अरबी मंदी और हैदराबादी बिरयानी में कड़ा मुकाबला

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  AVT | Date 20-01-2021
Tough competition in 'Arabi Mandi' and 'Hyderabadi Biryani'
Tough competition in 'Arabi Mandi' and 'Hyderabadi Biryani'

 

वाजिदुल्लाह खान/ हैदराबाद.

शहर में ‘मंदी’ के होटलों में काम करने वाले लोग इन दिनों बहुत व्यस्त हैं. उनके पास किसी से बात करने की फुर्सत नहीं है,क्योंकि वे होटल में आने वाले ग्राहकों की सेवा में बहुत मसरूफ हैं. शहर में अरबी पकवान ‘मंदी’ की लोकप्रियता बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों से हैदराबाद में मंदी का बाजार गुलजार है.

हैदराबाद में बहादुरपुर स्थित अलमंदी रेस्तरां के मालिक मोहम्मद मनन परवेज बताते हैं, “शाम का समय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. शाम को हमारे होटल में बड़ी संख्या में ग्राहक आते हैं. पिछले कुछ वर्षों में सऊदी अरब और दूसरे खाड़ी देशों से जुड़े इस महत्वपूर्ण व्यंजन ने हैदराबाद के नागरिकों के स्वाद को फिर से जगा दिया है. इसे शहर के कई लोकप्रिय रेस्तरां के मेन्यू में जोड़ा गया है. अब इस व्यंजन की हैदराबाद की प्रसिद्ध बिरयानी के साथ भयंकर प्रतिस्पर्धा है."

मंदी में पारंपरिक भोजन बनने की क्षमता

एक ग्राहक ने कहा, ‘मंदी’ में पारंपरिक भोजन बनने की क्षमता है. अगले चार-पांच वर्षों में यह बिरयानी को कड़ी प्रतियोगिता दे सकती है. उन्होंने कहा, “यहां तक कि हैदराबादी बिरयानी के लिए प्रसिद्ध होटल घट रहे हैं.”

मंदी होटल मालिकों के लिए यह आकर्षक सौदा बन गया है. इसकी कीमत 400 रुपये प्रति प्लेट है, जो बिरयानी की कीमत से दोगुनी है. हाल के दिनों में कॉरपोरेटर्स के बीच इस विशेष व्यंजन की मांग काफी बढ़ी है.

इस अरबी व्यंजन मंदी का केंद्र और स्रोत और बार्क इलाका है, जहां बड़ी संख्या में अरब परिवार रहते हैं. उनके पूर्वज आजीविका की तलाश में दक्कन शासन में हैदराबाद आए थे.


कुर्सियों की बजाए कालीन पर परोसी जाती है यह अरबी डिश

हैदराबाद में बड़ी संख्या में होटलों ने अलग-अलग खंड खोले हैं, जहां बैठने की व्यवस्था परंपरागत रूप से अलग है. कुर्सियों के बजायफर्श पर बिछे कालीन पर यह विशेष अरबी डिश परोसी जाती है, ताकि लोग इसके चारों ओर बैठ सकें और आराम से खा सकें. इसने तेलुगु लोगों और युवाओं को खासा आकर्षित किया है, खासकर कॉर्पोरेटर्स को. इसका मांस लोगों को आकर्षित करता है. हैदराबाद वासी भोजन के बारे में बहुत सावधान रहते हैं. इन दिनों मंदी अपने मानकों को पूरा कर रही है. बार्कलेज क्षेत्र के अधिकांश लोगों ने मंदी को अपना मुख्य भोजन बना लिया है.

  • लोगों के दिलों-दिमाग पर छाई मंदी, अधिकांश होटलों के मेन्यू कार्ड में शामिल
  • बिरयानी के मुकाबले दोगुनी महंगी है मंदी

कैसे बनता है मंदी?

पारंपरिक मंदी मांस, लौंग, दालचीनी, केसर, इलायची से बनाई जाती है. हैदराबादी संस्करण थोड़ा अलग है. अरबों को मिर्च पाउडर पसंद नहीं है. हम इसे छोले, मूंगफली और हरी मिर्च जैसी कई सामग्रियों और मसालों को मिलाकर हैदराबादी शैली देते हैं. मंदी को एक बड़े विशेष ओवन में तैयार किया जाता है, जिसके लिए जमीन में एक बड़ा गड्ढा खोदा जाता है. उसके चारों ओर मिट्टी को गीला कर दिया जाता है. मंदी के साथ विभिन्न प्रकार के सूप और मिठाई भी परोसे जाते हैं. यह युवा पीढ़ी और परिवारों के बीच एक पसंदीदा आइटम बन गया है.

मछली और झींगे के पकवान भी शहर के आउटलेट पर उपलब्ध हैं. वहीं चिकन और मटन के भी कई पकवान लोगों में लोकप्रिय हैं.

लोकप्रियता में भारी उछाल

लगभग 7-8 साल पहले, यह अरबी व्यंजन कुछ इलाकों तक सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे यह आम बन गई. कई विशेष ‘मंदी-घर’हैदराबाद और सिकंदराबाद में स्थापित किए गए हैं. इसकी लोकप्रियता इतनी अधिक है कि अब इस व्यंजन को शादी-समारोहों में बिरयानी के साथ एक अतिरिक्त आइटम के रूप में पेश किया जा रहा है.

मलकपेट क्षेत्र में स्थित ‘अल सऊद बैतूल मंदी’ के मालिक सैयद अमीर अबरार का कहना है, ‘इन दिनों अधिकांश फूड कोर्टमें मंदी आसानी से उपलब्ध है.हमने इस मंदी के कारण खाद्य उद्योग में कई बदलाव देखे हैं.यहां तक कि हैदराबाद में रहने वाले अन्य राज्यों के जो लोग यहां काम करते हैं, वे भी इस अरबी व्यंजन का आनंद ले रहे हैं.’

हाफिज बाबा नगर स्थित मुतअम फैसल अरब फूड के मालिक मोहम्मद अरशद मोहि-उद-दीन हुसैन ने कहा, “हम इस नए ट्रेंड से अवगत हैं. बीते दिनों के साथ, हैदराबाद के नागरिकों की संस्कृति और भोजन की आदतें धीरे-धीरे बदल रही हैं. यदि कोई व्यक्ति भोजन पसंद करता है, तो वह इसे दूसरों को सुझाता है. लोग इस खाने के लिए पागल हो रहे हैं, लेकिन इस रुझान ने हैदराबादी बिरयानी को हराया नहीं है.’

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