नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट टीम की हालिया दक्षिण अफ्रीका टेस्ट श्रृंखला में 0-2 से हार पर पूर्व खिलाड़ियों ने टीम के रवैये और रणनीति पर सवाल उठाए हैं। 408 रनों से मिली यह हार भारत के लिए दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू मैदान पर 25 साल में पहली सबसे बड़ी हार है।
पूर्व कप्तान और दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने टीम के लगातार बदलाव और हरफनमौलाओं पर अधिक निर्भरता को लेकर कड़ी टिप्पणी की। कुंबले ने कहा, “टेस्ट मैच के लिए अलग मानसिकता की जरूरत होती है। इतने सारे हरफनमौलाओं से काम नहीं चलता। बल्लेबाजी क्रम में इतने बदलाव असर नहीं डालते। हर दूसरे मैच में नए खिलाड़ी आते हैं और अनुभवी बाहर हो जाते हैं।”
कुंबले ने कहा कि पिछले साल विराट कोहली, रोहित शर्मा, आर. अश्विन और चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गजों के टेस्ट से विदाई लेने के बाद टीम को सोच-समझकर आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने जोर दिया कि टीम में केवल एक-दो अनुभवी खिलाड़ियों को सीखने के उद्देश्य से नहीं रखा जा सकता, टीम में कम से कम आठ-दस मजबूत खिलाड़ी होने चाहिए।
पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने भी टीम के रवैये पर निराशा जताई। उन्होंने कहा, “हरफनमौलाओं पर इतना जोर देना समझ से परे है, खासकर जब आप उनसे गेंदबाजी नहीं करवा रहे। खराब रणनीति और अनुचित चयन ने हमें दो श्रृंखलाओं में भारी हार दिलाई।”
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने भी टिप्पणी की, “भारत अपने मैदान पर आमतौर पर नहीं हारता, लेकिन हाल के वर्षों में टेस्ट क्रिकेट में टीम की स्थिरता खो गई है। कुछ विशेष खिलाड़ियों के आने पर ही भारत पर परिणाम प्रभावित हो रहे हैं।”
पूर्व खिलाड़ियों का मानना है कि भारतीय टीम को आत्ममंथन करना होगा, रणनीति पर ध्यान देना होगा और स्थिर आधार बनाकर टीम को मजबूत करना होगा। लगातार बदलाव और हरफनमौलाओं पर अत्यधिक निर्भरता टीम की कमजोरी साबित हो रही है।