डूबते जोशीमठ में पुनर्वासः जमात-ए-इस्लामी की टीम को है बुलावे का इंतजार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-02-2023
 जोशीमठ में पुनर्वास
जोशीमठ में पुनर्वास

 

 

गौस सिवानी / नई दिल्ली


दिल्ली स्थित सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्यूचर (एसबीएफ) के स्वयंसेवकों का एक समूह जोशीमठ के परिवारों के पुनर्वास के प्रयासों में शामिल होने के लिए उत्तराखंड सरकार के आह्वान का इंतजार कर रहा है. आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जमात-ए-इस्लामी हिंद के तत्वावधान में काम करने वाले युवाओं के एक संगठन एसबीएफ ने आमिर जमाल के नेतृत्व में एक टीम शहर में भेजी थी, ताकि पीड़ितों और प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने में मदद की जा सके. अतीत में, एसबीएफ ने प्राथमिक चिकित्सा आपूर्ति, आश्रय, कंबल, पानी, भोजनऔर अन्य बुनियादी सामग्री प्रदान करके बिहार, असम, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं का तुरंत जवाब दिया है.


आवाज-द वॉयस के साथ बात करते हुए, जमाल ने कहा कि वे धर्म, जाति, समुदाय, रंग आदि पर विचार किए बिना साथी मनुष्यों की मदद करते हैं. जमाल और उनकी टीम के सदस्यों को आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित किया गया है और वे पहले ही विभिन्न आपदाओं के बीच रह चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम बाढ़, भूकंप, या अन्य कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं.’’ जोशीमठ के लिए उनकी टीम के सदस्य इरफान अहमद (राष्ट्रीय समन्वयक), वसीम अहमद, देवाशीष और गौरी भट्ट हैं.

 

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आमिर जमाल ने बताया कि कस्बे में अब तक 68 घरों को खाली कराया जा चुका है. ‘‘हमने इन सभी घरों का बारीकी से अवलोकन किया. कस्बे में रहने वाले स्थानीय लोगों को आजीविका और आवास की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.’’उन्होंने कहा कि एक गैर सरकारी संगठन के रूप में “हम सरकार द्वारा भूमि आवंटित किए जाने पर लोगों को घर बनाने में मदद कर सकते हैं. हमने एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) के प्रमुख, स्थानीय पार्षदों, स्थानीय लोगों और सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की. हमने उन्हें बताया कि हमारी टीम किसी भी सहायता या भूमिका के लिए आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध है.”

 

आमिर जमाल ने कहा कि जोशीमठ में स्थिति का आकलन करने के बाद, टीम ने महसूस किया कि “अभी एनजीओ की वहां कोई भूमिका नहीं है. जिन परिवारों के मकान खतरनाक एवं ध्वस्त घोषित किये जा चुके हैं, उन्हें आवंटन हेतु वैकल्पिक भूमि चिन्हित करने का कार्य सरकार के पास है.” आमिर ने कहा कि जोशी मठ में रहने वाले ज्यादातर लोग संपन्न हैं और उनके लिए पैसे की कमी कोई समस्या नहीं है. ‘‘हमने सर्वेक्षण में पाया कि अधिकांश लोगों के पास जोशीमठ के अलावा अन्य जगहों पर घर हैं. कई लोग दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं.’’ उन्होंने कहा कि जिन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है, उन्हें सरकार द्वारा प्रतिदिन पैसा दिया जा रहा है.

 

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आमिर की टीम ने पाया कि वहां ज्यादातर लोगों को मदद की जरूरत नहीं थी. कुछ लोगों को ठंड से बचाने के लिए कंबल की जरूरत पड़ी और वह हो गया. आमिर जमाल ने कहा कि जब आपदा पीड़ितों को एक नए स्थान पर स्थानांतरित किया गया, तो उनकी टीम ने उन्हें भोजन और आश्रय प्रदान किया. उन्होंने कहा, ‘‘उनकी समस्या का समाधान यही है कि उन्हें जल्द से जल्द सरकार द्वारा जमीन दी जाए और बसाया जाए.’’

