आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
हिमाचल प्रदेश के 89 श्रेणियों में कार्यरत लगभग 14,000 सरकारी कर्मचारी हिमाचल प्रदेश सिविल सेवा (संशोधित वेतन) द्वितीय संशोधन नियम-2025 से प्रभावित होंगे। इसे सरकार ने शनिवार को अधिसूचित किया है.
सचिवीय कर्मचारी संघ के महासंघ के संजीव शर्मा ने रविवार को कहा कि इस संशोधन में तीन जनवरी, 2022 को जोड़े गए नियमों की धारा 7ए को हटाने का प्रावधान है। इससे लगभग 14,000 कर्मचारी प्रभावित होंगे, जिन्हें एक जनवरी, 2016 से संशोधित वेतनमान के पुनर्निर्धारण के बाद प्रति माह 5,000 से 15,000 रुपये का नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की है और सोमवार को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (वित्त) से मिलने और संशोधित नियमों से संबंधित अधिसूचना वापस लेने की अपील करने का फैसला किया.
उन्होंने कहा कि इस फैसले का असर निचले और मध्यम वर्ग के कर्मचारियों पर पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपने बच्चों की स्कूल फीस, ऋण की किस्तें और अन्य नियमित खर्चों सहित अपने खर्चों को वेतन के अनुसार समायोजित करते हैं, और वेतन में गिरावट कर्मचारियों के लिए झटका है।
शनिवार शाम को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन इस प्रकार पुनर्निर्धारित किया जाएगा मानो धारा 7ए कभी शामिल ही न की गई हो, और वेतन पुनर्निर्धारण में पाए गए किसी भी अधिक भुगतान की कोई वसूली नहीं की जाएगी।
धारा 7ए में प्रावधान था कि जिन पदों/श्रेणियों के वेतन बैंड या ग्रेड वेतन को संशोधित (वेतन) नियम, 2009 के कार्यान्वयन के बाद पुनर्संशोधित नहीं किया गया था, उनका वेतन एक जनवरी, 2016 को वेतन मैट्रिक्स में लागू स्तर पर वेतन, 31 दिसंबर, 2015 को मौजूदा मूल वेतन को 2.59 के कारक से गुणा करके प्राप्त किया जाएगा, जबकि नियमों की धारा 7ए को हटाने के बाद गुणन कारक 2.25 होगा।
संशोधित नियमों का निहितार्थ यह होगा कि वेतन संशोधन के लिए गुणन कारक 0.34 कम होगा, और पुनर्निर्धारण के बाद मूल वेतन आनुपातिक रूप से कम हो जाएगा।
हानि का निर्धारण असंशोधित मूल वेतन के आधार पर किया जाएगा, जो गुणन कारक लागू करने का आधार होगा। हालांकि, यह अधिसूचना केंद्र सरकार की सेवाओं के कर्मचारियों और संशोधित यूजीसी वेतनमान के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी।