इस्लाम में बगावत की कोई जगह नहीं: नूंह तब्लीगी जलसे में मौलाना साद का पैग़ाम

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 23-04-2025
There is no place for rebellion in Islam: Maulana Saad's message at the Nuh Tablighi gathering
There is no place for rebellion in Islam: Maulana Saad's message at the Nuh Tablighi gathering

 

यूनुस अलवी, नूंह (हरियाणा)

मेवात की सरज़मीन पर तब्लीगी जमात के तीन दिवसीय ऐतिहासिक जलसे का शानदार समापन मौलाना साद कंधालवी की दुआ के साथ हुआ. इस मौके पर उन्होंने लाखों की भीड़ को संबोधित करते हुए इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं, सामाजिक जिम्मेदारियों और राष्ट्र के प्रति वफादारी का पैग़ाम दिया.

sad

इस्लाम बगावत की इजाज़त नहीं देता — मौलाना साद

मौलाना साद ने कहा कि इस्लाम शांति और भाईचारे का मज़हब है, जो किसी भी हालत में मुल्क से बगावत की इजाज़त नहीं देता. उन्होंने साफ कहा कि एक सच्चा मुसलमान किसी भी हाल में कानून तोड़ने या देश के खिलाफ कोई काम नहीं कर सकता.

उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वह दीन के उसूलों पर चलते हुए समाज में अच्छाई और अमन का पैग़ाम फैलाएं.

दीन की बुनियादी ज़िम्मेदारियों पर ज़ोर

अपने बयान में मौलाना साद ने नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज जैसे इस्लामी स्तंभों पर जोर देते हुए कहा कि एक कामिल मुसलमान वही है जो नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बताये हुए तरीके पर पूरी तरह चले.

उन्होंने तर्क देते हुए कहा, "अगर जूता सिलवाना हो तो मोची के पास जाना होगा, उसी तरह हिदायत पानी है तो मस्जिद और अल्लाह के रास्ते पर चलना होगा.."

उन्होंने कहा कि जो लोग अपने माँ-बाप की नाफरमानी करते हैं, उन्हें अल्लाह माफ नहीं करता. और जो लोग जान-बूझकर नमाज़ छोड़ते हैं, उनके लिए सख्त अज़ाब की बात कही गई है..

औरतों और बच्चों की इस्लामी तालीम पर बल

मौलाना साद ने मुस्लिम माओं और बहनों को भी इस्लाम की तालीम देने की ज़रूरत बताई. उन्होंने कहा कि बेटियों की तरबियत इस्लामी उसूलों पर होनी चाहिए और मुसलमानों को अपने बच्चों को मस्जिद ले जाकर दीन की बुनियादी बातें सिखानी चाहिए.

sad

भव्य आयोजन: अमन और एकता का प्रतीक

19 से 21 अप्रैल तक आयोजित इस जलसे में देशभर से लाखों मुसलमान शरीक हुए। जलसे के लिए 21 एकड़ में पंडाल, 100 एकड़ में बैठने की व्यवस्था, 80 एकड़ में पार्किंग और 4500 से ज़्यादा शामियाने लगाए गए. हर तरफ साफ़-सफाई, स्वास्थ्य शिविर, वुज़ूख़ाने और लंगर का बेहतर प्रबंध रहा.

प्रशासन ने भी इस आयोजन में पूरी सक्रियता के साथ सहयोग किया. SP विजय प्रताप सिंह, SDM, DSP फिरोजपुर झिरका समेत पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी लगातार मौके पर डटे रहे. ड्रोन्स से निगरानी, हेल्थ कैंप, ट्रैफिक कंट्रोल जैसी व्यवस्थाएं प्रभावी रहीं.

saad

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी

जलसे में मेवात बीजेपी जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू भी शामिल हुए. उन्होंने कहा, "मैं बतौर इंसान यहाँ आया हूँ, धर्म कोई दीवार नहीं बल्कि पुल होना चाहिए. हमें एक-दूसरे के मज़हब का सम्मान करना चाहिए."

saaf

तब्लीगी जमात: इस्लाम की बुनियादी तालीम की तहरीक

तब्लीगी जमात की स्थापना 1926 में मौलाना इलियास कंधालवी ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन में की थी. इसका मकसद मुसलमानों को इस्लाम की असल तालीमात की तरफ वापस लाना है. यह जमात "छह बातों" पर आधारित है — कलिमा, नमाज़, इल्म व ज़िक्र, इकराम-ए-मुस्लिम, इख़लास-ए-नियत और वक्त की तक्सीम.

तब्लीगी जमात के लोग दुनियावी मशगूलियों से समय निकालकर 3 दिन, 40 दिन या 4 महीने के लिए दावत-ए-इमानी के सफर पर निकलते हैं. ये लोग अपने खर्च पर चलते हैं, मस्जिदों में ठहरते हैं और इस्लामी शिक्षाओं का प्रचार करते हैं.

sad

समापन में दुआ और अमन का पैग़ाम

तीन दिन चले इस जलसे के आखिरी दिन मौलाना साद ने भावुक अंदाज में दुआ की और पूरे मुल्क में अमन, इंसाफ और इंसानियत के लिए अल्लाह से रहमत की गुज़ारिश की। उन्होंने कहा कि मेवात विवाद नहीं बल्कि दीन, भाईचारे और इस्लामी एकता की मिसाल बन सकता है.