आशा खोसा /नई दिल्ली
दिसंबर के मध्य में, हरियाणा के सोनीपत की सुमन और उनके पति दीवान अरोड़ा जब हिंदुओं के पवित्र स्थलों में से एक तमिलनाडु के रामेश्वरम के लिए रवाना हुए, तो उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनकी यात्रा उन्हें एक अन्य पवित्र जगह तक ले जाएगी. यह जगह है- अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम यानी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का स्मारक.
भारत के 11 वें राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के पैतृक शहर रामेश्वरम स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर जाने के अपने अनुभव साझा करते हुए केंद्र सरकार की सेवानिवृत्त अधिकारी सुमन ने कहा, ‘‘मुझे वह जगह छोड़ने का मन नहीं कर रहा था.’’सुमन ने कहा, ‘‘ जैसे ही उन्होंने राष्ट्रीय स्मारक में प्रवेश करने के लिए अपना जूता उतारा, अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार महसूस हुआ. उन्होंने और अन्य पर्यटकों ने स्मारक के अंदर राष्ट्रपति के विश्राम स्थल को प्रणाम किया.
आवाज द वॉयस से बात करते हुए वह कहती हैं,“मंदिर में दर्शन करने के बाद मैं उस स्थान पर पहुंची. वहां पहुंचकर मुझे लगा कि मैं एक अन्य पवित्र स्थल में प्रवेश कर रही हूं .’’
रामेश्वरम में सुमन और दीवान अरोड़ा
दक्षिण भारत की अपनी पहली यात्रा पर, सुमन ने कहा कि वह मदुरै में रामेश्वरम और मीनाक्षी जैसे मंदिरों की भव्यता और वास्तुकला से उतनी ही प्रभावित हैं जितनी कि महान भारतीय एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन की सादगी और भव्यता से.वह बताती हैं, “मंदिरों की अविश्वसनीय वास्तुकला को देखना शानदार अनुभव रहा. अब्दुल कलाम के संग्रहालय का दौरा करना भी इससे कुछ कम नहीं. वह कहती हैं, हमारे लिए यह भी एक तीर्थ यात्रा ही थी.
संग्रहालय रामेश्वरम शहर के पर्यटन मानचित्र पर है. अरोड़ा के अनुसार, यहां स्थानीय अॉटो-रिक्शा चालक, आगंतुकों को टूर पैकेज की पेशकश करते हुए संग्रहालय को पहले स्थान पर रखते हैं.सुमन ने कहा, हालांकि उनका दौरा सात दिवसीय भगवद् गीता पाठ (भगवद् गीता का वर्णन) के संबंध में था.
यात्रा एक धार्मिक समूह द्वारा आयोजित किया गया था. मगर वहां जान से पहले एक दक्षिण भारतीय मित्र ने उन्हें सलाह दी थी कि किसी भी कीमत पर संग्रहालय जरूर जाएं. सुमन ने कहा, उस जगह का दौरा करने के बाद मैं अपने उक्त मित्र को धन्यवाद देना नहीं भूली.
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का स्मारक, रामेश्वरम
कलाम के पोते एपीजेएमजे शेख सलीम ने आवाज-द वॉयस को बताया, अब तक एक करोड़ लोग संग्रहालय का दर्शन कर चुके हैं. इसका उद्घाटन 27जुलाई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.शेख सलीम ने हाल ही में भाजपा ज्वाइन किया है. वह अपने व्यवसाय और सामाजिक कार्य के लिए एक फाउंडेशन चलाते हैं. उनका कहना है कि जब लोग कलाम साहब के स्मारक पर आते हैं तो उनके पूर्वजों की भक्ति और प्रेम के बारे में अवश्य जानना पसंद करते हैं.
सलीम ने बताया, संग्रहालय में प्रतिदिन कम से कम 7,000 आगंतुक आते हैं.उन्होंने कहा, पहले लोग रामेश्वरम मंदिर की तीर्थ यात्रा के लिए हमारे शहर आते थे. अब तीर्थयात्रा को एपीजे अब्दुल कलाम के राष्ट्रीय स्मारक से जोड़ दिया गया है.पूर्व राष्ट्रपति के भतीजे ने कहा, “मैं लोगों को जब स्मारक पर आते देखता हूं, महसूस होता है कि यहां कुछ बहुत अच्छा हो रहा है. कई आगंतुक स्मारक के सामने चुपचाप खड़े रहते हैं.
कुछ सिर झुकाकर नमन करते हैं. कई प्रार्थना की मुद्रा मेंं होते हैं, जैसे कि वे कलाम साहब से आशीर्वाद मांग रहे हों. ”
गृह मंत्री अमित शाह के साथ एपीजेएमजे शेख सलीम
उन्होंने कहा कि यह देखना दिल को छू लेने वाला और विनम्र अनुभव है कि भारतीय धर्म या अन्य बाधाओं को पार कर डॉ. कलाम से कितना प्यार करते हैं.सुमन और उनके पति और उनके समूह के कई लोगों ने स्मारक के अंदर लगभग दो घंटे बिताए. आगंतुकों को नंगे पांव प्रवेश करना होता है. यहां तस्वीरें क्लिक करने के लिए कैमरे या मोबाइल का उपयोग वर्जित है.
