दुबई
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मंगलवार को अपने देश के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका के साथ किसी भी सीधे वार्ता से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ईरान किसी भी तरह की बातचीत में तभी शामिल होगा जब उसके राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
खामेनेई की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने के लिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सर्वोच्च नेता की यह प्रतिक्रिया पेजेशकियन के संभावित अमेरिकी संपर्क को प्रभावित कर सकती है और किसी भी नए समझौते की दिशा में ईरान की नीति को स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करती है।
ईरानी सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित अपने भाषण में खामेनेई ने यह भी कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और इसे किसी भी तरह के बाहरी दबाव में नहीं रोका जा सकता। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की जब ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची यूरोपीय समकक्षों के साथ मुलाकात कर रहे थे। इस बैठक का उद्देश्य उन संभावित प्रतिबंधों को रोकना था, जिन्हें पश्चिमी देशों ने फिर से लागू करने की चेतावनी दी थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और अमेरिका के बीच सीधे संवाद में यह खामेनेई का स्पष्ट रुख, परमाणु समझौते (जैसे 2015 का जेसीपीओए) को लेकर जारी तनाव को और बढ़ा सकता है। अमेरिका और यूरोपीय देशों का दबाव ईरान के लिए एक चुनौती बना हुआ है, जबकि ईरानी नेतृत्व अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के प्रति सख्त रुख बनाए हुए है।
खामेनेई ने यह भी संकेत दिया कि ईरान किसी भी निर्णय में जल्दबाजी नहीं करेगा और उसके परमाणु कार्यक्रम की प्रगति पर किसी भी तरह का दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने विदेश नीति और सुरक्षा मामलों में ईरानी नेताओं को एकजुट रहने का संदेश भी दिया।
इस घटनाक्रम से यह साफ है कि ईरान-अमेरिका संबंधों में परमाणु मुद्दे पर प्रत्यक्ष वार्ता फिलहाल संभव नहीं दिख रही है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आगे कौन से कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे।