असदुद्दीन ओवैसी की शिक्षा क्या है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 02-12-2023
Asaduddin Owaisi studied Lincoln's Inn
Asaduddin Owaisi studied Lincoln's Inn

 

राकेश चौरासिया

असदुद्दीन ओवैसी एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और वे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष हैं. वे असद ओवेसी के नाम से भी लोकप्रिय हैं. तेलंगाना में चुनाव के बाद से वे लगातार चर्चा में हैं. लोग  असदुद्दीन ओवैसी के बारे में जानना चाहते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी की शिक्षा क्या है?, असदुद्दीन ओवैसी कितना पढ़ा लिखा है?

13 मई 1969 को जन्मे असदुद्दीन ओवैसी की बेगमपेट स्थित हैदराबाद पब्लिक स्कूल और सेंट मैरी जूनियर कॉलेज स्कूलिंग हुई है. सुल्तान सलाहुद्दीन ओवेसी और नजमुन्निसा बेगम की संतान असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय के निजाम कॉलेजसे बैचलर ऑफ आर्ट्स में स्नातक किया है. 

असदुद्दीन ओवैसी राजनीतिज्ञ होने के साथ बैरिस्टर भी हैं. उन्होंने के लिंकन इन में विधिक अध्ययन किया है. ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ लिंकन इन लंदन में है और लिंकन इन, वकीलों के लिए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पेशेवर निकाय है. लिंकन इन में अध्ययन का खर्च निकालने के लिए साथ-साथ, उन्होंने विंबलडन में मैकडॉनल्ड्स में काम किया और ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट में जींस बेचीं.

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लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवेसी मुस्लिम समुदाय की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. मुस्लिम राजनीतिक के आरोपों पर उनका कहना है, ‘‘मैं धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगता. हमारे साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, हमें आतंकवादी कहा जाता है, लेकिन हमें अपना नेतृत्व क्यों नहीं बनाना चाहिए, हमें हमेशा तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों को वोट क्यों नहीं देना चाहिए? क्या हम लालू प्रसाद के लिए वृक्षारोपण पर काम कर रहे हैं? मुसलमानों को अपने भाग्य का स्वामी स्वयं बनना चाहिए और पंचायती राज से लेकर संसदीय चुनाव तक हर स्तर पर चुनाव लड़ना चाहिए. कांग्रेस मुसलमानों को धोखा देना चाहती है और भाजपा मुसलमानों में डर पैदा करके हमें बताना चाहती है कि हमें क्या खाना चाहिए.

लंबी शेरवानी, बिना मूंछ के बड़ी दाड़ी, गोल टोपी के बाने में और खांटी की हैदराबादी, उर्दू व अंग्रेजी में अपनी बात रखने वाले फायरब्रांड नेता असदुद्दीन औवेसी मुस्लिम हितों की पैरोकारी के साथ, भारत की राष्ट्रीय राजनीति का समर्थन करते हैं और मीडिया और सोशल मीडिया में पाकिस्तान को अक्सर आड़े लेते हैं. किंतु उनके साथ कई विवाद भी जुड़े हुए हैं.

असदुद्दीन औवेसी के विवादित बोलः

  • अब संसद में मॉब लिंचिंग संभव है.
  • अयोध्या में राम लला का मंदिर नहीं, एक दिन बाबरी मस्जिद बनकर रहेगी.
  • सपा-कांग्रेस का अलायंस दादरी-बाबरी के अलायंस जैसा है.
  • एक इमाम के बारे में कुछ भी असाधारण नहीं है, जैसे कि वह आसमान से आया हो. इस्लाम में हमारे पास पुजारी या ब्राह्मण व्यवस्था नहीं है. अब समय आ गया है कि कोई कड़वी सच्चाई कहे, पूरे भारत में उलेमा के साथ एक समस्या है. हरियाणा में सांप्रदायिक दंगा हो गया है और ये जॉनी अपना मुंह तक नहीं खोलते.
  • किसी को ‘भारत माता की जय’ बोलना है. मैं यह नारा नहीं लगाता. मेरे गले पर चाकू भी रख दोगे, तो भी मैं ये वाला नारा नहीं लगाऊंगा.
  • इस मसले (तीन तलाक) पर महिलाओं को न्याय दिलाने की बात कहना, तो महज एक बहाना है. दरअसल इनका असली निशाना शरियत है. उन्होंने तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं की गुजर-बसर के लिए हर महीने 15 हजार रुपये के बजटीय प्रावधान की बात भी कही.
  • मुझे लगता है कि अब मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) वहां जा रहे हैं और ताजमहल के परिसर की सफाई कर रहे हैं, मैं कहना चाहूंगा कि ऐसे बयान देने वाले भाजपा नेताओं के दिमाग की सफाई कौन करेगा.
  • नोटबंदी के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि हैदराबाद के मुस्लिम बहुल इलाकों में बैंक और एटीएम काम नहीं कर रहे हैं. ‘मिलाद-उन-नबी’ के मौके पर पैसा नहीं निकाल पाया.
  • 1990 के दशक में लंदन में एक कानून के छात्र के नाते, असदुद्दीन ओवैसी ने हाइड पार्क में महत्वपूर्ण भाषण दिया था, ‘‘मैंने किसी को इंग्लैंड की रानी को बेहतरीन शब्दों में गाली देते हुए सुना और सोचा - हे भगवान, अब दंगा होने वाला है!’’ लेकिन कोई दंगा नहीं हुआ. यह राजनीतिक परिवर्तनशीलता का एक प्रारंभिक सबक था.’’
  • हमें हज सब्सिडी हटा देनी चाहिए और उस 600 करोड़ रुपये का इस्तेमाल मुस्लिम लड़कियों की छात्रवृत्ति के लिए करना चाहिए.

 

असदुद्दीन औवेसी के पूर्वज कौन थे?

असदुद्दीन औवेसी के पूर्वज तुलसीरामदास एक हिंदू ब्राह्मण थे. ऐसा एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया था. इस पर असदुद्दीन औवेसी ने बड़ा ही फलसफाना जवाब दिया था कि वे आदम और हव्वा की संतान हैं. इस्लामी विचारधारा के अनुसार सभी मानव जाति का प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री हव्वा की संतान माना जाता है. हालांकि असदुद्दीन औवेसी इस मूल प्रश्न से कन्नी काट गए कि तुलसीरामदास उनके पूर्वज थे या नहीं.