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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूस के साथ पिछले चार वर्षों से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए एक शांति प्रस्ताव को अगले कुछ दिनों में अंतिम रूप दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अमेरिकी अधिकारियों के साथ गहन बातचीत चल रही है और सहमति बनने के बाद प्रस्ताव का मसौदा रूस के समक्ष रखा जाएगा।
जेलेंस्की के अनुसार, अमेरिकी दूत अगले सप्ताहांत संभावित बैठकों से पहले इस शांति प्रस्ताव को मॉस्को के सामने पेश कर सकते हैं। सोमवार देर रात पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि बर्लिन में अमेरिका के साथ जिस शांति योजना पर चर्चा हुई, उसका मसौदा “काफी व्यावहारिक” है और इसमें युद्ध समाप्त करने की स्पष्ट रूपरेखा मौजूद है।
हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ अहम मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं, खासकर वे क्षेत्र जो फिलहाल रूस के कब्जे में हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इन्हीं विवादित क्षेत्रों को लेकर सबसे अधिक मतभेद बने हुए हैं।
अमेरिका के नेतृत्व में की जा रही शांति कोशिशों में हाल के दिनों में तेजी आई है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि प्रस्तावित शांति योजना के करीब 90 प्रतिशत बिंदुओं पर यूक्रेन और पश्चिमी यूरोपीय देशों की सहमति बन चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बयान देते हुए कहा, “मुझे लगता है कि हम पहले से कहीं ज्यादा शांति समझौते के करीब हैं।”
इसके बावजूद कई मुद्दों पर गतिरोध कायम है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्ध के बाद यूक्रेन को दी जाने वाली सुरक्षा गारंटियों और क्षेत्रीय मसलों को लेकर आपत्ति जता सकते हैं। विशेष रूप से, रूस चाहता है कि सैन्य कार्रवाई के जरिए कब्जे में लिए गए चार प्रमुख यूक्रेनी क्षेत्रों और वर्ष 2014 में अधिग्रहित क्रीमिया प्रायद्वीप को रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता दी जाए।
जेलेंस्की ने दोहराया कि यूक्रेन, डोनबास क्षेत्र के किसी भी हिस्से पर रूस के नियंत्रण को स्वीकार नहीं करेगा। डोनबास में लुहांस्क और दोनेत्स्क क्षेत्र शामिल हैं, जिन पर रूस की सेना का पूर्ण नियंत्रण नहीं है। नीदरलैंड्स रवाना होने से पहले उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा प्रस्तावित ‘मुक्त आर्थिक क्षेत्र’ का अर्थ रूसी नियंत्रण कतई नहीं है।
भूमि और संप्रभुता से जुड़े ये मुद्दे फिलहाल व्यापक शांति समझौते के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं।