फरहान इसराईली/ जयपुर
राजस्थान में वैसे तो सांस्कृतिक धरोहरों की भरमार है,लेकिन इन धरोहरों को संरक्षित करने का काम भी मजबूत इरादों से कम नहीं.आज हम ऐसे ही एक शख्स का परिचय कराने जा रहे हैं जिनका ताल्लुक राजस्थान की राजधानी जयपुर से है.वह राजस्थान सहित देश भर की सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने का काम बखूबी करती आ रही हैं.
हम बात कर रहे हैं राजस्थान की मशहूर आर्ट कंजरवेटर मैंमूना नरगिस की,जिसका काम अपने आप में एक चुनौती है.आर्ट कंजरवेटर यानी बेजान चीजों की डाक्टर.मैमूना कला संरक्षक के रूप में भारत में एक अलग पहचान बना चुकी हैं.उनके काम करने की लगन और जुनून उन्हें आम औरतों से अलग रखता है.एक महिला होकर स्कैफफोल्डिंग पर चढ़कर काम करना, मर्दों की तरह हेरिटेज कन्सट्रकशन की कान्ट्रेक्टर बनना किसी चुनौती से कम नहीं.
मैमूना नरगिस ने भारत की दुर्लभ होती हुई कला एवं कलाकृतियों का कंज़रवेशन ही नहीं किया,अपने लेख और कार्यों से भारत की हेरिटेज कला एवं हैरिटेज कन्सट्रकशन को लोगों के बीच लाकर दोबारा से पहचान करवाई.मैमूना नरगिस ने कई प्रोग्राम हेरिटेज इमारतों और संग्रहालय में रखे सामान के प्रति आम भारतीय की ज़िम्मेदारी और उनमें एवरनेस पैदा करने के लिए वर्कशॉप, सेमिनार एवं अखबारों में लेख भी छपवाये.
उन्होने ने बड़ी बड़ी चुनौती भरे काम अपने हाथों में लेकर जीवन देकर बताया कि कुछ भी नामुमकिन नहीं.राजस्थान के सोलह म्यूजियम में रखे सामान का कंज़रवेशन भी आप कर चुकी हैं.मैंमूना नरगिस आवाज़ द वॉयस को बताती है कि कैसे उनहोंने 400 साल पुरानी 67 फीट लम्बी गीता के टुकड़ों को जोड़ा, 700 साल पुराने सोने से लिखे क़ुरान को ठीक किया.
मैमूना ने राष्ट्रीय संग्रहालय में मुगलकालीन मैन्युस्क्रिप्ट का कंज़रवेशन किया.जैसलमेर के लोद्रवा में मशहूर जैन मंदिर में रखे 400साल पुराने रथ को दुबारा चलाकर दिखा दिया,जो रथ बाहर खड़े होने के कारण दीमक ने खा लिया था.पहिये की लकड़ी मिट्टी बन गई थी.
मैमूना ने ना किसी कारपैन्टर और ना कोई कील का सहारा लिये.उसे दोबारा से संरक्षित करने का कार्य किया.मैमूना बताती है कि मुंबई एयरपोर्ट पर 200साल पुरानी पन्द्रह फीट पालिताना कैनवास पेंटिंग जो छोटे छोटे टुकड़ों में थी,उन्होंने उसको भी जोड़ा.कोटा म्यूजियम में रखी अभ्रक पर बनी मिनिएचर पेंटिंग्स का कंज़रवेशन किया.
