ईरान: हिजाब मुहिम के बहाने बेख़ौफ़ हुईं महिलाएं, दशकों पुराने डर का बंधन तोड़ा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 05-10-2022
ईरान: हिजाब मुहिम के बहाने बेख़ौफ़ हुईं महिलाएं, दशकों पुराने डर का बंधन तोड़ा
ईरान: हिजाब मुहिम के बहाने बेख़ौफ़ हुईं महिलाएं, दशकों पुराने डर का बंधन तोड़ा

 

तेहरान. ईरान के प्रदर्शनकारी और उनके समर्थक उग्र हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हफ्तों से, एक राष्ट्रव्यापी विरोध आंदोलन ने गति पकड़ी है और ऐसा लगता है कि सरकार की दशकों पुरानी डराने और धमकी देने की रणनीति को खत्म कर दिया है. सीएनएन ने बताया कि पूरे तेहरान में लिपिक नेतृत्व के खिलाफ नारे गूंज रहे हैं. विरोध गीत गाते हुए स्कूली छात्राओं के हवा में स्कार्फ लहराते हुए वीडियो वायरल हो रहे हैं. ये ऐसे ²श्य हैं जिन्हें पहले ईरान में अकल्पनीय माना जाता था, जहां अयातुल्ला खामनेई का मनमाना राज चलता था. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये विरोध ईरान के कई सामाजिक और जातीय विभाजनों को पार करता है, डर के दशकों पुराने अवरोध को तोड़ता है और शासन के लिए एक खतरा पैदा कर रहा है.

पूरे ईरान में प्रदर्शनकारी लिपिक प्रतिष्ठान की कमजोरियों को उजागर करने पर आमादा हैं, जिस पर व्यापक रूप से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है और मनमाने ढंग से हिरासत समेत कई और आरोप लगाते हुए लोग सड़कों पर उतर आए हैं. राजधानी शहर तेहरान सितंबर के मध्य में महसा अमीनी की मौत के बाद से प्रदर्शनों के साथ लगातार चर्चा में है. हिजाब को लेकर नैतिकता पुलिस ने अमीनी को हिरासत में लिया था. जहां उसकी मौत हो गई थी.

अब, तेहरान के विभिन्न हिस्सों में हर दिन विरोध प्रदर्शन होते हैं. रात में, एक नारा जो विरोधों का एक प्रमुख केंद्र बन गया है-तानाशाह की मौत-इमारतों की छतों से गूंजता है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, यह खमेनेई का संदर्भ है, जिन्हें कभी उनकी उच्च लिपिक स्थिति के कारण निंदा से परे माना जाता था. शासन-विरोधी प्रदर्शनों ने इस्लामिक गणराज्य के शक्ति ठिकानों में भी प्रवेश किया, जिसमें मशहद और कोम के शिया पवित्र शहर शामिल हैं. जातीय अल्पसंख्यकों- विशेष रूप से देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिम में कुर्दों और दक्षिण-पूर्व में बलूच लोगों ने भी विरोध प्रदर्शन किया है.

सीएनएन ने बताया कि देश भर के माध्यमिक विद्यालय और विश्वविद्यालय फ्लैशपॉइंट हैं, महिलाएं और लड़कियां अपने हेडस्कार्फ उतार रही हैं, जिन्हें हिजाब कहा जाता है. तेहरान के प्रतिष्ठित शरीफ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के एक प्रदर्शनकारी ने सीएनएन को बताया, ये आतंकवादी सोचते हैं कि हमारी पीढ़ी पिछली पीढ़ी है. हम नहीं हैं. मैं आपको आश्वस्त करता हूं.

सोशल मीडिया वीडियो ने रविवार को छात्रों पर कार्रवाई की खबर फैलने के तुरंत बाद सड़कों पर कारों के साथ प्रदर्शनकारी उतर आए. प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता के साथ हॉर्न बजाते हुए विश्वविद्यालय में प्रदर्शन हुआ. यह प्रदर्शन उस विश्वविद्यालय में हुआ जो ईरान के सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षित करने के लिए जाना जाता है.

पिछले हफ्ते, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि उसे एक लीक दस्तावेज मिला है जो सभी प्रांतों में सशस्त्र बलों के कमांडरों को प्रदर्शनकारियों का बेरहमी से सामना करने का निर्देश देता है. इन विरोधों से उत्पन्न खतरों पर विश्लेषकों का कहना है कि, यह कई वर्षो में इस्लामी गणराज्य में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन स्थित क्विंसी इंस्टीट्यूट की कार्यकारी उपाध्यक्ष ट्रिता पारसी ने कहा, ये मुख्य रूप से बहुत युवा लोग हैं, युवा पीढ़ी जिन्होंने जाहिर तौर पर विश्वास खो दिया है कि इस्लामी गणराज्य में सुधार किया जा सकता है. पारसी ने कहा, वह अपनी पिछली पीढ़ी से टूट रहे हैं जो भीतर से व्यवस्था में सुधार की मांग कर रही थी. ऐसा लगता है कि इस नई पीढ़ी को उस पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं है.

मौजूदा विरोधों को अंतत: कम किया जा सकता है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि ईरान आने वाले महीनों में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों के एक और चक्र की उम्मीद कर सकता है. नवीनतम प्रदर्शन 2019, 2017 और 2009 में सरकार के खिलाफ समान, लेकिन कम व्यापक, विरोध प्रदर्शनों का अनुसरण करते हैं.