सलीम ने कहा कि चूंकि इस जगह पर काफी भीड़ होती है, इसलिए कैमरों को केवल इसलिए मना किया जाता है, क्योंकि अगर हर कोई क्लिक करना शुरू कर देगा तो अराजकता पैदा हो जाएगी.दीवान अरोड़ा ने कहा कि तीर्थयात्री जत्थे में पंजाब और हरियाणा के 300लोग शामिल थे, जो भागवत गीता के सप्ताह भर के ‘भागवत सप्ताह’ के लिए रामेश्वरम गए थे.
रामेश्वरम में मीनाक्षी मंदिर और समुद्र
संग्रहालय के अलावा, एपीजे अब्दुल कलाम के बचपन के घर को भी एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जिसे उनके बड़े भाई संभालते थे. यह तस्वीरों और परिवार के यादगार लम्हों का एक छोटा संग्रह है. शेख सलीम ने कहा, प्रतिदिन कम से कम 4,000लोग यहां आते हैं. राष्ट्रीय संग्रहालय, भारत के मिसाइल मैन के तटीय शहर में समाचार पत्र हॉकर से लेकर भारत के मिसाइल मैन और सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति के जीवन की पूरी कहानी पेश करता है.
यहां मिसाइलों, रॉकेटों और पोखरण परमाणु परीक्षण के चित्रों और मॉडलों को प्रदर्शित किया गया है. इस प्रोजेक्ट में कलाम शामिल थे. उनकी पसंदीदा वीणा जिसे वह हर सुबह राष्ट्रपति भवन में नंगे फर्श पर बैठकर बजाया करते थे, संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है.डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति भवन में रहे.
कलाम एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता रखने वाले सम्मानित वैज्ञानिक थे. उनकी सादगी और देश सेवा के प्रति समर्पण ने कई युवाओं को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. वे भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणादायी शख्सियत बन गए हैं.
रामेश्वरम में पैतृक घर के अंदर डॉ कलाम की स्मृति को समर्पित निजी संग्रहालय
स्मारक के अंदर, चयनित तस्वीरें, पेंटिंग, मिसाइलों के लघु मॉडल आदि देखे जा सकते हैं. स्मारक रामेश्वरम से 1किमी से भी कम दूरी पर है. संग्रहालय के प्रदर्शन उनके जीवन और उपलब्धियों की कहानी बयां करते हैं. यह मस्जिद स्ट्रीट पर स्थित है और सुबह 8बजे से शाम 7बजे तक खुला रहता है.
एपीजे अब्दुल कलाम रामेश्वरम में पले-बढ़े और वैज्ञानिक बने और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार द्वारा भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने जाने से पहले डीआरडीओ और इसरो के लिए काम किया. 27 जुलाई, 2015 को शिलांग के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के दौरान अचानक उनका निधन हो गया और 30जुलाई को पेई करूम्बु, रामेश्वरम में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.
संग्रहालय के अनुसार, डॉ. कलाम ने अपने पूरे जीवन में हमेशा रामेश्वरम की सादगी, गहराई और शांति को प्रतिबिंबित किया. यही बात उनके स्मारक में भी दिखती है. स्मारक 2.11 एकड़ भूमि में फैला हुआ है. इसका निर्माण डॉ. कलाम की समाधि स्थल पर किया गया है. भारत के मिसाइल मैन के स्मारक के निर्माण में द डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
स्मारक का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी
स्मारक का निर्माण नौ महीने के रिकॉर्ड समय में 120करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. इसमें संग्रहालय भी शामिल है. इसकी वेबसाइट पर, यहां का दौरा करने वालों ने बहुत अधिक रेटिंग दी है. उनकी टिप्पणियों से पता चलता है कि उनके निधन के बाद भी वह भारतीयों के दिलों में बसे हैं.
पटना, बिहार के सौरभ कहते हैं,हर किसी को इस जगह का दौरा करना चाहिए. मैं भारत रत्न स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम सर का बहुत बड़ा अनुयायी हूं. यहां आप भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम सर के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं.मैंने इसका दौरा किया. सभी लोगों को इस जगह की यात्रा करनी चाहिए.
बांग्लादेश के एक पर्यटक ने लिखा है, एक वैज्ञानिक और नेता को उनकी जन्मभूमि में सबसे अच्छे तरीके से सम्मानित किया गया है.’’हैदराबाद से संग्रहालय आए एक अन्य पर्यटक ने वेबसाइट पर लिखा, भारत के महान सपूत को विनम्र श्रद्धांजलि. आश्चर्यजनक है कि इतने साधारण मूल का और एक बहुत छोटे शहर से आया व्यक्ति इस देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचा. एक महान व्यक्ति के जीवन से प्रेरणा लेने वाले छात्रों और युवाओं के लिए एक आवश्यक यात्रा.
दिल्ली के एनसीटी के एक आगंतुक ने लिखा,सिर्फ एक स्मारक ही नहीं बल्कि एक मंदिर या पूजा स्थल जहां आप खुद को मोटिवेट कर सकते हैं कि कैसे एक मासूम लड़का जो पास के इलाके में अखबार बांटने का आदी था, भारत का पहला नागरिक कैसे बन गया. यह जगह तस्वीरों, मिसाइलों की प्रतिकृति, मूर्तियों, समाधि, और बहुत कुछ से भरी हुई है ... स्कूली बच्चों की भीड़ के बावजूद एक शांत वातावरण .. रामेश्वरम में अवश्य जाना चाहिए.