टैक्सीडर्मी जानवर, परिन्दे और रेप्टाइल्स का संरक्षण किया.जिसमें शेर, अजगर, मगरमच्छ, घड़ियाल, हिरण, चीता, रीछ, बंदर एवं वनमानुष थे.मैन्युस्क्रिप्ट पाण्डुलिपियां हो या रेयर किताबें सबको ज़िन्दगी दी है मैंमूना नरगिस ने.आमेर महल की दीवारें हो या कमरे या सड़कें, नाहरगढ़ के कला के कमरे हो या हवामहल के दरवाज़े, एल्बर्ट हाल की फ्रेस्को हो या ममी का सामान, राजस्थान के संग्रहालयों में सजी मिनिएचर पेंटिंग हो या दीवारों पर बनी पेंटिंग या अराइश प्लास्टर हो या पत्थर की बनी कलाकृतियां सबको जीवन दान देने वाली मैमूना नरगिस की ज़िन्दगी आसान नहीं थी.
मैमुना बताती हैं कि पूरे भारत में मुस्लिम महिला आर्ट कंजरवेटर होना मेरे लिए गर्व है.उससे बड़ा गर्व ये है कि मैं अपने देश की धरोहर विरासत कला को बचाने वाली ज़रिया बनी.मुम्बई व दिल्ली एयरपोर्ट पर कला एवं कलाकृतियों का कंज़रवेशन किया.मैमूना नरगिस का अब एक और मिशन है भारत की कला एवं हेरिटेज कन्सट्रकशन को दोबारा शुरू करवाना.
मैमूना नरगिस आजकल उसी में काम कर रही हैं, बड़े बड़े व्यापारी एवं उद्योगपति उनके काम से प्रभावित होकर अब कन्सट्रकशन सीमेन्ट में नहीं,बल्कि सुरख़ी, प्लास्टर चूना प्लास्टर अराइश प्लास्टर में करवा रहे हैं.सीमेंट से बनी इमारत गर्म रहती हैं.तपती हैं,मगर हेरिटेज तरीके से बननी बहुत ठण्डक देती हैं.मैमूना नरगिस की कोशिश है भारत की कला एवं संस्कृति को दोबारा जिंदा करना.
लोग जितना आधुनिक सामग्रियों का इस्तेमाल कर रहे हैं उतना ही घर तप रहे हैं और कमजोर हो रहे हैं.परन्तु नैचुरल सामग्री से बनी इमारतों को ग़ौर कीजिये तो कई सौ साल से ऐसे ही मजबूत हैं.हम अपने भारत की मिट्टी का अपमान करते हैं अगर हम अपनी ही कला एवं संस्कृति को भूल जाते हैं.
मैमूना नरगिस मशीन से बनी कला को रिजेक्ट करके हाथ की बनी कला को महत्व देकर भारत की हस्तकला को बढ़ावा देने का भी काम कर रही हैं.राजस्थान के 16म्यूजियम में काम कर चुकी मैंमूना नरगिस ने 5-13शताब्दी की पत्थर की मूर्तियों का कंज़रवेशन किया.
साथ ही राजाओं के लिबास भी कंज़रवेशन और रिपेयर करके जीवन दिया.हेरिटेज जैन मन्दिर, बुद्धिस्ट मठ, हिंदू मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च एवं मस्जिद का कंज़रवेशन किया.लकड़ी का ऐन्टीक सामान हो या काग़ज़, चमड़े लकड़ी पर बनी पेंटिंग हो या दीवारों पर बनी म्यूरल और फ्रेस्को पेंटिंग, ऐन्टीक लिबास हों या जानवरों की खालें, या हाथी दांत का बना पुरानी कलाकृतियां, सबका कंज़रवेशन किया मैंमूना नरगिस ने.
जयपुर एयरपोर्ट पर अडानी ग्रुप के साथ मैंमूना नरगिस ने राजस्थान की कला पर काम किया.शीश महल वाली कला हो या म्यूरल पेंटिंग, ग्लास पेंटिंग सब राजस्थान के महलों की कला को एयरपोर्ट पर उकेर कर उसे भी राजस्थान का हिस्सा बना दिया मैंमूना नरगिस ने.मैमूना नरगिस ने अब तक दो नेशनल अवार्ड और 24राजस्थान स्तर पर अवार्ड प्राप्त किये हैं.
