पाकिस्तान में घर-घर योग, सभी के लिए योग

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 16-06-2021
पाकिस्तान में स्कूल की मुस्लिम बच्चियां योग करते हुए
पाकिस्तान में स्कूल की मुस्लिम बच्चियां योग करते हुए

 

मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

पाकिस्तान में योग. पाकिस्तान में एक नारा गूंज रहा है, जो आंदोलन बन गया है कि ‘सभी के लिए योग’. यह बहुत अच्छी खबर है.

आमतौर पर हम सीमा विवाद की खबरों में फंस जाते हैं. इसलिए कहीं न कहीं सुकून देने वाली खबरों से दूर रहते हैं. यह तथ्य कि योग ने पाकिस्तान में जड़ें जमा ली हैं, आश्चर्यजनक है. पिछले बीस वर्षों में ही योग पाकिस्तान में प्लेग की तरह फैला है.

फज्र की नमाज के बाद लोग अपने-अपने इलाके के पार्कों की ओर रुख करते हैं, जहां रोजाना कोई न कोई गुरु अपनी ड्यूटी करते हैं. ये कक्षाएं बिल्कुल मुफ्त हैं. जिसमें बुजुर्ग, युवा और महिलाएं और बच्चे सभी की भागीदारी से पता चलता है कि योग ने न केवल घरों में, बल्कि दिलों में भी जगह बनाई है.

लाहौर, इस्लामाबाद, फैसलाबाद या कराची, डेरा इस्माइल या मोहनलाल. पाकिस्तान के हर कोने में ‘योग और योगी’ पर जोर है. ऐसे कई नाम और चेहरे हैं, जिन्होंने योग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन योगियों के कारण पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में योग कक्षाओं की एक श्रृंखला बन गई है.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162386783252_yoga_in_Pakistan_2.jpg
 
पाकिस्तान के आम आदमी तक पहुंच गया है योग

इस समय पाकिस्तान में कई योग क्लब सक्रिय हैं और महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें से अधिकांश में व्यावसायिक उद्देश्य शामिल नहीं हैं. योग की चर्चा पार्क से शुरू होती है और समाचार चैनलों पर ‘मॉर्निंग शो’ पर जारी रहती है.

लाहौर में ‘योग फॉर एवरीवन’ अभियान चल रहा है, जिसे चार साल पहले पाकिस्तान योग परिषद से जोड़ा गया था. वरिष्ठ उस्ताद तारिक ग्रेवाल, उस्ताद एजाज योगी, मलिक अशफाक योगी अध्यक्ष पाकिस्तान योग परिषद, मुहम्मद युसूफ अध्यक्ष पाकिस्तान योग परिषद और योगी अली चौधरी इस मिशन के संस्थापकों में से हैं.

इन सज्जनों की मेहनत ही है कि हर पार्क में सुबह फज्र की नमाज के बाद पूरे जोश के साथ योग कक्षाएं लगती हैं. जिसमें एक नारा है. आओ मिलकर एक स्वस्थ पाकिस्तान का निर्माण करें, हमारी प्रतिबद्धता...स्वस्थ पाकिस्तान.

बाबा योगी कौन थे?

लाहौर में ‘योग फॉर एवरीवन’ के योगी अली चौधरी कहते हैं कि योग को लोकप्रिय बनाने का श्रेय योगी प्रोफेसर वासिक महमूद को जाता है. नहीं तो यह अमीरों का शौक था.

कहा जाता है कि नब्बे के दशक में प्रोफेसर वासिक महमूद लाहौर के सेंट्रल पार्क में योग किया करते थे. वह लोगों को पकड़कर ले जाते थे. इतना ही नहीं, वह अपनी साइकिल पर चटाई लाते थे. उनकी पत्नी गुस्से में थी, लेकिन उनको उन्होंने कहा कि उन्हें गले का कैंसर हो गया था, लेकिन वह योग को जी रहे थे.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162386787752_yoga_in_Pakistan_3.jpg
 
पाकिस्तान के पार्कों में बुर्कानशीं भी करती हैं योग

उनके निधन के बाद रियाज खोकर और इंजीनियर आजम, जो दिवंगत वसीक महमूद के छात्र थे, ने इस मिशन की शुरुआत की. बाद में वे अलग प्लेटफॉर्म चले गए. लेकिन लक्ष्य एक ही था योग को लोकप्रिय बनाना. इसलिए मिशन बिखरा नहीं, बल्कि जारी रहा.

रियाज खोकर ने लाहौर के पास ब्यूरेवाला में पाकिस्तान योग परिषद की स्थापना की और इंजीनियर आजम ने टाइगर्स वंडरफुल क्लब की स्थापना की.

