निजामुद्दीन दरगाह, जहां हर शाम सजता है दस्तरखान, सभी धर्म के लोग होते हैं शामिल

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 20-04-2023
निजामुद्दीन दरगाह, जहां हर शाम सजता है दस्तरखान, सभी धर्म के लोग होते हैं शामिल
निजामुद्दीन दरगाह, जहां हर शाम सजता है दस्तरखान, सभी धर्म के लोग होते हैं शामिल

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में दूर दराज से लोग आते हैं. रमजान के पवित्र महीने में यहाँ हर शाम इफ्तार का दस्तरखान सजता है जिसमें सभी धर्म के लोग शरीक होते हैं. अपने परिवार के साथ यहां इफ्तार करने वालों की भीड़ लगी रहती है. शाम के वक्त इफ्तार से करीब एक घंटा पहले से इफ्तारी की तैयारी शुरु हो जाती है. 

सूरज ढलने के साथ दरगाह के पास की सड़कों पर सीख कबाब, हलीम, पकौड़े जैसे इफ्तार के व्यंजन बेचने वाली गाड़ियों की भरमार लग गई. यहां का नजारा भी बिल्कुल पुरानी दिल्ली, जाकिर नगर, शाहीन बाग जैसा लगने लगा.
 
iftar
दरगाह के पास इफ्तार के समय पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग अलग इंतजाम किया जाता है. पुरुष और महिलाएं अलग-अलग जगह बैठते हैं. इफ्तार का वक्त होते ही जोर का सायरन बजाया जाता है, जिसके बाद
 
रोजेदार पहले खजूर खाते हैं. उसके बाद ताजे फल, पकौड़े, समोसे, जलेबी, सूखे चने की दाल , रूहअफजा दूध शरबत और डिब्बाबंद जूस के गिलास का लुत्फ उठाते हैं.
 
निजामुद्दीन दरगाह की प्रसिद्ध कव्वालियां सुनने वालों का भी इस दौरान जमावड़ा लगता है. कव्वाली सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं. इफ्तार के बाद कव्वाली का प्रोग्राम चलता है. 
 
सैकड़ों साल से निजामुद्दीन दरगाह लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले अमित कुमार की दरगाह से गहरी आस्था है. कव्वाली सुनने के दौरान उनसे हुई मुलाकात में उन्होंने कहा,  मैं यहां हर साल रमजान के पाक महीने में आता हूं और दुआएं लेकर जाता हूं. वह आगे कहते हैं कि शाम के वक्त बहुत अच्छा लगता है. एक जगह सभी धर्म के लोग रोजा खोलते हैं. यही हमारी संस्कृति है.
 
samuhik iftar
 
वहीं हरियाणा के अंबाला के रहने वाले आनंद कुमार  परिवार के साथ दरगाह पहुंचे और सामूहिक इफ्तार में भाग लेने के बाद एक कोने में बैठ करने लगे. आनंद ने बताया कि दरगाह से रिश्ता पूर्वजों से जुड़ा हुआ है. हमलोग साल में दो तीन बार यहां आकर बाबा की दुआएं लेकर घर जाते हैं. बहुत अच्छा लगता है.
 
तंग गलियों से हो कर बाहर निकलने पर पैर रखने की जगह नहीं मिलती. कुछ ही दूरी पर तबलीगी जमात की मस्जिद है, जहां बड़ी तादाद में नमाजी जुटते हैं. 
 
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निजामुद्दीन दरगाह

आप अगर दिल्ली में रहते हैं तो एक बार जरुर रमजान के महीने में दरगाह हो आइए. यहां की सामुहिक इफ्तार में शामिल होना का अलग ही मजा है. जहां एक ही दस्तरखान पर दूसरे धर्मों के लोग साथ बैठ कर खाने में जो मजा लेते हैं. कोई भेदभाव नहीं होता.