शाहताज खान / पुणे
प्यासे को पानी देना सबसे पुण्य का काम है, जो प्यास बुझाता है, वह दिल से दुआ पाता है. जब लोग गर्मी में सड़कों पर पीने के पानी की व्यवस्था करते हैं, तो वे ठंडे पानी की कुछ मशीनें लगाते हैं. विचार यह है कि अगर सड़क पर लोगों को प्यास लगती है, तो उन्हें पानी की तलाश करने की जरूरत नहीं है. पुणे में भी इसी तरह की पहल की गई है.
शहर में एक प्राचीन गणपति मंदिर के साथ, एक ‘पानी पोई’ है, जिसका अर्थ है प्याऊ. यह मंदिर भगवान गणपति के दर्शन करने आने वाले भक्तों की प्यास बुझाता है. ठंडे पानी की मशीन तो अक्सर देखने को मिलती है, लेकिन ये ड्रिंक है खास. क्योंकि इसे बनाने वाला मुसलमान है. जो हर धर्म का दिल से सम्मान करते हैं. उसका नाम असगर गोधरावाला है.
असगर गोधरावाला लंबे समय से पान पोई (पानी की टंकी या मराठी में पेय) बनाना चाहते थे. जिसके लिए उन्हें उपयुक्त जगह की तलाश थी. वे कहते हैं, “मैं सिर्फ इसके लिए पानी की टंकी नहीं बनाना चाहता था, बल्कि मैं ऐसी जगह चुनना चाहता था, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो. मैं भी चाहता था कि पानी पोई का ख्याल रखा जाए. जैसे उसकी सफाई, टूट-फूट और मशीन का रखरखाव. मेरी तलाश अकाल मंडई गणपति मंडल में समाप्त हुई.”
सांप्रदायिक एकता की मिसाल. हम साथ हैं.
अखिल मंडई गणपति मंडल के अध्यक्ष अन्ना थोराट ने जब असगर साहिब को पीने के साफ पानी की किल्लत के बारे में बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तों को साफ पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ता है, तो उन्होंने उसी पल फैसला किया कि पानी की टंकी मंदिर के बगल में बनायी जाएगी.
पानी की टंकी को मंदिर के एक हिस्से की तरह दिखने के लिए डिजाइन किया गया है. उन्हीं चमकीले अक्षरों में वही पत्थर, वही रंग और असगर भाई गोधरावाला का नाम लिखा है. ठंडा और छना हुआ पानी हर प्यासे की प्यास बुझाता है. मंदिर का प्रबंधन इसके रखरखाव का पूरा ध्यान रखता है और यही असगर साहिब चाहते थे.
असगर साहिब के इस कदम से मंदिर प्रबंधन काफी खुश है. अखिल मंडई मंडल के अध्यक्ष अन्ना थोराट का कहना है कि मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं. भगवान को लंबी-लंबी कतारों में देखने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है. हम सभी को साफ और ठंडे पीने के पानी की कमी महसूस हुई और यह असगर भाई ने पूरी की. हम सब उनके ऋणी हैं.
मंदिर प्रशासन भी खुश
संतोष है कि आज की स्थिति में ऐसे कर्म यह दर्शाते हैं कि जिनके दिल में लोगों की सेवा की भावना है, वे धर्म को नहीं देखते हैं. जहां जरूरत होती है, वे तुरंत हाजिर हो जाते हैं. असगर साहब कहते हैं कि मैं जब भी पानी पोई के सामने से गुजरता हूं, तो उसका रखरखाव देखकर संतुष्ट होता हूं कि मैंने सही जगह चुनी है.