प्रयागराज. रमजान के महीने में ऐसे धर्मपरायण मुस्लिम का मिलना दुर्लभ है, जो रोजा का उपवास ही त्याग दे. लेकिन प्रयागराज में एक एम्बुलेंस चालक के लिए महामारी के दौरान मानवता की सेवा करना उपवास से अधिक महत्वपूर्ण है. और इस दौर में तो इसलिए भी दुर्लभ है कि कई एम्बुलेंस चालक एक शहर में ही शव या मरीज ले जाने के लिए 10 से 20 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं.
फैजुल एक एम्बुलेंस चलाते हैं, महामारी के बीच गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त में शव वाहन की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. साथ ही ही वे लावारिश शवों के अंतिम संस्कार में भी मदद कर रहे हैं.
फैजुल कोविड-19 रोगियों के मृत शरीर को मुफ्त में शव वाहन प्रदान करते हैं.
प्रयागराज के अतरसुइया इलाके का निवासी यह एम्बुलेंस चालक पिछले 10 वर्षों से गरीबों के शवों को मुफ्त में शव वाहन देता है. कोविड-19 के इस कठिन समय के दौरान भी उनका अधिकांश समय जरूरतमंद लोगों की मदद करने में व्यतीत होता है.
उन्होंने कहा, “ये मुश्किल समय हैं. कॉल मिलते ही मैं बाहर चला जाता हूं. ऐसी परिस्थितियों में रोजा रखना संभव नहीं है, लेकिन मुझे पता है कि अल्लाह मेरी मजबूरी समझता है.”
फैजुल किसी से पैसे नहीं मांगते हैं, लेकिन अगर कोई खुद ही फीस देता है, तो, तो उसे स्वीकार कर लेते हैं.
वे अपने काम के लिए इतने समर्पित हैं कि अविवाहित फैजुल ने बताया, “अगर मैं सांसारिक चीजों में शामिल हो जाऊंगा, तो मेरा काम बाधित हो सकता है, इसलिए मैं शादी नहीं करना चाहता.”
पहले वह एक देसी गाड़ी पर शवों को लाता-ले जाता था, लेकिन बाद में उन्होंने कर्ज लेकर एम्बुलेंस खरीद ली.