एक की छत के नीचे भगवान गणेश को पूजते हैं हिंदू, तो मुस्लिम मजार पर पढ़ते हैं फातिहा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-07-2022
जौनपुर में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल
जौनपुर में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल

 

ख़ादिम अब्बास रिज़वी /जौनपुर

उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला पूरे प्रदेश में अपनी गंगा—जमुनी तहजीब के लिए मशहूर है. यहां कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब लोगों ने इस गंगा जमुनी तहजीब की ऐसी सुनहरी इबारत लिखी कि जो सदियों तक चमकती रहेगी. उसी में से एक है शहर के कोतवाली क्षेत्र स्थित प्रधान डाकघर के बगले में एक छत में मौजूद मंदिर और मजार.

जौनपुर में तीज त्योहार अभी भी एक साथ मनाने का कल्चर है. हिंदू—मुस्लिम एक दूसरे के घर ईद हो या होली—दीपावली में बहुत ही गर्मजोशी के साथ आते—जाते हैं. ये हो भी क्यों न, जौनपुर शायद अपने आप में पहला जिला होगा जहां पर एक छत के नीचे भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और चौरा माता को महिलाएं पूजती हैं तो वहीं मुस्लिम परिसर में मौजूद मजार पर फातिहा भी पढ़ते हैं. वहीं हिंदू भी मजार पर उसी अकीदत के साथ फूल माला और अगरबत्ती चढ़ाते हैं जिस आस्था के साथ वह मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं.

मंदिर की देखरेख करने वाले अधिवक्ता सूरज सिंथालिया का कहना है कि यह मंदिर करीब डेढ़ सौ साल पुराना है. पहले यहां पर एक नीम का पेड़ हुआ करता था. जहां महिलाएं चौरा माता की पूजा करती थीं. वर्ष 1999 में अप्रैल माह में एक जबरदस्त आंधी में पेड़ गिर गया था. इसके बाद वहां पर दूसरा पेड़ लगाया गया.

वहीं मंदिर में कई वर्षों पहले गणेश प्रतिमा की भी स्थापना की गई. इस वजह से यहां चौरा माता और गणेश भगवान की पूजा अर्चना होती है. सूरज कहते हैं कि उनके दादा कमला प्रसाद के समय से मंदिर और मजार वहां पर स्थित है. 

उनका कहना है कि वह जब भी कचहरी जाते हैं तो पहले मंदिर और मजार के आगे हाथ जरूर जोड़ते हैं. इसके बाद ही अपने काम की शुरुआत करते हैं. इसके अलावा घर के अन्य सदस्य भी इसी तरीके से अपने कार्य की शुरुआत करते हैं. इस मंदिर में वैसे तो रोज पंडित चंद्रकांत भगवान गणेश की आरती करते हैं लेकिन साल में गणेश चतुर्थी पर और नवरात्रि पर भंडारे का आयोजन किया जाता है. तब मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं.

बात की जाए मंदिर परिसर के अंदर मौजूद मजार की तो सूरज सिंथालिया के मुताबिक यह भी उसी वक्त से मौजूद है जबसे मंदिर है. यही वजह है कि हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग यहां आते हैं और पूजा पाठ करते हैं. अफसर भाई नाम के दुकानदार की मंदिर के पास ही दुकान है. वह हर दिन मजार पर अगरबत्ती और फूल माला जरूर चढ़ाते हैं.

इसके अलावा शब—ए—बरात में मुसलमान वहां आते हैं. अधिवक्ता सूरज का कहना है कि यहां मुसलमानों भले ही कम तादाद में आते हैं लेकिन आस्था उनकी भी है. उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता उनसे और परिवार के अन्य सदस्य कहा करते थे की मंदिर और मजार की देखभाल करते रहना. इसकी साफ सफाई पर हमेशा ध्यान देना.