नई दिल्ली
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 1 सितम्बर को तिआनजिन में आयोजित एससीओ प्लस (SCO Plus) बैठक में भाग लिया, जहाँ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया, आतंकवाद विरोध को प्राथमिकता बनाए रखने की बात कही और सतत विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा की।
जायसवाल ने पोस्ट में लिखा,"विदेश सचिव @VikramMisri ने 1 सितम्बर 2025 को तिआनजिन में आयोजित SCO प्लस बैठक में भाग लिया और अपने विचार साझा किए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की ज़रूरत पर बल दिया, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को SCO की प्राथमिकता बनाए रखने की बात कही और सतत विकास के लिए भारत की विशेषज्ञता व पहलों को SCO भागीदारों के साथ साझा करने की तत्परता जताई।”
विक्रम मिस्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले, 31 अगस्त को तिआनजिन SCO शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक में सीमापार आतंकवाद (Cross-border terrorism) का मुद्दा उठाया।
विदेश मंत्रालय की एक विशेष प्रेस वार्ता में विक्रम मिस्री ने बताया, "प्रधानमंत्री ने सीमापार आतंकवाद का मुद्दा चीनी राष्ट्रपति के समक्ष उठाया... उन्होंने इस मसले पर चीन से सहयोग मांगा। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, चीन ने इस मुद्दे को हल करने की दिशा में कई तरीकों से अपना समर्थन दिया है।”
उन्होंने यह भी कहा,"प्रधानमंत्री ने बहुत स्पष्ट और सटीक शब्दों में यह बताया कि आतंकवाद एक ऐसी महामारी है जिसका शिकार भारत और चीन दोनों रहे हैं। भारत आज भी इस संकट से जूझ रहा है और ऐसे में प्रधानमंत्री ने चीन से सहयोग की अपील की।”
इसके अलावा, बैठक में भारत-चीन व्यापार संतुलन, जनसंपर्क बढ़ाने, सीमा-पार नदियों पर सहयोग और आतंकवाद से मिलकर लड़ने जैसे मुद्दों पर भी दोनों नेताओं के बीच विचार-विमर्श हुआ।
विदेश सचिव की भागीदारी इस बात की ओर संकेत करती है कि भारत क्षेत्रीय मंचों पर बहुपक्षीय सहयोग, सुरक्षा, और सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों को लेकर अपनी भूमिका को गंभीरता से निभा रहा है।