ये शौक लाजवाब था लेकिन...

दरअसल, अतीत में योग का मतलब जमींदारों, जागीरदारों, राजनेताओं और रईसों का शौक था. योग कक्षाओं के लिए मासिक दो लाख रुपये का भुगतान किया जाता था और उसकी सप्ताह में दो या तीन कक्षाएं होती थीं. योग गुरु अतिथि बनकर आते थे और राजा बनकर लौटते थे. योग एक चमत्कार की तरह था. सभी के लिए नहीं. उस समय, आम पाकिस्तानियों ने नहीं सोचा था कि वे योग सीख पाएंगे, लेकिन कुछ योग प्रशंसकों ने बाधा तोड़ दी. महलों से गली-मोहल्ले तक योग ले जाया गया.

अली चौधरी का कहना है कि यह उस आंदोलन का परिणाम है, जिसे लाहौर में हर सुबह योग कहा जाता है. फज्र की नमाज के बाद सभी पार्क जाते हैं. लोग बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ योग करते हैं.

योग को ‘आम’ बनाने वाले ‘खास’ नाम

अब पाकिस्तान के कोने-कोने में बड़े-बड़े योग क्लब हैं, जो मुफ्त में योग कक्षाएं चला रहे हैं. लाहौर के ब्यूरेवाला से रियाज खोकर ने पाकिस्तान योग परिषद का झंडा फहराया. इंजीनियर आजम ने सिंध के टाइगर्स वंडरफुल क्लब से योग को बढ़ावा देना शुरू किया. एक नाम और उससे जुड़ा स्कूल ऑफ योगा कराची. इसके संस्थापक सैयद ओबैदुल्लाह शाह हैं. एक झंडा योगी शमशाद हैदर के हाथ में है, जो इस्लामाबाद के पास फलिया शहर में हैं. उनके हाथों में वन फाउंडेशन का झंडा है, जिसके वे संस्थापक हैं.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162386792752_yoga_in_Pakistan_4.jpg
 
योग की एक विशिष्ट आसन मुद्रा

योग में पाकिस्तानी योगियों की सेवाओं की कहानी में और भी भूमिकाएँ हैं. इनमें सांबरा योग सिंध पाकिस्तान के संस्थापक योगी एआर चन्ना और राष्ट्रीय योग महासंघ के संस्थापक योगी नईम के साथ स्कूल ऑफ स्कूल के संस्थापक सैयद ओबैदुल्ला शाह भी शामिल हैं, जो अपने स्तर पर योग को लोकप्रिय बनाने में लगे हैं.

योग की जन्मस्थली मोहनजोदड़ो

पाकिस्तान में योग पर शोध के दौरान एक दिलचस्प चर्चा सामने आई है. पाकिस्तान के अधिकांश योगी कहते हैं कि योग वास्तव में पाकिस्तान के प्राचीन इतिहास का एक हिस्सा है. मोहनजोदड़ो में जन्मी सिंधु घाटी प्राचीन सभ्यता का केंद्र थी. यह लरकाना से 20 किमी और सुक्कुर से 80 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है. यह घाटी सिंधु घाटी सभ्यता के एक अन्य महत्वपूर्ण केंद्र पंजाब के हड़प्पा प्रांत से 686 मील दूर है. यह शहर 2600 ईसा पूर्व में अस्तित्व में था और ‘पतन से पूर्णता’ के सिद्धांत पर 1700 ईसा पूर्व में समाप्त हुआ था. जब दुनिया सामाजिक और स्वस्थ गतिविधियों से अपरिचित थी, सिंधु घाटी (मोहन जोदड़ो सभ्यता) ने मानव जाति को एक गौरवशाली इतिहास दिया था, यहाँ तक कि पहिया भी इस युग के मनुष्य के आविष्कारों में से एक है.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162386796652_yoga_in_Pakistan_5.jpg
 
पाकिस्तान में योग बना आंदोलन

योगी अली चौधरी का कहना है कि सिंधु घाटी ने दुनिया को योग नामक स्वास्थ्य गतिविधियों की एक कला सिखाई. यह हमारा दावा नहीं है, तथ्य यह है कि योग पाकिस्तान के प्राचीन इतिहास का हिस्सा है, न कि किसी धर्म का.

यह पाकिस्तान में योग और योगियों के इतिहास और संघर्ष की एक झलक है. हम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पाकिस्तान में योग को बढ़ावा देने वाले योग प्रेमियों के चेहरों और नामों को उजागर करने का प्रयास करते रहेंगे.