बीजिंग
चीन ने अमेरिका द्वारा जी-7 और नाटो देशों से चीन और रूस से तेल खरीद रहे अन्य देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की अपील को सख्ती से खारिज करते हुए इसे "एकतरफा दबाव" और "आर्थिक धौंस" का प्रयास बताया है। चीन ने चेतावनी दी है कि यदि इस अपील पर अमल किया गया, तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा।
यह प्रतिक्रिया उस समय आई है जब स्पेन में अमेरिका और चीन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर दूसरी बार बातचीत हो रही है।
एक नियमित प्रेस वार्ता में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने स्पष्ट किया, "रूस समेत दुनिया के अन्य देशों के साथ चीन का आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पूरी तरह वैध और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।"
जब प्रवक्ता से अमेरिका की उस अपील के बारे में सवाल पूछा गया जिसमें उसने जी-7 और नाटो देशों से चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही है, तो लिन जियान ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "यह अमेरिका की ओर से एकतरफा दबाव और आर्थिक धमकाने की नीति है, जो न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को कमजोर करती है, बल्कि वैश्विक उद्योग और आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा व स्थिरता को भी खतरे में डालती है।"
लिन जियान ने आगे कहा कि दबाव और प्रतिबंधों से समस्याओं का समाधान नहीं होता। उन्होंने दोहराया कि यूक्रेन संकट को लेकर चीन का रुख स्पष्ट और स्थिर है—कि समाधान सिर्फ संवाद और समझौतों के माध्यम से ही संभव है।
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में कहा था कि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए नाटो देशों को चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाना चाहिए, और उन्हें रूस से तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए।
इस बयान के बाद चीन की यह प्रतिक्रिया सामने आई है, जो संकेत देती है कि अगर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने कोई व्यापारिक प्रतिबंध लगाया, तो चीन प्रतिस्पर्धात्मक और कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।