Hajj 2025 Khutba to be translated into 34 languages: Historic initiative
वर्दा शाहिद
मक्का से एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व घोषणा सामने आई है. सऊदी अरब में स्थित दो पवित्र मस्जिदों के मामलों की सामान्य अध्यक्षता (The General Presidency for the Affairs of the Two Holy Mosques) ने इस वर्ष हज 1446 (2025) के दौरान दिए जाने वाले ख़ुतबे को दुनिया भर के हाजियों के लिए 34 भाषाओं में अनुवादित करने की योजना की घोषणा की है.
इस साल का पवित्र हज ख़ुतबा प्रतिष्ठित इस्लामी विद्वान शेख सालेह बिन हमैद (Sheikh Salih Bin Humaid) द्वारा दिया जाएगा. यह ख़ुतबा मक्का की ऐतिहासिक मस्जिद नमिरा से दिया जाएगा और इसे दुनियाभर में लाखों हाजियों तक प्रसारित किया जाएगा.
यह सेवा पिछले वर्ष की तुलना में एक बड़ी छलांग है, जब केवल 10 भाषाओं में ख़ुतबे का अनुवाद किया गया था. इस साल की नई योजना हज अनुभव को और अधिक समावेशी एवं सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
किस प्रकार किया जाएगा प्रसारण?
ख़ुतबे का सीधा प्रसारण (Live Broadcast) कई माध्यमों से किया जाएगा। इनमें एफएम रेडियो चैनल, विशेष मोबाइल एप्लिकेशन, और मक्का में मौजूद हाजियों के लिए ग्रैंड मस्जिद (Masjid Al-Haram) में लाइव इंटरप्रिटेशन (सीधा अनुवाद) सेवाएं शामिल होंगी.
इस ऐतिहासिक प्रयास के तहत The Islamic Information जैसे डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म भी लाइव मल्टी-लैंग्वेज ब्रॉडकास्ट प्रदान करेंगे. यह सुविधा उन लोगों के लिए भी उपयोगी होगी जो हज पर नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन ख़ुतबे की शिक्षाओं को अपनी मातृभाषा में सुनना चाहते हैं.
तकनीकी तैयारी पूरी
अधिकारियों ने घोषणा की है कि सभी तकनीकी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं ताकि अनुवाद की गुणवत्ता उच्च स्तर की बनी रहे और संचार में किसी प्रकार की बाधा न आए. हाजियों के मोबाइल डिवाइसों के लिए समर्पित ऐप्लिकेशन, साथ ही ग्रैंड मस्जिद में उपस्थित लोगों के लिए ईयरपीस सुविधा की भी व्यवस्था की गई है.
वैश्विक हाजियों के लिए वरदान
यह पहल उन लाखों हाजियों के लिए एक वरदान साबित होगी जिन्हें अब तक भाषा संबंधी अवरोधों के कारण ख़ुतबे को पूरी तरह समझने में कठिनाई होती थी। अब वे इस्लाम की महत्वपूर्ण शिक्षाओं को अपनी भाषा में सुन सकेंगे और हज के इस सबसे अहम क्षण में पूरी तरह सम्मिलित हो सकेंगे.
हज 2025 की तैयारियाँ अब अपने अंतिम चरण में हैं, और यह अनुवाद सेवा उन कई सुधारों में से एक है जो अंतरराष्ट्रीय हाजियों के अनुभव को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लागू की जा रही हैं.
यह पहल न केवल इस्लामी एकता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आधुनिक तकनीक और समावेशिता के माध्यम से धार्मिक अनुष्ठानों को और अधिक सार्वभौमिक और सुलभ कैसे बनाया जा सकता है.