जश्न ए अदब का दूसरा दिन, कोई जाए मंदिर में कोई दे अज़ान, कोई जाए गिरजा में कोई दे सत्लाम, पर झूमे लोग

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  onikamaheshwari | Date 25-02-2024
Second day of Jashn-e-Adab, some go to the temple, some give Azaan, some go to the church, some give Satlam, but people dance.
Second day of Jashn-e-Adab, some go to the temple, some give Azaan, some go to the church, some give Satlam, but people dance.

 

 मोहम्मद अकरम/ नई दिल्ली

अदब की महफिल जश्न ए अदब के दूसरे दिन भारत के मशहूर कलाकारों ने अपनी कला से लोगों का दिल जीत लिया. जैसे ही पद्म भूषण पंडित साजन मिश्रा और पं. स्वरांश मिश्रा और पद्मश्री उस्ताद गुलफाम अहमद खान ने मस्त क़लंदर गाता जाए मस्त क़लंदर, अल्लाह तेरी शान मौला तेरी शान, तू ही दिल में तू ही लब पे तू ही चारों धाम पढ़ा कि सैकड़ों की संख्या में मौजूद दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया. मस्त कलंदर के हवाले से बात करते हुए पद्मश्री उस्ताद गुलफाम अहमद खान ने बताया कि गीत में बदलाव करते हुए अलग शेर जोड़ने की कोशिश की हैं. 

अल्लाह तेरी शान मौला तेरी शान
तू ही दिल में तू ही लब पे तू ही चारों धाम
कोई जाए मंदिर में कोई दे अज़ान
कोई जाए गिरजाघर कोई दे सत्लाम
 
इसके अलावा जश्न ए अदब के दूसरे रोज ऑडिटोरियम में मशहूर शायर मिर्जा ग़ालिब पर ड्रामा पेश किया गया जिसका विषय था “देश विरोधी ग़ालिब (Anti National Ghalib), जिसे लिखा था डा दानिश इकबाल और डायरेक्ट किया था अनिल शर्मा ने.
 
 
ग़ालिब देश विरोधी नहीं
 
‘ड्रामा देश विरोधी ग़ालिब’ जिसमें, ये दिखाने की कोशिश कि गई हैं कि कैसे उर्दू के इस कवि की जिंदगी परेशानियों से गुजरी थीं. गालिब की विरासत में जमीन व जायदाद थीं लेकिन राजाओं ने नहीं दिया. गालिब के उपर जो आरोप लगता रहा है कि उसे अंग्रेज की तरफ से वजीफा दिया गया था. जिसमे के जवाब में गालिब ने जवाब दिया कि उनके पूर्वजों की जमीनों को अंग्रेजों ने हड़प ली उसका जवाब दुनिया क्यों नहीं देती है. 
इस प्ले में शायर मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़ को भी दिखाया गया जो गालिब के समकालीन शायर थे. आखिर में जज ने मिर्जा ग़ालिब को देश विरोधी के आरोप से बाइज्जत करते हुए उसे देश प्रेम बताया.
 
दिल्ली वालों का मुशायरा
 
वहीं दूसरी तरफ़, मुशायरा दिल्ली वालों का आयोजन किया गया था जिसमें विशेष कर दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले शायरों ने हिस्सा लिया, जिसमें ये दिखाने की कोशिश की गई आज से वर्षों पहले दिल्ली का मुशायरा किस तरह होता है, मौजूदा मुशायरों से बिल्कुल अलग हटकर. इसमें वक़ार मानवी, शाहिद अनवर, तसलीम दानिश, खालिद अखलाक, अनस फैजी, इमरान राही, अब्दुल्लाह मीरास, सिकंदर मिर्जा के नाम शामिल हैं. 
 
 
रील का भविष्य अंधकार
 
चौपाल में ‘सिनेमाई हकीकत पसंदी की नई जमीन’ के चर्चा में हिंदी फिल्म के अभिनेता विनय पाठक, रिचा चड्ढा, फैसल मलिक आदि ने हिस्सा लिया. रिच्चा चड्डा के सवाल का जवाब देते हुए विनय पाठक ने कहा कि मौजूदा वक्त में जिस तरह से लोग फिल्म की जगह रील बनाने को तरजीह दे रहे हैं इसका भविष्य अंधकार है.
 
देर शाम कव्वाली का आयोजन किया गया जिसे मुनव्वर मासूम और उसकी टीम ने पेश किया. जिसमें मौला अली मौला अली के अलावा अमीर खुसरो की गीत गाया गया जिस पर लोग झूम उठे. 
 
इसके अलावा जश्न ए अदब के दूसरे रोज के दिन ख्वातीन का मुशायरा का आयोजन किया गया. जिसमें रेणु हुसैन, रेणु नय्यर, अरजा नक़वी, सलमा शाहीन, मीनाक्षी, माधवी शंकर ने गीत व गजल पेश की.