मलाला यूसुफ ने तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर क्या कहा ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 16-08-2021
मलाला यूसुफ ने तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर क्या कहा ?
मलाला यूसुफ ने तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर क्या कहा ?

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली / काबुल

बच्चों की शिक्षा पर काम करने वाली तथा नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ जई ने अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण पर चिंता व्यक्त की है. कहा कि वह देश की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. इस बीच तालिबान के अफगानिस्तान के सरकारी टीवी पर कब्जा करने की खबर है.

मलाला ने ट्विटर कर लिखा, ‘‘हम पूरे सदमे में हैं, क्योंकि तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है.‘‘ ‘‘मैं महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार अधिवक्ताओं के बारे में गहराई से चिंतित हूं.‘‘

मलाला ने जोर देकर कहा कि वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय शक्तियों को ‘‘तत्काल युद्धविराम का आह्वान करना चाहिए.‘‘ तत्काल मानवीय सहायता और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा ‘‘प्रदान करनी चाहिए.

बता दें कि 60से अधिक देशों ने तालिबान से विदेशी नागरिकों, अफगानों को जाने देने का आग्रह किया है.इस बीच, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, भारत, जापान, जर्मनी और कनाडा सहित 60से अधिक देशों ने रविवार (स्थानीय समय) पर ‘‘सभी पक्षों‘‘ से विदेशी नागरिकों और अफगानों के जाने देने की रक्षा करने का आग्रह किया. वे युद्धग्रस्त देश छोड़ना चाहते हैं. कहा कि सड़कें, हवाई अड्डे और सीमा खुले रहने चाहिए.

अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी संयुक्त बयान तालिबान के अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश करने और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद आया है. रविवार देर रात जारी बयान में कहा गया, ‘‘अफगानिस्तान में सत्ता और अधिकार के पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है और जवाबदेही है कि मानव जीवन, संपत्ति, सुरक्षा और नागरिक व्यवस्था को तत्काल बहाल करे.‘‘

बयान में कहा गया कि अफगान लोगों को सुरक्षा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी सहायता के लिए तैयार है. बयान में कहा गया है, ‘‘बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, हम समर्थन करते हैं. सुरक्षित करने के लिए काम कर रहे हैं, सभी पक्षों से विदेशी नागरिकों और देश छोड़ने की इच्छा रखने वाले अफगानों के प्रस्थान करने और सुविधा देने का आह्वान करते हैं.‘‘

बयान में संयुक्त राज्य अमेरिका में शामिल रहे, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बहामास, बेल्जियम, बुर्किना फासो, कनाडा, चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, कोटे डी आइवर, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिकन गणराज्य, अल सल्वाडोर, एस्टोनिया, उच्च प्रतिनिधि विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ, माइक्रोनेशिया, फिजी, फिनलैंड, फ्रांस, जॉर्जिया, जर्मनी, घाना, ग्रीस, ग्वाटेमाला, गुयाना, हैती, होंडुरास, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, जापान, लातविया, लाइबेरिया के संघीय राज्य, लिचेंस्टीन, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, मार्शल द्वीप, मॉरिटानिया, नाउरू, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजर, नॉर्वे, पलाऊ, पनामा, पराग्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, कतर, कोरिया गणराज्य, साइप्रस गणराज्य, रोमानिया, सिएरा लियोन, स्लोवाकिया , स्लोवेनिया, स्पेन, सूरीनाम, स्वीडन, टोगो, टोंगा, युगांडा, यूनाइटेड किंगडम, यूक्रेन और यमन.

 

एजेंसियों से इनपुट के साथ