासनिक सेवा मे मुसलमानों को आगे आना चाहिए

शारिक अहमद आगे कहते हैं कि देखिए, मुस्लिम समाज में शिक्षा को लेकर जो जागरूकता आनी चाहिए वह अब तक नहीं आई हैं. कुछ हद तक इस में पहल हुआ हैं जो कि बहुत कम हैं. हमारे विद्वानों के आगे आना चाहिए ताकि हम प्रशासनिक सेवा में पहुंच सके. बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जिन्हें मैट्रिक के बाद कोई राह दिखाने वाला
 
नहीं. इस पर काम करने की जरूरत हैं. वहीं समरुल हसन ने कहा कि छात्रों को अपनी मंजिल की जुस्तजू में लगा रहना चाहिए और पूरी ईमानदारी से पढ़ाई करेंगे तो कामयाबी जरुर मिलेगी।