 

आमिर जमाल के मुताबिक तपोवन विष्णु जलविद्युत परियोजना के लिए 12 किमी लंबी सुरंग के निर्माण को लेकर लोग एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) से नाराज हैं और इसे दरार का कारण मान रहे हैं. हालांकि, एनटीपीसी ने स्पष्ट किया है कि सुरंग कठोर चट्टान के साथ है और इसलिए इसके आसपास के इलाके को प्रभावित करने की संभावना नहीं है. अधिकारियों का आरोप है कि शहर में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण आपदा के पीछे हैं. जोशीमठ केदारनाथ के हिंदू तीर्थयात्रा के लिए आधार शिविर है.

 

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एसबीएफ के राष्ट्रीय समन्वयक इरफान अहमद ने जोशीमठ की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सोसायटी वहां की स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है और राहत एवं बचाव कार्यों में उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग को सहयोग करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि मंत्री और राज्य के संबंधित विभाग के अधिकारियों से चर्चा की गई है. एसबीएफ राज्य सरकार के साथ मिलकर लोगों की हर संभव मदद कर रहा है.

 

इस बीच खबर है कि मौसम साफ होने के बाद जोशीमठ में चिन्हित होटलों को तोड़ने का काम शुरू हो गया. साथ ही इस बीच कुछ और घरों में भी नई दरारें आई हैं, जिन्हें चिन्हित किया जा रहा है. स्थानीय लोग भी उनके पुनर्वास की धीमी गति का विरोध कर रहे हैं. विस्थापितों को राहत शिविरों में रखा गया है. राहत शिविरों में महिलाओं और बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

 

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वहीं दूसरी ओर भू-स्खलन से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए उद्यानिकी विभाग की भूमि पर पूर्वनिर्मित आवासों का निर्माण तेजी से चल रहा है. उद्यानिकी विभाग की भूमि पर टीपीसी तेरह व 15 ढाका में तीन पूर्वनिर्मित आवासों का निर्माण किया जा रहा है. वहां एक, दो और तीन कमरों के पूर्वनिर्मित मकान बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा, ढाक गांव में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की के तकनीकी सहयोग से 15 आवासों का निर्माण किया जा रहा है. आरडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता अल्लाह दिया ने कहा कि मकानों का निर्माण अंतिम चरण में है.उन्होंने कहा कि प्रीफैब्रिकेटेड घरों के निर्माण के लिए कस्टमाइज्ड पैनल में समय लग रहा है क्योंकि इन्हें भविष्य के आवंटियों द्वारा दिए गए विनिर्देशों के अनुसार बनाया जाना है और काम में तेजी लाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.

 

अब तक जोशीमठ में 868 घरों की पहचान खतरनाक के रूप में की गई है, क्योंकि इनमें दरारें आ गई हैं. साथ ही, 243 परिवारों के 878 लोगों को प्रशासन द्वारा किराए के भवनों और राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोशीमठ का भवन भी असुरक्षित है. यहां के मुख्य भवन के फर्श, आंगन व ओपीडी कक्ष में दरारें बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग ने इसका उपयोग बंद कर दिया है.

 

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इसे देखते हुए सीबीआरआई ने स्वास्थ्य विभाग को 12 बेड का प्रीफैब्रिकेटेड भवन बनाने की सलाह दी है. सीएचसी जोशीमठ के मुख्य भवन में पिछले डेढ़ साल से दरारें आ गई हैं. अब धीरे-धीरे ये दरारें बढ़ती जा रही हैं. खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने 10 जनवरी से भवन का उपयोग बंद कर दिया है.

 

वर्तमान में सामान्य वार्ड के स्थान से ओपीडी व इमरजेंसी का संचालन किया जा रहा है. डिप्टी सीएमओ डॉ. एमएस खाती ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने उद्यानिकी विभाग की जमीन पर प्रीफैब्रिकेटेड अस्पताल बनाने का प्रस्ताव प्रशासन को दिया है.