मैमूना नरगिस की एक पहचान नहीं है.ये इनका व्यावसायिक और पसन्द दोनों का ख़ुलासा किया, अब मैं एक दूसरी मैंमूना नरगिस को दिखाने की कोशिश कर रहा हूँ जिसमें एक आर्ट कंजरवेटर के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी बेहतरीन नज़र आती है. औरतों के मसले हों या लड़कियों की शिक्षा, गरीबों के लिए आवाज उठाना उनके लिए जुनून की हद तक है.बेखौफ निडर हौसले वाली मैमूना नरगिस उन कमजोर लोगों की आवाज़ बनती हैं,जिनका अक्सर अपने भी साथ छोड़ देते हैं.
मैमूना नरगिस ने कई बार भारतीय हेरिटेज इमारतों की सुरक्षा में सेमिनार, कार्यशाला, और अख़बार में लेख भी छापे हैं,ताकि लोग जो देखने जाते हैं वो दीवारों पर थूके नहीं. नाम नहीं लिखे.मैमूना नरगिस कहती हैं कि सिर्फ सरकार या सरकारी विभागों की ज़िम्मेदारी नहीं है.
जो लोग इन्हें टिकट लेकर देखने आते हैं उनकी भी जिम्मेदारी है उनकी सुरक्षा और सफाई की.ये हमारे देश की धरोहर है, प्राचीन सामान और इमारतें हमारे देश की पहचान और खुबसूरती हैं और ना जाने कितने घरों का रोज़गार भी.हमारी आने वाली नस्लों के लिए हमें इनको सुरक्षित रखना है ताकि हमारे बच्चे भी हमारी कला संस्कृति को जान सकें.
एक नजर में मैमूना
मैमूना नरगिस कला एवं संस्कृति विभाग के द्वारा पुरातत्व विभाग राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब इत्यादि और राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के कार्य कर चुकी हैं. मैमूना नरगिस प्राइवेट बड़ी कंपनियों के साथ भी काम कर चुकी हैं जैसे जी वी के, अडानी ग्रुप, दिल्ली एयरपोर्ट, मुंबई एयरपोर्ट अथॉरिटी इत्यादि। फर्म का नाम आर्ट कन्जर्वेशन एण्ड रेस्टोरेंट हाउस है.
मैमूना नरगिस ने फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन और म्यूजियोलॉजी डिप्लोमा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से करने के बाद, म्यूजियोलॉजी डिपार्टमेंट से स्कालरशिप पर तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स के लिए नेशनल म्यूजियम नई दिल्ली भेजा, जो वुडन कंज़रवेशन पर था.
उसके बाद मैंमूना नरगिस ने नेशनल म्यूज़ियम संस्थान से मास्टर्स कंज़रवेशन किया. फिर पेंटिंग कंजर्वेशन पर एक और तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स किया. मैमूना नरगिस ने पेपर कंज़रवेशन, हर थीम हर तरह की पेंटिंग कंज़रवेशन, वुडन सामान का कंज़रवेशन, हेरिटेज कंजर्वेशन, टेक्सटाइल कंज़रवेशन, स्टफ ऐनिमल कंज़रवेशन किया है.
मैमूना नरगिस ने भारतीय सेना के 1971 युद्ध के सीक्रेट दस्तावेज और नक्शे का भी कंज़रवेशन किया पोखरण राजस्थान में. मैमूना नरगिस ने फ़िरोज़पुर भारतीय सेना के राजपूताना मैस में म्यूलर पेंटिंग से राजस्थानी इंटीरियर डिज़ाइन किया.
मैमूना नरगिस हाल में कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं जैसे भारतीय सेना, एक भारत की बड़ी कन्सट्रक्शन कम्पनी, दो प्रोजेक्ट प्राइवेट इत्यादि.मैमूना नरगिस हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात काम कर चुकी हैं. मैंमूना की उम्र 46 वर्ष है.