आवाज- द वॉयस/ एजेंसी
इन दिनों देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों पर कुत्तों के हमलों के वीडियो काफी वायरल हो रहे हैं. कभी लिफ्ट में तो कभी पार्क में कुत्ते खतरनाक तरीके से लोगों पर हमला कर रहे हैं. खासकर, दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न प्रजातियों के कुत्तों के पालने के कारण उनके हमला करने के कई मामले सामने आ रहे हैं.जर्मन शेफर्ड, पिट बुल, ग्रेट डेन, बॉक्सर, लेब्राडोर, रॉडबिलर, पग और गोल्डन रिटरीवर जैसी प्रजाति सही ट्रेनिंग ना मिल पाने और वातावरण न मिल पाने के कारण आक्रमक हो जाते हैं.
भारत में अधिकांश पालतू जानवरों की दुकानें और प्रजनक पंजीकृत नहीं हैं.कुत्तों की अवैध ब्रीडिंग के कारण उनके डीएनए में बदलाव हो रहे हैं.
जानकारों के अनुसार, कुत्तों को जबरन घर में बंद कर रखने के कारण, कुत्ते हमला कर देते हैं.क्योंकि उन्हें चारदीवारी में रहने की आदत नहीं होती, जिसके कारण उनका स्वभाव बदल जाता है.देश के विभिन्न जगहों पर विदेशी ब्रीड को गैरकानूनी ढंग से बेचा भी जाता है, क्योंकि देश की अधिकांश पालतू पशुओं की दुकानें और प्रजनक अपने राज्य पशु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं हैं.
विभिन्न एनजीओ, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से 'पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (कुत्ते के प्रजनन और विपणन) नियम, 2017' में तत्काल संशोधन का आग्रह कर चुके हैं जिसके तहत 'पिट बुल' जैसी 'बुली ब्रीड' के प्रजनन और पालन पर रोक लगाने की मांग की गई है.वहीं पालतू जानवरों की अवैध दुकानों, प्रजनकों पर रोक लगाने और देशभर में अवैध डॉगफाइट पर कार्रवाई करने की भी मांग इसमें शामिल है.
देव रावतनामकएक फ्रीलांसर 1995 से कुत्तों की ट्रेनिंग देने का काम करते हैं. रावत के मुताबिक, “सबसे बड़ी दिक्कत है कि कुत्तों का सही खानपान नहीं हो पाता है और उनको घूमने को भी कम मिलता है.अक्सर लोग शौक में कुत्ता पाल लेते हैं लेकिन अपनी जॉब के कारण कुत्तों को दिन भर घर में ही बंद रखते हैं.इस वजह से कुत्ता चिड़चिड़ा होने लगता है.
कुत्तों को ढंग से ट्रेनिंग नहीं मिल पाती है, कुत्तों की कोई नस्ल खतरनाक नहीं होती है, उनकी परवरिश कैसे हो रही है यह महत्वपूर्ण होता है.हमेशा घर में बंधे रहना एक कारण होता है कि कुत्ते काट लेटे हैं.”
रावत आगे बताते हैं, “गांव-देहात में लोग पैसा कमाने के कारण अक्सर क्रॉस ब्रीडिंग कुत्तों की कराते हैं, अवैध रूप से इसका चलन बढ़ने लगा है.किसी को भी सही तरह से कुत्तों की जानकारी नहीं है.”
पीपल फॉर एनीमल की ट्रस्टी गौरी मौलेखी कहती हैं, “हाल ही में कुत्तों के काटने की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि इस तरह के कुत्तों की बिक्री होनी ही नहीं चाहिए.विदेशी कुत्तों की कई प्रजातियां भारतीय वातावरण में रहने के अनुकूल नहीं होती हैं.भारत सरकार ने 2017 में डॉग ब्रीडिंग नियम बनाए थे, लेकिन नियमों का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा है.”
डॉग ब्रीडिंग करने वाले लोग 8 हफ्ते से पहले ही पिल्लों को अपनी मां से अलग कर देते हैं.वहीं ब्रीडिंग भी सही ढंग से नहीं होती है तो कुत्ते का स्वभाव बदल जाता है और बीमारी होने लगती है.छोटे-छोटे घरों में लोग कुत्तों को पाल रहे हैं, जिसकी वजह से कुत्ते हमला कर रहे हैं.
हाल ही में 'पिट बुल' द्वारा किए गए हमले में एक लड़के के चहरे पर करीब 150 टांके लगे हैं.
दरअसल ब्रीडर्स अक्सर पिट बुल जैसे विदेशी प्रजातियों के कुत्तों को जनता को बिना किसी चेतावनी के बेच देते हैं.जबकि इनका प्रजनन विशेष रूप से लड़ने और हमला करने के लिए किया जाता है.पिट बुल नामक कुत्ते 'बुली ब्रीड' के माने जाते हैं जिनका प्रजनन मूल रूप से बैल और भालू से मनोरंजन के लिए लड़ाई में किया जाता था, जिसके अंतर्गत कुत्तों को बंदी बैल या भालू पर हमला करने के लिए उकसाया जाता था.अब, इन कुत्तों का आमतौर पर अवैध डॉगफाइट्स के लिए उपयोग किया जाता हैं, जो जुए का एक रूप है.
पिट बुल जैसे कुत्तों को जानबूझकर लड़ने के लिए पाला जाता है, उन्हें हिंसात्मक रूप से प्रशिक्षित किया जाता है, या जंजीरों में जकड़कर जबरन गार्ड कुत्तों के रूप में प्रयोग किया जाता है.यह दुर्व्यवहार कुत्तों को भयभीत और रक्षात्मक बना देता है.कई प्रशिक्षकों द्वारा कुत्तों को सकारात्मक रूप से सिखाने की बजाए सजा देकर या मारपीट के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है.
पेटा इंडिया के मुताबिक, मेनका गांधी ने हाल ही में अनुमान लगाया था कि देश में एक लाख से अधिक अवैध पालतू जानवरों की दुकानें और प्रजनक हैं.हाल ही में हैदराबाद में 67 अवैध पालतू जानवरों की दुकानों और 12 ब्रीडरों को नोटिस जारी किया गया है.
इसी तरह, दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड ने 150 अवैध पालतू जानवरों की दुकानों को नोटिस जारी किया और इसके बाद नगर निगम को शहर में संचालित अपंजीकृत पालतू जानवरों की दुकानों और प्रजनकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
कितने लाइसेंस धारक ट्रेनर हैं? इस सवाल के जवाब में पेटा इंडिया ने कहा, किसी भी संस्थान के अंतर्गत डॉग ट्रेनर के लाइसेंस का प्रावधान नहीं है.
क्रॉस ब्रिडिंग की क्या प्रक्रिया है?
जानकारों के अनुसार कुत्तों की बिक्री करने वाले पेट शॉप या ब्रीडर जिन मादा कुत्तों को अपने केन्द्रों पर रखकर उनसे बच्चे पैदा करवाते हैं उन्हें पर्याप्त भोजन, चिकित्सीय देखभाल, व्यायाम एवं सामाजिक गतिविधियों से वंचित रखते हैं.
बॉक्सर, जर्मन शेफर्ड, और लैब्राडोर र्रिटीवर्स जैसे विदेशी प्रजातियों के कुत्तों में आनुवंशिक एवं वंशानुगत बीमारियों के लक्षण व्यापक रूप से देखने को मिलते हैं क्योंकि इन जानवरों का प्रजनन सपाट चेहरे या लंबी पीठ जैसे अप्राकृतिक लक्षणों के लिए किया जाता है.