नई सरकार से मुस्लिम बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, कलाकारों को हैं उम्मीदें

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 09-06-2024
What are the expectations of Muslim intellectuals, academics, clerics, artists and youth from the new government?
What are the expectations of Muslim intellectuals, academics, clerics, artists and youth from the new government?

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

नरेंद्र दामोदर दास मोदी रविवार शाम सवा सात बजे तीसरी बार एनडीए सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. वहीं नई सरकार से क्या उम्मीदें रहने वाली हैं, इसपर लगातार चर्चाएं जारी हैं. इस बीच आवाज द वॉयस ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से नई सरकार से उनकी क्या उम्मीदें हैं ये जाना. जिसमें खिलाड़ी, कलाकार, शिक्षाविद, पत्रकार, मोलवी आदि शामिल हैं.

जमीयत उलेमा फरीदाबाद अध्यक्ष- मौलाना जमालुद्दीन ने सबसे पहले नई सरकार बनने पर नरेंद्र मोदी को बधाई दी. साथ ही उन्होंने आशा जताई कि इस बार भी देश में वे और उनकी नई सरकार अमन और शांति का पैगाम बरकरार रखेगी.
 
साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि मजहब के नाम पर लोगों के बीच जो दरारें पैदा करने की कोशिश की जा रही हैं, उस माहौल को अब प्रधानमंत्री जड़ से उखाड़ फेंकेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि नौजवानों को नौकरियां मिलेंगी . कोई बेरोजगार नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि इस बार सबका साथ, सबका विकास और सब की भलाई के लिए कार्य किये जायंगे.
 
जिसमें ना हिंदू देखा जाएगा, ना मुस्लिम देखा जाएगा, ना सीख देखा जाएगा, बल्कि यह ध्यान में रखा जाएगा कि जिस तरीके से इतिहास के पन्नों में सभी ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों से देश को आजाद कराया था. ऐसे ही अब देश मजबूत कैसे किया जाए .
 
खाड़ी देशों पर अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले पत्रकार शाहीन नजर से जब बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस बार प्रधानमंत्री तीसरी बार शपथ ले रहे हैं. हमें उनसे कई उम्मीदें हैं.  अब सवाल उनकी सरकार के सर्वाइवल का भी है, इसीलिए अब मुझे लगता है कि वह सिर्फ बातों में ही नहीं कामों में भी आगे रहेंगे .
 
शायद उन्हें यह समझ भी आ गया होगा कि केवल भाषण बाजी से कुछ नहीं होता बल्कि धरातल पर कार्य करने से समाज और देश का विकास होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जो पार्टी मोदी जी का सपोर्ट कर रही है उनका इन्फ्लुएंस भी  नजर आएगा . वह सही महीना में मजबूत सरकार बनाएंगे. इस बार शाहीन नजर को चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान से उम्मीद है.
 
हिंदी भाषा की प्रोफेसर रक्षंदा रूही ने नई सरकार से  अहम मुद्दे पर ध्यान देने के लिए कहा. उनका मानना है कि इंटरनेट फ्री में नहीं बांटना चाहिए. इस पर अंकुश लगाने की बहुत ज्यादा जरूरत है. जब भी हम सोशल मीडिया खोलते हैं ,हमें बहुत सी ऐसी पोस्ट मिलती है जिनकी कोई जरूरत नहीं होती. जो केवल नफरत और द्वेष की भावना का संचार करते हैं.
 
ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को सोशल मीडिया के लिए सीमित तरीके खोजने होंगे जिससे युवाओं का भविष्य उज्जवल हो ना कि वह अंधकार में जाए.मैं एक अध्यापक हूं, इसीलिए मैं इस बात को महसूस कर सकती हूं कि अब बच्चे कक्षा में उतना ध्यान नहीं देते.
 
उन्हें लगता है कि दिन भर का डेढ़ जीबी डाटा ही उनकी जिंदगी है. ऐसा नहीं है. इस डेढ़ जीबी के मिल जाने के बाद लोग भूल जाते हैं कि वह बेरोजगार हैं. उन्हें रोजगार की जरूरत है ऐसे में इंटरनेट पर अंकुश लगाना जरूरी हो चुका है.
 
कम्युनिकेशन एक्सपर्ट सारिका मलिक का कहना है के सरकार को इस बार शिक्षा के क्षेत्र में अहम कदम उठाने चाहिए. नई माताओं के लिए मॉल/सार्वजनिक स्थानों पर शिशु आहार कक्ष होने चाहिए. लिंग के आधार पर नहीं बल्कि कौशल के आधार पर समान वेतन मिलना चाहिए. शिक्षा और दवा पर सब्सिडी जरूरी है. सैनिटरी नैपकिन से जीएसटी हटाना जरूरी है क्योंकि यह भी एक विलासिता उत्पाद नहीं है.
 
मेजर मोहम्मद अली शाह ने नई सरकार से तीन खास बातों पर उम्मीदें जताई. वह चाहते हैं कि नई सरकार सेकुलर रहे, जाति, धर्म, वर्ग, रंग के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को तरक्की की ओर अग्रसर करें. साथ ही उन्हें उम्मीद है कि इस बार नई सरकार और जनता के बीच संचार मजबूत होगा और जनता अपनी बात नई सरकार तक बेहतर तरीके से पहुंचा पाएगी और नई सरकार भी हर एक वर्ग की बात समझेगी उसे पर गौर करेगी .
 
ऐसे निर्णय लेगी जिसमें सब की भलाई हो. साथ ही जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस बार गठबंधन की सरकार है ऐसे में सरकार की नई स्कीम्स के बारे में भी जनता को जागरूक होना जरूरी होगा. सरकार समाज के किसी एक वर्ग की नहीं बल्कि पूरे देश की बनेगी.
 
तबला वादक कलाकार साबिर हुसैन का कहना है कि सरकार शास्त्रीय संगीत के लिए जिन ऑर्गेनाइजेशंस को बजट पास करती है. उसमें कोई रुकावट ना आए तो उन्हें अपने देश की सांस्कृतिक शास्त्रीय संगीत धरोहर को बचाने में आसानी होगी और साथ ही शास्त्रीय कलाकारों को बढ़ावा मिलेगा उनका मनोबल और ज्यादा स्ट्रांग होगा और वह देश ही नहीं विदेशों में भी भारत की शास्त्रीय संगीत को अलग-अलग मंचों पर प्रदर्शित करने में गर्व महसूस करेंगे क्योंकि कलाकार भी देश का भविष्य है और देश की धरोहर को समेटे हुए हैं.
 
डॉक्टर शाइस्ता खान का कहना है कि निजी स्वास्थ्य सेवा लागत के मानकीकरण की आवश्यकता है. कुछ निजी अस्पतालों द्वारा लगाए जाने वाले अत्यधिक शुल्क, निम्न और मध्यम सामाजिक आर्थिक वर्ग के नागरिकों के लिए आवश्यक चिकित्सा सेवाओं तक पहुँच को बाधित करते हैं.
 
पिछले कार्यकाल में, स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल, राष्ट्रव्यापी एक समान शुल्क के लिए राज्य सरकारों के साथ परामर्श करने के लिए एक स्वागत योग्य कदम था. उन्होंने सरकार से इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया, ताकि स्वास्थ्य सेवा सस्ती और सुलभ हो सके.