श्रीनगरः 34 साल बाद आशूरा पर भी दोहरा सकता है इतिहास, 8वें मुहर्रम का जुलूस निकलने से जगी उम्मीद

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-07-2023
श्रीनगरः 34 साल बाद आशूरा पर भी दोहराया जा सकता है इतिहास, 8वें मुहर्रम का जुलूस निकलने से जगी उम्मीद
श्रीनगरः 34 साल बाद आशूरा पर भी दोहराया जा सकता है इतिहास, 8वें मुहर्रम का जुलूस निकलने से जगी उम्मीद

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / श्रीनगर

श्रीनगर प्रशासन द्वारा 34 साल बाद शहर के परंपरागत मार्ग से 8 वें मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाजत देने से आशूरा यानी 10 वें मुहर्रम पर भी जुलूस निकालने की अनुमति मिलने की उम्मीद है.चूंकि 8 वें मुहर्रम पर जुलूस निकालने वाले प्रशासन से किए गए अपने वादे पर खरे उतरे हैं, इसलिए भी आशूरा पर जुलूस निकालने की अनुमति मिलने की संभावना जताई जा रही है.

मुहर्रम महीने की शुरूआत से ही शिया समुदाय जम्मू-कश्मीर के एलजी प्रशासन को 8 वें मुहर्रम और आशूरा पर जुलूस निकालने की इजाजत देने के लिए मनाने में लगा था. इसके लिए कई शिया उलेमा स्थानीय प्रशासन से मिले भी थे. यहां तक कि स्थानीय निकाय का प्रतिनिधित्व करने वालों ने भी इस बारे में अधिकारियों से चर्चा की थी. 
 
चंूकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दुनिया को यह भी दिखाना था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में सब कुछ सामान्य है, इसलिए एक दिन पहले सुरक्षा-व्यवस्था की समीक्षा बैठक के बाद 8 वें मुहर्रम यानी गुरूवार को श्रीनगर के परंपरागत मार्ग पर ताजिया और अलम जुलूस निकालने की इजाजत दे दी गई.
 
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परिणामस्वरूप 34 साल के प्रतिबंध के बाद गुरुवार को हजारों शिया मातमियों ने पारंपरिक गुरु बाजार-डलगेट मार्ग के माध्यम आठवीं मुहर्रम पर जुलूस निकाला.वे पहले श्रीनगर शहर के गुरु बाजार इलाके में एकत्र हुए. फिर बुडशाह चैक से होते हुए एम ए रोड और डलगेट तक मार्च किया.
 
सभी मार्गों पर कड़ी सुरक्षा तैनात की गई थी. साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए गए थे कि कोई अप्रिय घटना न हो. इसके लिए निर्धारित मार्ग पर सुरक्षाकर्मियों और संबंधित अधिकारियों को रात दो बजे ही तैनात कर दिया गया था.
 
मुहर्रम जुलूस निकलने पर इसमेंइमरान रजा अंसारी समेत बड़ी संख्या में शिया नेता शामिल हुए.कर्बला में बेरहमी से शहीद किए गए पैगंबर मुहम्मद (एसएडब्ल्यू) के नवासे इमाम हुसैन (एएस) और उनके साथियों के लिए स्तुति गाते हुए शिया समुदाय के लोगों ने शहर के गुरु बाजार क्वार्टर से पारंपरिक मार्गों पर डलगेट में इमामबारगाह की ओर जुलूस निकाला.
 
बता दें कि मुहर्रम इस्लाम के सबसे पवित्र महीनों में एक है. इस महीने दुनिया भर के शिया इमाम हुसैन (एएस) की शहादत पर शोक मनाने के लिए जुलूस निकालते हैं. इमाम हुसैन इराक में कर्बला की लड़ाई में 680 ईस्वी में शहीद हुए थे.
 
