अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए ‘नई रोशनी’ जीवन में ला रही नया सवेरा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 02-07-2022
अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए ‘नई रोशनी’ जीवन में ला रही नया सवेरा
अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए ‘नई रोशनी’ जीवन में ला रही नया सवेरा

 

डॉ. शुजाअत अली कादरी
 
अल्पसंख्यक मंत्रालय की  नई रोशनी योजना अपने नाम को सार्थक कर रही है. यह देश की महिलाओं, विशेष रूप से गरीब मुस्लिम महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दे और उन्हें व्यवसाय में शामिल कर उनके जीवन में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है.

यह योजना 2012-13 में शुरू हुई थी. इसे एनजीओ, सिविल सोसाइटी और सरकारी एजेंसियों की मदद से 18 से 65 साल की उम्र की महिलाओं के लिए देश भर में चलाया जा रहा है.
योजना का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है, ताकि गरीबी कम हो सके. आर्थिक विकास और नागरिक समाज को मजबूत किया जा सके.
 
इसके साथ ही अल्पसंख्यक महिलाओं को सशक्त, विश्वासी और स्वरोजगार बनाना भी है. योजना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) के तहत अधिसूचित है, इसलिए इसका लाभ मुस्लिम महिलाओं के अलावा सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन धर्म की गरीब महिलाएं भी उठा सकती हैं.
 
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इस योजना की निगरानी उन संगठनों की भागीदारी  से की जाती है जो इस क्षेत्र का दौरा करने और महिलाओं के समूहों को पोषण,हैंड होल्डिंग सेवाएं देने के लिए जिम्मेदार हैं.नई रोशनी योजना के तहत महिलाओं के लिए चलाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं.
 
जैसे- महिला नेतृत्व, शिक्षा, स्वास्थ्य-स्वच्छता, थिंक इंडिया, वित्तीय साक्षरता, पारिवारिक मामले, महिला कानूनी अधिकार, डिजिटल साक्षरता और सामाजिक और व्यवहारिक वकालत.
 
महिलाओं के लिए एक विशेष योजना की आवश्यकता के बारे में मंत्रालय ने एक बयान में कहा, गरीब परिवारों में महिलाएं और बच्चे हमेशा सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. उन्हें मदद की जरूरत है.
 
महिलाओं, विशेषकर माताओं को सशक्त बनाना और भी महत्वपूर्ण है. वो घर में रहती हैं. अपने बच्चों की परवरिश करती हैं. इससे उनके बच्चों को भी कुछ सीखने का मौका मिलता है. नई रोशनी इस दिशा में मार्गदर्शक प्रकाश है.
 
मंत्रालय ने कहा कि इस योजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह न केवल महिलाओं को गरीबी से बाहर निकालती है. उनमें यह विश्वास भी जगाएगी कि वो अपनी मेहनत के दम पर जीवन में बेहतर कर सकती हैं.
 
इस योजना से अल्पसंख्यक महिलाओं को अपने घरों और समुदायों की कैद से मुक्त होने और सेवाओं, सुविधाओं, कौशल और अवसरों के साथ अधिकारों, सामूहिक या व्यक्तिगत रूप से विकास लाभों में उनके सही हिस्सेदारी के लिए सक्षम बनाती है.
 
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उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. सरकार उनके जीवन और रहन-सहन की स्थिति में सुधार के लिए हर जरूरत को पूरा करने के लिए तैयार है.2012 में अपनी स्थापना के बाद से, इस योजना ने हजारों महिलाओं को लाभान्वित किया है, जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों से हैं.
 
हाल में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले तीन वर्षों (2018-19 से 2020-21) में नई रोशनी योजना के तहेत 26 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई,जिस के जरिए एक लाख से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया. ये सभी महिलाएं अपने परिवार के लिए आजीविका का स्रोत हैं.
 
भारत में नई रोशनी योजना के अधिकांश लाभार्थी 12 राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, मेघालय, असम, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की महिलाएं हैं.
 
मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि इस योजना के तहत कुल 4,02,215 अल्पसंख्यक महिलाओं ने नेतृत्व प्रशिक्षण प्राप्त किया. उत्तर प्रदेश में 2,15,275 (53.5 प्रतिशत), इसके बाद मध्य प्रदेश में 41,775 (5.5 प्रतिशत), असम, 17,500 (4.4 प्रतिशत), राजस्थान 10,640 (2.6 प्रतिशत) है. आंकड़े 2012 से 2021 के हैं.
 
उम्मीद है कि इस योजना से मुस्लिम महिलाओं को सबसे ज्यादा फायदा होगा.
 
 
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और एमएसओ के चेयरमैन  हैं.)