गांवों में फैल रहा कोरोना, मृत्यु दर बढ़ने का अंदेशाः डॉ राहुल भार्गव

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 06-05-2021
डॉ राहुल भार्गव
डॉ राहुल भार्गव

 

देश अभी कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर से जूझ रहा है और इसका अभी पीक आया भी नही है कि सरकार ने तीसरे लहर की चेतावनी जारी कर दी है. हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया है कि तीसरी लहर कब आ सकती है और इसकी गहनता कैसी होगी. ऐसे में, देशभर में कोरोना संक्रमण के गांवों तक फैलाव, देशव्यापी लॉकडाउन की जरूरत और कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की अफरातफरी के बीच डॉक्टरों द्वारा सुझाई जा रही नई दवा जैसे मुद्दों पर गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ राहुल भार्गव से बात की डिप्टी एडिटर मंजीत ठाकुर ने. मुख्य अंशः

सवालः दूसरी लहर में कोरोना दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में फैल रहा है. इसका असर कितना गहरा हो सकता है.

डॉ राहुल भार्गवः जब भी कोरोना शहरों से गांवों की तरफ माइग्रेट करता है तो वहां टेस्टिंग कम होती है, बहुत सारी सुविधाएं वहां उपलब्ध नहीं होती हैं. इसकी वजह से मृत्यु दर बढ़ने का खतरा रहेगा. आज भी हम देंखें तो मेगासिटीज में, शहरो में, वहीं पर टेस्टिंग कम हो रही है. साथ ही, उसका टर्न अराउंड टाइम, जो 24 घंटों में आना चाहिए था, वह चार-पांच दिन में आ रहा है. और लोगों बहुत सारा ज्ञान भी नहीं है इस बारे में कि हमें कब क्या करना है. गाइडलाइन्स जरूर बन जाती हैं लेकिन जो गांव-देहात का आदमी है, वह उन दिशा-निर्देशों को पढ़कर समझकर अपने व्यवहार में कितना ढाल पाएंगे, यह कहना बहुत मुश्किल है. हमारे देहातों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. हमारी व्यवस्था में 1000 लोगों पर एक डॉक्टर है, तो जब यह गांवों में कोरोना जा रहा है. समस्याएं बढेंगी खासतौर पर मेरी चिंता है कि मृत्युदर बढ़ने की अंदेशा लग रहा है और इससे ब़ड़ी समस्या है कि इस वायरस का माइग्रेशन होता है तो जो कारीगर या प्रवासी मजदूरों का काम ठप हो जाता है. यह आर्थिक नुक्सान भी छिपा है.

सवालः केंद्र सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन ने कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दी है. कब आएगी यह नहीं पता है लेकिन तीसरी लहर, इस दूसरी लहर से ज्यादा खतरनाक हो सकती है.

डॉ राहुल भार्गवः बेशक, तीसरी लहर का उन्होंने अंदेशा जताया है. लेकिन अगर हम अपने मास्क नहीं उतारते हैं, तो भले ही कितने भी वैरिएंट आ जाएं, तीन हजार वैरिएंट आए या पांच हजार, लेकिन वह तीसरी लहर में हमें झुका नहीं पाएंगे. अब जरूरत है लोगों की भागदारी की, लोगों को और मुस्तैदी से जागरूक बनाने की, कुछ भी हो जाए, मास्क नीचे नहीं उतारना है. मास्क को पहनकर रखना है, मास्क के साथ जीना है और तभी हम इस वायरस को हरा पाएंगे.

दूसरी बात, जितने भी वैरिएंट हैं, जैसा कि कल वैज्ञानिक सलाहकार महोदय ने बताए कि 3,500 वैरिएंट हैं. उनमें से कोई भी वैरिएंट ऐसा नहीं पाया गया जो वैक्सीन की रेंज से परे हो, जो वैक्सीन को बीट कर पाए. इसलिए टीकाकरण को बढ़ाना है, और 2022 तक मास्क के साथ ही जीना है. यह मंत्र याद रहे तो हम तीसरी लहर को हरा पाएंगे.

सवालः अभी जो दूसरी लहर है उसको हराने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन को कितना जरूरी मानते हैं आप?

