वॉशिंगटन।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र मंगलवार (23 सितंबर) से शुरू हो गया। पहले ही दिन गाज़ा-इज़राइल युद्ध चर्चा का मुख्य विषय रहा। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबो सुबियांतो ने इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
अपने संबोधन में सुबियांतो ने कहा, “हमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य चाहिए, लेकिन हमें इज़राइल की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा। तभी सच्ची शांति संभव हो सकेगी।”
उन्होंने आगे कहा कि वास्तविक समाधान केवल अब्राहम के वंशजों — अरबों और यहूदियों — के मेल-मिलाप में है। सुबियांतो ने धार्मिक सौहार्द्र की अपील करते हुए कहा, “मुस्लिम, ईसाई, हिंदू, बौद्ध — सभी धर्मों के अनुयायियों को एक मानव परिवार की तरह एकजुट होना होगा।”
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश इस सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जोड़ा, “हो सकता है यह एक सपना लगे, लेकिन यह एक खूबसूरत सपना है जिसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी महासभा में गाज़ा युद्ध को समाप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें अब गाज़ा में युद्ध रोकना होगा। हमें शांति वार्ता करनी होगी। हमें बंधकों को वापस लाना होगा। हम सभी 20 बंधकों को जिंदा और 38 शवों को भी वापस चाहते हैं, और हमें यह तुरंत चाहिए।”
ट्रंप ने एक बार फिर इस संघर्ष के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि युद्ध इसलिए जारी है क्योंकि हमास ने युद्धविराम समझौते को अस्वीकार कर दिया है।
ट्रंप ने उन पश्चिमी देशों की आलोचना की जिन्होंने फिलिस्तीन को मान्यता दी है। उनका आरोप था कि ऐसा करके इन देशों ने हमास को “पुरस्कृत” किया है।
साथ ही, ट्रंप ने दावा किया कि उनकी अगुवाई में अमेरिका ने दुनिया भर में सात युद्धों को रोका है और इसके लिए उन्हें “नोबेल पुरस्कार” मिलना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नीतियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “यूएन सख्त शब्दों में बयान तो जारी करता है, लेकिन उन पर अमल नहीं करता।”