परंपरागत काले कपड़े पहने, भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गुरुवार की सुबह श्रीनगर शहर के मध्य से गुजरते हुए शोक मनाने वालों ने मातम किया और और मर्सिया यानी शोकगीत गाए.जुलूस सुबह 6 बजे शुरू होकर 8 बजे समाप्त हो गया.शोक मनाने वालों में से एक, शोएब अली ने कहा, यह वास्तव में कश्मीर के सभी लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन रहा. हमें जुलूस निकालने की अनुमति दी गई.हमने हर मुमकिन प्रयास किया कि यह  शांतिपूर्ण संपन्न हो जाए.
 
एक अन्य शौकत हुसैन ने कहा कि उन्होंने शांति के लिए जुलूस में बाधा डालने का हमारे समुदाय का कोई इरादा नहीं था.मुहर्रम जुलूस निकालने से पहले स्थानीय प्रशासन को शिया समुदाय ने भरोसा दिलाया था कि उनका कार्यक्रम बेहद शांति से संपन्न होगा.
 
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किसी तरह की हुल्लड़बाजी नहीं होगी. शांतिपूर्ण जुलूस संपन्न होने से वे अपने वादे पर खरे उतरे. इसके आधार पर ही वे शनिवार को आशूरा पर भी अलम जुलूस निकालने की इजाजत मांग रहे हैं.बता दें कि 1990 के दशक से पहले, मुहर्रम में शिया समुदाय की ओर से पारंपरिक रूप से श्रीनगर में दो बड़े जुलूस निकाले जाते थे.
 
एक 8वें मुहर्रम को गुरु बाजार इलाके से लाल चैक से होकर गुजरता हुआ डलगेट पर समाप्त होता था. दूसरा 10वें मुहर्रम का जुलूस अबी गुजर से शुरू होकर शहर के जदीबल क्षेत्र में समाप्त होता था.आतंकवादियों का जोर बढ़ने पर 1989 में इसपर प्रतिबंध लगा दिया गया था. मगर इसके 34 वर्षों बाद पहली बार गुरुवार को 8 वें मुहर्रम पर जुलूस निकालने की अनुमति दी गई.
 
श्रीनगर के डीसी अजाज असद ने कहा,जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा श्रीनगर के मध्य से 8वें मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने का फैसला एक बड़ा कदम है.हालांकि, प्रशासन ने जुलूस के लिए समय सीमा तय कर दी थी.डिप्टी कमिश्नर द्वारा बुधवार शाम जारी एक आदेश में कहा गया, 8 वीं मुहर्रम 1445 हिजरी को 27 जुलाई, 2023 को सुबह 6 बजे से सुबह 8 बजे तक गुरु बाजार से बुडशाह कदल और एम ए रोड, श्रीनगर के माध्यम से डलगेट तक मुहर्रम जुलूस निकालने की अनुमति दी गई है. 
 
आदेश में कहा गया, व्यापक जनहित में समय सीमा को अंतिम रूप दिया गया है, क्योंकि जुलूस मार्ग में बड़े पैमाने पर व्यापारिक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, अस्पताल, शिक्षण संस्थान और सरकारी कार्यालय हैं.अनुमति मिलने के तुरंत बाद बुधवार शाम शिया बहुल इलाकों में इमामबारगाहों और मस्जिद के लाउडस्पीकरों से घोषणाएं की गईं और मातम मनाने वालों से 8वीं मुहर्रम के जुलूस में भाग लेने का आग्रह किया गया.
 
अंजुमन-ए-शरी शियान, शिया एसोसिएशन और इत्तेहादुल मुस्लिमीन सहित सभी प्रमुख शिया पार्टियों ने लोगों से जुलूस में शामिल होने की अपील की.इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी ने एक वीडियो अपील जारी कर शोक मनाने वालों से फज्र की नमाज के बाद गुरु बाजार पहुंचने, अनुशासन बनाए रखने और शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस में भाग लेने का आह्वान किया.
 
चूंकि 10 वां मुहर्रम अवकाश का दिन है, इसलिए शिया समुदाय को उम्मीद है कि  इस दिन न केवल जुलूस निकालने की अनुमति दी जाएगी, समय सीमा भी बढ़ाई जाएगी.