जोहानिसबर्ग
दक्षिण अफ्रीका में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन रविवार को अमेरिका के साथ एक नए कूटनीतिक विवाद के बीच होने वाला है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब मेजबान देश ने समूह की अध्यक्षता एक कनिष्ठ अमेरिकी अधिकारी को सौंपने से मना कर दिया।
अमेरिका ने जोहानिसबर्ग में अमीर और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं की दो दिवसीय बैठक का बहिष्कार किया। ट्रप प्रशासन का दावा था कि दक्षिण अफ्रीका अपने अफ्रीकी श्वेत अल्पसंख्यकों पर हिंसक अत्याचार कर रहा है।
अमेरिका 2026 में जी-20 की अध्यक्षता करेगा और फ्लोरिडा के डोरल स्थित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गोल्फ क्लब में शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना है। लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि पारंपरिक अध्यक्षता हस्तांतरण समारोह संभवतः नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका केवल अपने दूतावास का एक राजनयिक अधिकारी भेजना चाहता था। इसे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा का अपमान बताया गया।
दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने कहा, “अमेरिका जी-20 का सदस्य है और यदि वे प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं तो वे सही स्तर पर किसी को भी भेज सकते हैं।”
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने प्रतिक्रिया में कहा, “रामाफोसा अमेरिका और उसके राष्ट्रपति के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं।”इस शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका ने अफ्रीका में आयोजित पहले जी-20 सम्मेलन में परंपरा को तोड़ते हुए पहले दिन ही नेताओं का घोषणापत्र जारी किया। आमतौर पर यह घोषणापत्र शिखर सम्मेलन के अंत में जारी किया जाता है।
चीन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान और कनाडा समेत अन्य जी-20 सदस्य देशों ने इस घोषणा का समर्थन किया, जिसमें मुख्य रूप से गरीब देशों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की बात कही गई।कुछ विशेषज्ञों ने रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव जैसे वैश्विक संकटों को हल करने में जी-20 की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं।