मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली
मंगल ग्रह पर जेज़ेरो क्रेटर में उतरने के पंद्रह महीने से अधिक समय के बाद, नासा के पर्सवेरेंस रोवर ने आखिरकार प्राचीन जीवन की तलाश शुरू कर दी है. 28मई को, पर्सवेरेंस ने एक 5सेंटीमीटर चौड़े गोलाकार पैच को एक चट्टान के आधार पर जमीन पर रखा, जो कभी अतीत में कभी एक नदी डेल्टा था.
यह डेल्टा अरबों साल पहले बना था, जब यहां एक नदी बहा करती थी. एक लंबे समय बहने वाली नदी ने तलछट की परतों को जेज़ेरो में जमा कर दिया, और यही मुख्य कारण है कि नासा ने रोवर को यहां भेजा. पृथ्वी पर, नदी तलछट आमतौर पर जीवन से भरी होती है. ताजा ग्राउंड स्पॉट की छवियां छोटे तलछट अनाज दिखाती हैं, जो वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसमें रासायनिक या जीवन के अन्य निशान होंगे.
इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक प्लेनेटरी जियोलजिस्ट संजीव गुप्ता ने ट्विटर पर लिखा कि इस तस्वीर को देखकर कवि विलियम ब्लेक की "'रेत के दाने में एक दुनिया देखने के लिए' वाली बात ही दिमाग में आती है.
@NASAPersevere just scraped a sedimentary rock for the first time …Blake’s ‘To see a world in a grain of sand’ comes to mind.#jezero#mars pic.twitter.com/oX7KsTtPs2
— Sanjeev Gupta (@SanjeevGupta45) May 29, 2022
रोवर अगले कुछ महीने जेजेरो डेल्टा की खोज में बिताएगा. मिशन वैज्ञानिक ही यह तय करेंगे कि वे चट्टानों के नमूने किन जगहों पर ड्रिल करवाना और निकालना चाहते हैं. नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने उन नमूनों को पुनः प्राप्त करने और उन्हें अध्ययन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजने की योजना बनाई है. लेकिन किसी भी परिस्थिति में यह चट्टानी नमूने2033से पहले पृथ्वी पर लाए नहीं जा सकेंगे.
रोवर ने मंगल के नदी डेल्टा की तली में चट्टान में कुछ इस तरह से खुदाई करके पहली बार नमूने लिए हैं. गोलाई वाला हिस्से को देखिए. यहां वह मई 2022 के आखिरी दिनों में पहुंचा था. फोटो क्रेडिटः नासा/जेपीएल-कैल्टेक/एएसयू
पर्सवेरेंस रोवर इस नदीय डेल्टा के किनारे से कई किलोमीटर दूर फरवरी 2021में लैंड हुआ था. इसने अपने शुरुआती महीनों में इस क्रेटर की तली की खोज की. हैरत की बात है कि मंगल ग्रह के इस क्रेटर की तली भी अप्रत्याशित रूप से आग्नेय चट्टानों से बना है.
आग्नेय चट्टानें पिघले लावा के ठंडा होने से बनता है. यह खोज वैज्ञानिक खजाना था क्योंकि वैज्ञानिक आग्नेय चट्टानों को उनके रासायनिक तत्वों के रेडियोधर्मी क्षय (डिके) के आधार पर उनकी आयु की गणना कर सकते हैं.
लेकिन कई शोधकर्ता पर्सवेरेंस के डेल्टा तक पहुंचने के लिए उत्सुक थे, जिसकी महीना दानेदार तली के तलछट में मंगल ग्रह के जीवन के साक्ष्य को खोजने का सबसे अच्छा मौका है.
रोवर आखिरकार अप्रैल में डेल्टा बेस पर पहुंचा. यह जल्द ही इसने भूरे, पतली परत वाली चट्टानों को खोज निकाला जिनको मडस्टोन कहा जाता है और जो धीमी रफ्तार वाली नदी या झील द्वारा जमा तलछट से बने होंगे.
अरबों साल पहले जेजेरो क्रेटर में बना एक डेल्टा, जब एक प्राचीन नदी (जिसका तल बाईं ओर दिखाया गया है) गठन और जमा तलछट (छवि का केंद्र) में बहती है. तलछट में कार्बनिक पदार्थ होते हैं, इससे यहां प्राचीन जीवन के संकेतों की जांच में आसानी होगी. फोटो क्रेडिट: NASA/JPL/JHUAPL/MSSS/ब्राउन यूनिवर्सिटी
17 मई को पसाडेना, कैलिफोर्निया में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) में पर्सवेरेंस के उप परियोजना वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन ने एक ऑनलाइन 2022एस्ट्रोबायोलॉजी विज्ञान सम्मेलन के दौरान कहा कि, “इसमें मोटे दाने वाले बलुआ पत्थर भी पाए गए, जो शायद तेज बहने वाली नदी में बने हों. इस प्रकार की चट्टानें विभिन्न प्रकार के मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करने के लिए उत्कृष्ट लक्ष्य हैं, जहां जीवन पनप सकता था.”
मिशन इंजीनियरों ने तब पर्सवेरेंस को एनचांटेड लेक नाम के इस क्षेत्र से निकाल लिया और हॉक्सबिल गैप नामक एक अन्य क्षेत्र की ओर ले गए, जहां यह वर्तमान में काम कर रहा है. डेल्टा में सबसे निचली चट्टान परतों में से एक में एक बलुआ पत्थर में ताजा खरोंच पैच बनाया गया था, जिसका अर्थ है कि यह जेज़ेरो की प्राचीन नदी द्वारा बनाई गई सबसे पुरानी चट्टानों में से एक है और इस प्रकार प्राचीन जीवन के संकेतों की तलाश करने के लिए एक उत्कृष्ट जगह है.
इस बेशकीमती चट्टानी संग्रह के मामले में मिशन वैज्ञानिक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि सबसे भूगर्भीय रूप से संपन्न इलाके में रोवर को किन चट्टानों का नमूना लेना चाहिए. पर्सवेरेंस नमूने के लिए 43ट्यूब ले जाती है, इनमें से प्रत्येक एक पेंसिल से थोड़ी मोटी होती है. नासा और ईएसए लगभग 30भरी हुई ट्यूबों को वापस पृथ्वी पर लाने की योजना बना रहे हैं.
असल में, नासा और ईएसए मंगल पर दो लैंडर भेजने के लिए 5 अरब डॉलर की योजना पर काम कर रहे हैं. इस योजना में एक रोवर है जो नमूने इकट्ठे करेगा और एक रॉकेट उस रोवर को मंगल की कक्षा में भेज देगा. बाहर मौजूद एक अंतरिक्ष यान जो उस रॉकेट को बाहरी कक्षा में लपक लेगा और वापस पृथ्वी की ओर उड़ा ले जाएगा.
पहले प्रक्षेपण 2026 में होने वाले थे, लेकिन उस समयरेखा को रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से बदल दिया गया था. ईएसए ने युद्ध को लेकर रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ सभी सहयोग रोक दिए.
अब नासा और ईएसए अपनी मंगल-लैंडिंग योजनाओं को फिर से तैयार कर रहे हैं. उनके पास कुछ समय है: पर्सवेरेंस के नमूना ट्यूबों को मंगल ग्रह की परिस्थितियों में दशकों तक बिना खराब हुए टिके रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है.