पाकिस्तान: मदरसे में जिहाद सिखा रहे मौलवी का वीडियो वायरल

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 05-03-2021
बच्चों को जिहाद सिखाता हुआ मदरसे का मौलवी
बच्चों को जिहाद सिखाता हुआ मदरसे का मौलवी

 

 

- बच्चों को ऐसा प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि जैसे लश्कर-ए-तैयबा कोई एमएनसी हो और आतंकवादी होना करियर है.

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

पाकिस्तान का एक मदरसा. जहां मौलवी खुलेआम 5-10 बरस के बच्चों से कहते हुए सुना जा सकता है कि बच्चों का खेलने-कूदने से बेहतर है कि वे कश्मीर के जिहाद में शामिल हों. ईशनिंदा करने वाले लोगों का सिर धड़ से जुदा करें.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश को संबोधित करते हुए बताया कि फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) से पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने का खतरा है. अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हो गया, तो पाकिस्तान पूरी तरह कंगाल हो जाएगा और खाने तक के लाले पड़ जाएंगे. आतंक की फैक्ट्री चलाने के आरोप में एफएटीएफ ने फिलवक्त पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला हुआ. ये सब बखूबी समझते हुए पाकिस्तान के पीएम इमरान, वहां की सेना व आईएसआई और डीप स्टेट आतंकवादियों, आतंकी गतिविधियों और फंडिंग को रोकने के नाम पर केवल रवायतें पूरी कर रहे हैं. जबकि वहां के मदरसों में अबोध बच्चों के दिमाग में दहशतगर्दी के बीज बोए जा रहे हैं और उन्हें आतंकवादी बनाया जा रहा है.

भारत के सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य के एक वीडियो ट्वीट ने वहां के मदरसों में आतंकवादियों को प्रशिक्षित किए जाने के षडयंत्र की पोल खोल दी है.

पाकिस्तान के मदरसों में जिहाद और कट्टरपंथ का नमूना पेश करते हुए मेजर गौरव आर्य ने अपने वीडिया के साथ लिखा है, “पंजाब (पाकिस्तान) के सरकारी स्कूलों के सिलेबस में सिर-कलम करना और जिहाद शामिल है. यहां, कक्षा का शिक्षक युवा दिमागों को ‘शिक्षित’ कर रहा है. इन बच्चों के लिए अफसोस जाहिर करें. (क्योंकि) वे यह सोचकर बड़े होंगे कि लश्कर-ए-तैयबा कोई एमएनसी है और आतंकवादी होना एक करियर है.”

इस वीडिया में मौलवी इस्लामिक ग्रंथों के हवाले से कहा रहा है, “कोई हमारे किसी भी पैगंबर के बारे में बोलने का दुस्साहस करता है, तो उसके टुकड़े करना तुम्हारा कर्तव्य है. तुमने यह नारा जरूर सुना होगा गुस्ताख-ए-नबी सी एक ही सजा, सर तन से जुदा.”

मौलवी कहता है, “सरकार चाहती है कि बच्चे खेलों पर ध्यान दें. इस तरह से तो छात्रों को कश्मीर में अन्य मुसलमानों की मदद करने के लिए घुसपैठ करने और फलस्तीन जाने के बारे में पता ही नहीं चलेगा. वे हमें कहते हैं कि बच्चों को ये न पढ़ाएं. लेकिन तुम्हें यह सब सीखने की जरूरत है. क्या तुम कश्मीर में अपने भाईयों और बहनों को नहीं बचाना चाहते. यदि कोई पैगंबर के बारे में बकवास करता है, तो तुम्हें गुस्सा नहीं आएगा. नारों को याद करो. आपको जिहाद के लिए अपना कर्तव्य याद रखना चाहिए.“

 

पाकिस्तान में 30 हजार मदरसों में करीब 25 लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं.

यह तो पता नहीं चला कि यह वीडियो किस मदरसे का है, लेकिन इतना अवश्य है कि यह कोरोनाकाल का है, क्योंकि बच्चों के मुंह पर मास्क लगे हुए हैं.

इस वीडियो के मुताबिक खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों को जिस देश के मौलवी जिहाद का पाठ पढ़ा रहे हैं, उस देश का ईश्वर ही मालिक है.

ताज्जुब की बात यह है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी इतने ऊंचे रसूखदार हैं कि सरकार और प्रशासन भी ऐसे मौलवियों पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाता है.

पाकिस्तान की सेना के तत्कालीन प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने रावलपिंडी में जून, 2019 के दौरान सैन्य मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में देश के मदरसों के रेगुलराईजेशन की बात कही थी. गफूर ने कहा था कि मदरसों को ‘मुख्यधारा’ में लाने के लिए सुधारों को तीन चरणों में लागू किया जायेगा. इन मदरसों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में लाने के लिए 2अरब रुपए खर्च किए जाएंगे और उन्हें संचालित करने के लिए सालाना 1अरब रुपए खर्च किये जाएंगे.

मदरसों के लिए सेन्य प्रशासन की कोई भी योजना तब तक कैसे फलीभूत हो सकती है, जब तक ऐसे मौलवियों पर अंकुश नहीं लगाया जाता.