Amid floods in Punjab, Centre again appeals to people to join 'Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana'
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पंजाब में दशकों की सबसे भीषण बाढ़ के बीच केंद्र सरकार ने एक बार फिर राज्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) अपनाने की अपील की है। केंद्र का कहना है कि योजना में शामिल न होने से पंजाब के किसान औपचारिक फसल बीमा कवरेज से वंचित हैं और उन्हें केवल राज्य सरकार की सीमित राहत पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने एएनआई को बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 सितंबर को पंजाब के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे के दौरान राज्य सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने को कहा. मंत्रालय ने कहा है कि अगर पंजाब 2026-29 टेंडर चक्र से इस योजना को अपनाने का निर्णय लेता है तो केंद्र सरकार वित्तीय और तकनीकी सहायता देने को तैयार है.
बाढ़ ने पंजाब के 1,902 गांवों को प्रभावित किया है, 3.8 लाख से अधिक लोग संकट में हैं और 11.7 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि तबाह हो चुकी है। अब तक कम से कम 43 लोगों की मौत हो चुकी है.
पंजाब 2016 में PMFBY शुरू होने के बाद से अब तक इस योजना से बाहर है। नवंबर 2022 में राज्य ने इसे लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन मार्च 2023 में निर्णय वापस ले लिया। इससे किसानों को तकनीक-आधारित क्लेम असेसमेंट और राष्ट्रीय रिस्क पूलिंग जैसे लाभ नहीं मिल सके.
PMFBY के तहत किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2% और रबी फसलों के लिए 1.5% का समान प्रीमियम देना होता है, बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकारें बराबर बांटती हैं.
अधिकारियों के मुताबिक पंजाब की फसल संरचना जलवायु जोखिम के प्रति बेहद संवेदनशील है। खरीफ में धान जलभराव से प्रभावित होती है, मालवा बेल्ट में कपास अतिरिक्त नमी में खराब होती है, जबकि रबी सीजन में गेहूं और सरसों पाला व शीत लहर से प्रभावित होते हैं.
मंत्रालय ने बताया कि SDRF/NDRF नियमों के तहत प्राकृतिक आपदा या कीट हमले से फसल पूरी तरह बर्बाद होने पर किसानों को अधिकतम दो हेक्टेयर तक केवल 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मिलते हैं। “ऐसे में छोटे और सीमांत किसान भीषण आर्थिक संकट में आ जाते हैं। वहीं PMFBY में संयुक्त सर्वे के आधार पर 15–30 दिनों में क्लेम निपट जाता है,” सूत्रों ने कहा.