लंदन
फ़्लोटिला (सहायता बेड़े) के आयोजकों ने कहा है कि इज़राइली सुरक्षा बलों ने गाज़ा के लिए रवाना हुई 39 नावों को रोक दिया है। इन नावों में मानवीय सहायता, भोजन, दवाइयाँ और विदेशी कार्यकर्ता सवार थे। फिलहाल केवल एक नाव ही फिलीस्तीनी क्षेत्र की ओर बढ़ रही है।
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार, कुछ नावों पर लगे कैमरों की लाइव फ़ीड में दिखाया गया कि इज़राइली सैनिक हेलमेट और नाइट-विज़न गॉगल्स पहने हुए जहाज़ों पर चढ़ रहे हैं, जबकि यात्री हाथ ऊपर उठाए, लाइफ जैकेट पहने एकसाथ बैठे हैं।
इज़राइली विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक वीडियो में दिखाया गया कि स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग, जो इस बेड़े की प्रमुख हस्तियों में से एक हैं, इज़राइली सैनिकों से घिरी हुई डेक पर बैठी हैं।
फ़्लोटिला के यात्रियों को इज़राइली बंदरगाहों पर भेजा गया
"ग्लोबल रेजिस्टेंस फ़्लोटिला" के आयोजकों की वेबसाइट पर दिखाए गए ट्रैकर के अनुसार, एक नाव अभी भी समुद्र में मौजूद है। इज़राइली विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,"हमास-समर्थक फ़्लोटिला की कई नावों को सुरक्षित रूप से रोका गया है और उनके यात्रियों को इज़राइली बंदरगाह ले जाया जा रहा है। ग्रेटा और उनके साथी सुरक्षित और स्वस्थ हैं।"
इज़राइली नौसेना पहले ही फ़्लोटिला को चेतावनी दे चुकी थी कि वह एक सक्रिय युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और इज़राइल की वैध नाकाबंदी का उल्लंघन कर रही है। सेना ने आयोजकों से रास्ता बदलने को कहा था।
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इज़राइली कार्रवाई को एक "आतंकवादी हमला" करार दिया, जिससे निर्दोष नागरिकों की जान को खतरा हुआ है।
तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु के अनुसार, इस्तांबुल के मुख्य अभियोजक कार्यालय ने कहा है कि उसने नावों पर सवार 24 तुर्की नागरिकों को हिरासत में लेने और उनके जहाज़ों को हुए नुकसान की जांच शुरू कर दी है।
कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने दो कोलंबियाई नागरिकों की गिरफ्तारी के विरोध में सभी इज़राइली राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश दिया है। साथ ही, उन्होंने इज़राइल के साथ मुक्त व्यापार समझौते को समाप्त करने की भी घोषणा की है।
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भी इज़राइली कार्रवाई की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इज़राइली बलों ने मलेशिया के 23 नागरिकों को हिरासत में लिया है।
इस फ़्लोटिला की शुरुआत अगस्त के अंत में हुई थी। इसका उद्देश्य गाज़ा के नागरिकों तक खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और मानवीय सहायता पहुँचाना था। इस काफिले में 40 से अधिक नावें थीं, जिनमें करीब 500 सांसद, वकील और कार्यकर्ता सवार थे।
इसे गाज़ा पर इज़राइल की नाकाबंदी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक प्रतीकात्मक विरोध माना जा रहा है।
फ़्लोटिला को रोके जाने के बाद इटली और कोलंबिया में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए।ग्रीस, आयरलैंड और तुर्की में भी लोग सड़कों पर उतरे।इटली की मज़दूर यूनियनों ने इस शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
इज़राइली कार्रवाई ने वैश्विक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ और व्यापक निंदा को जन्म दिया है। मानवीय सहायता पहुँचाने के इस प्रयास को रोके जाने को लेकर कई देश इसे नैतिक और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बता रहे हैं, जबकि इज़राइल इसे सुरक्षा ज़रूरतों और कानूनी अधिकार के रूप में पेश कर रहा है।