डॉ राहुल भार्गवः लॉकडाउन एक बेहद सक्षम दवाई है. हमको यह समझना होगा कि कोई भी दवा अगर सही तरीके से, सही वक्त पर और सही डोज में दी जाए, तभी कारगर होती है. तभी चमत्कार करती है. पहली लहर में, 2020 में, लॉकडाउन ज्यादा कड़ा था, इसलिए उसका असर दिखा. इस बार, वह ढीला-ढाला है इसलिए असरदार नहीं लग रहा है. अगर इसका पूरा असर लाना है तो 14 दिन के लिए पूर्ण लॉकडाउन लाना ही होगा, जिसने हम ‘ब्रेक द चेन’कहते हैं. सीधा मसला, इस चेन को ब्रेक करना ही है, लॉकडाउन न तो वायरस को मारेगा, न हराएगा, वह उसके प्रसार की गति को धीमा कर देगा. उस धीमेपन से आपके अस्पतालों में बिस्तरों के लिए भीड़ कम होगी, इससे जो लोग वायरस से प्रभावित हैं उनको बेड मिल पाएगा, और यह जो रोजाना तीन-साढ़े तीन हजार लोग रोज जान गंवा रहे हैं, हम उसको एक-तिहाई पर ले आएंगे.

यह लॉकडाउन वायरस को हराने के लिए नहीं है, उसको धीमा करने के लिए है, ताकि हमारे बेड फ्री हो जाएं, ऑक्सीजन की जो जरूरत है जो हाहाकार मच रहा है वह कम हो जाए,  और स्वास्थ्यकर्मी थोड़ी सांस लेकर मरीजों की जान बचा सकें.

सवालः दूसरी लहर का पीक कब आ सकता है?

डॉ राहुल भार्गवःदूसरी लहर का पीक अगले पंद्रह दिन में आ जाएगा. पीक में दो चीजें महत्वपूर्ण होती हैं. जब साठ फीसद जनता कोरोना से प्रभावित हो जाए तो उसकी संक्रमण दर धीमी होने लगती है, और जैसे-जैसे संख्याएं बढ़ती हैं, वह उस तरह से धीमा भी होने लगता है. इसलिए अगले दस से पंद्रह दिन के अंदर, मई के मध्य तक पीक आ जाएगा और इसकी संक्रमण दर में गिरावट आएगी और हम बेहतरी की तरफ बढ़ेंगे.

सवालः शेरों में भी संक्रमण फैलने की खबरें आ रही हैं. क्या कोरोना जानवरों तक फैल सकता है?

डॉ राहुल भार्गवः अभी तक सिर्फ बिल्लियों में संक्रमण की खबर थी. तो यह जो खबर आई है 8 शेरों में कोरोना पाया गया, वह देखना होगा कि किस तरीके से बरताव करता है. क्योंकि वायरस को नए होस्ट के अंदर खुद को अनुकूलित करना होता है. अगर आपसे वायरस निकालकर चूहे में डाल दूं तो वह किस तरीके से बरताव करेगा, कैसे जिएगा यह आगे चलकर ही बताएगा. तो, वायरस नई परिस्थितियों के लिहाज से एडॉप्ट बहुत जल्दी करता है, इस लिहाज से यह थोड़ी चौंकाने वाली खबर है क्योंकि अभी तक पिछले डेढ़ साल में हमने इसका ट्रांसमिशन जानवरो में नहीं देखा था. यह पहली बार है, इसकी पुष्टि होना जरूरी है और इसकी जीनोमिक सीक्वेंसिंग करना आवश्यक है. क्योंकि अगर ऐसा सच है तो इसका मतलब यह है कि यह वायरस बहुत बड़ा बहुरूपिया है और किसी भी जगह पर उसको हमें छोड़ना नहीं है क्योंकि आगे  चलकर वह इंसानों में नहीं, जानवरों में कहर बरपा कर सकता है.

सवालः कोरोना के इलाज की दिशा में क्या कोई नई दवा नहीं आई है?

डॉ राहुल भार्गवः रेगीन्यूरॉन करके दवा है. रॉश की, यह असल में एंटीबॉडी कॉकटेल है जो उच्च जोखिम वाले समूहों में, मिसाल के तौर पर साठ साल से अधिक उम्र के लोग हैं, जिनको किडनी के रोग हैं, डायबिटीज, फेफड़ों की बीमारी है, दमा, हाइपरटेंशन है, एचआइवी है, थैलेसीमिया है, उन लोगों में अगर कोरोना पॉजिटिव आता है, तो तीन दिन के अंदर यानी 72 घंटे के भीतर हम इस एंटीबॉडी कॉकटेल का इस्तेमाल करके 70 फीसद सीवियरिटी कम कर सकते हैं. और लक्षणों की अवधि को चार दिनों तक कम कर सकते हैं.