न्यूयॉर्क
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो टूक शब्दों में कहा है कि इज़रायली सेना को गाज़ा पट्टी से वापस नहीं बुलाया जाएगा और फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के किसी भी प्रयास को बलपूर्वक रोका जाएगा। उन्होंने साफ कर दिया कि गाज़ा में आईडीएफ (इज़रायली रक्षा बलों) की उपस्थिति खत्म करने का कोई इरादा नहीं है।
गाज़ा से सैनिकों की वापसी को लेकर उन पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव का जवाब देते हुए नेतन्याहू ने कहा:“लोग कह रहे हैं कि आपको हमास की शर्तें माननी होंगी, सैनिकों को वापस बुलाना होगा। अगर आईडीएफ हट गई, तो हमास फिर से ताक़तवर हो जाएगा और पूरे क्षेत्र का पुनर्निर्माण कर लेगा। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं – ऐसा नहीं होने जा रहा है।”
नेतन्याहू ने दावा किया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें आश्वासन दिया है कि यदि हमास गाज़ा के लिए प्रस्तुत 20-सूत्रीय शांति योजना को अस्वीकार करता है, तो अमेरिका इज़रायल का पूर्ण समर्थन करेगा।
उन्होंने कहा:“हमास को खत्म करने का अभियान जारी रहेगा। मेरी अमेरिका यात्रा हर लिहाज़ से सफल रही है।”
नेतन्याहू ने व्हाइट हाउस की अपनी यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प की दिल खोलकर सराहना की। सोशल मीडिया पर साझा एक वीडियो में वे एक किताब पर हस्ताक्षर करते हुए लिखते हैं:“राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, (बिना किसी संदेह के) व्हाइट हाउस में इज़रायल के सबसे बड़े मित्र हैं – और कई मायनों में सबसे अच्छे!”
टेलीग्राम पर साझा एक वीडियो में नेतन्याहू ने इस सवाल का उत्तर दिया कि क्या उन्होंने ट्रम्प के साथ फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने पर सहमति बनाई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा:“नहीं, बिल्कुल नहीं। ट्रम्प की योजना में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। और हम इस तरह के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे – बलपूर्वक भी।”
बेंजामिन नेतन्याहू के बयान से साफ है कि इज़रायल गाज़ा से पीछे हटने को तैयार नहीं है, और वह फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के किसी भी विचार को खारिज कर रहा है। ट्रम्प के समर्थन के साथ, नेतन्याहू का रुख पहले से ज्यादा आक्रामक और स्पष्ट नजर आ रहा है।
गाज़ा में शांति की राह फिलहाल लंबी और कठिन दिख रही है।
स्रोत: बीबीसी