गाज़ा सिटी पर इज़रायल का ज़मीनी हमला, संयुक्त राष्ट्र ने कहा ‘नरसंहार’

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 17-09-2025
Israel launches ground assault on Gaza City; UN calls it ‘genocide’
Israel launches ground assault on Gaza City; UN calls it ‘genocide’

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

इज़रायल ने लंबे समय से टाले जा रहे अपने ज़मीनी अभियान की शुरुआत करते हुए गाज़ा सिटी में प्रवेश कर लिया है। पहले से ही लगातार बमबारी झेल रहे इस घनी आबादी वाले शहर में अब टैंकों और बख्तरबंद वाहनों की तैनाती बढ़ा दी गई है। इस हमले ने लाखों फ़लस्तीनियों को एक बार फिर विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया है।

मंगलवार को यह हमला ऐसे समय हुआ, जब संयुक्त राष्ट्र की एक जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इज़रायल गाज़ा में नरसंहार (Genocide) कर रहा है। करीब 23 महीने से जारी इस युद्ध में अब तक लगभग 65 हज़ार फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है। गाज़ा की 23 लाख आबादी में से अधिकांश बार-बार अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो चुकी है।

‘नए चरण की शुरुआत’

इज़रायली सेना ने बताया कि तीसरी डिवीज़न जल्द ही ज़मीनी हमले में शामिल होगी। गाज़ा सिटी, जहां एक मिलियन से अधिक लोग रहते हैं, पर कब्ज़े की इस कोशिश को वैश्विक स्तर पर कड़ी आलोचना मिली है। तुर्की ने इसे इज़रायल की “नरसंहार योजना का नया चरण” बताया और चेतावनी दी कि इससे बड़े पैमाने पर पलायन होगा।

‘बेहिसाब तबाही’

अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़, सिर्फ़ मंगलवार तड़के से अब तक 106 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 91 गाज़ा सिटी के ही हैं। दराज इलाक़े में पूरी-की-पूरी रिहायशी कॉलोनियां मलबे में तब्दील कर दी गईं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने गाज़ा सिटी में इज़रायली सेना की इस तबाही को “नस्ली सफ़ाए के बराबर” करार दिया है।

चश्मदीदों का कहना है कि लोग अपने रिश्तेदारों की लाशें नंगे हाथों से मलबे में खोजने को मजबूर हैं। एक स्थानीय निवासी अल-अब्द ज़ाक़्क़ूत ने बताया कि उनकी चचेरी बहन पर सीमेंट का एक विशाल टुकड़ा गिर गया। “हमें समझ नहीं आ रहा कि उसे निकालने की कोशिश करें या वहीं छोड़ दें।”

‘सुरक्षित क्षेत्र भी असुरक्षित’

इज़रायल ने दक्षिणी गाज़ा के तटीय इलाके अल-मावासी को “सुरक्षित क्षेत्र” घोषित किया है, लेकिन यहां भी कई बार बमबारी हुई है। गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि इस इलाके में पानी, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं का गंभीर संकट है और भीड़भाड़ वाले कैंपों में बीमारियां फैल रही हैं। विस्थापित परिवारों पर यहां भी सीधे हमले हो रहे हैं।

वैश्विक आलोचना

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने गाज़ा की स्थिति को “भयावह” बताते हुए कहा कि यह युद्ध नैतिक, राजनीतिक और कानूनी रूप से असहनीय है। जर्मनी और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों ने भी इज़रायल के इस कदम को गलत दिशा बताया। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काया कैलास ने कहा कि यह हमला “स्थिति को और बदतर” करेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मानवाधिकार संगठन और नरसंहार विशेषज्ञ पहले ही इस युद्ध को “जनसंहार” कह चुके हैं। पिछले साल अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ़ युद्ध अपराधों को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

अंदरूनी विरोध

इज़रायल के भीतर भी प्रधानमंत्री नेतन्याहू की आलोचना हो रही है। विपक्षी नेता यायर लापिड ने इस ज़मीनी अभियान को “शौकिया और लापरवाह” बताया। वहीं, इज़रायली मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि गाज़ा सिटी के लिए जारी ‘खाली करने के आदेश’ ज़बरन विस्थापन के बराबर हैं और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हैं।