तंजानिया में चुनावी हिंसा में 2,000 से अधिक लोगों की मौत: विपक्ष का दावा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-12-2025
More than 2,000 people killed in Tanzania election violence: Opposition claims
More than 2,000 people killed in Tanzania election violence: Opposition claims

 

नई दिल्ली

अफ्रीकी देश तंजानिया में चुनावी हिंसा ने भयावह रूप ले लिया है। विपक्षी दल चाडेमा ने आरोप लगाया है कि चुनाव के केवल एक सप्ताह के भीतर 2,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। पार्टी ने इसे मानवता के विरुद्ध अपराध बताते हुए संबंधित सरकारी अधिकारियों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

29 अक्टूबर को हुए चुनाव में राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने 98 प्रतिशत मत हासिल कर भारी जीत दर्ज की। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि मतदान में व्यापक धांधली हुई है और आलोचकों की हत्या, अपहरण तथा दमन की घटनाएँ लगातार बढ़ी हैं। चुनाव के बाद देश भर में भीषण दंगे भड़क उठे।

चाडेमा पार्टी के उपाध्यक्ष जॉन हेचे ने प्रेस को बताया कि “महज एक सप्ताह में 2,000 से अधिक लोग मारे गए और 5,000 से ज्यादा घायल हुए।” उन्होंने कहा कि हिंसा में “राज्य की प्रत्यक्ष संलिप्तता” दिखाई दे रही है और इसे मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।

पहले विपक्ष ने मृतकों की संख्या 1,000 से अधिक बताई थी, लेकिन सरकार ने अब तक किसी भी आधिकारिक आंकड़े को सार्वजनिक नहीं किया है।

हेचे ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि चुनाव हिंसा की योजना बनाने और उसे अंजाम देने वालों पर प्रतिबंध लगाए जाएं। उन्होंने सरकारी अधिकारियों और उनके परिवारों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की भी मांग की।
उनका कहना है कि हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं और अपहरण व जबरन गायब होने के मामलों में वृद्धि हुई है।

विपक्ष ने सुरक्षा बलों के कुछ सदस्यों पर चुनावी अशांति के दौरान बलात्कार, यातना, हत्या, लूटपाट और मनमानी हिरासत जैसे गंभीर अपराधों का आरोप लगाया है। पार्टी चाहती है कि मृतकों के शव उनके परिवारों को सौंपे जाएं।

चाडेमा ने आरोप लगाया कि चुनाव के कई दिन बाद भी सरकार विपक्ष पर दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। इसी सप्ताह विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़कें लगभग खाली थीं, जबकि सुरक्षा बल बड़ी संख्या में तैनात रहे।

पिछले सप्ताह राष्ट्रपति हसन ने हत्याओं को “ज़रूरी कदम” बताते हुए कहा था कि ये देश को अस्थिर करने के प्रयास को विफल करने के लिए की गईं। उन्होंने हिंसा की जांच के लिए एक आयोग बनाया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि आयोग में केवल सरकार के करीबी लोग शामिल हैं और इसकी जांच निष्पक्ष नहीं होगी। विपक्ष ने एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।

स्रोत: एएफपी