सलामत रहे दोस्ताना तुम्हाराः एक ही घर में होती है दुर्गा पूजा और ईद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 31-07-2021
डा. रुपा घोष और डा. महजबीं परवीन
डा. रुपा घोष और डा. महजबीं परवीन

 

राकेश चौरासिया / मुरादाबाद

अंग्रेजों ने कट्टरपंथी विचारधाारा का जो बीज बोया, उसके नतीजे में आज तक लोगों के बीच जब-तब वैचारिक मतभेद की बातें सामने आती हैं, लेकिन गंगा-जमुनी तहजीब वाले भारत देश में कट्टरपंथियों को सबक देने वाली शक्तियां भी बखूबी डटी हुई हैं. ताजा खबर दो महिलाओं के जीवन की है, जिनके घर में नमाज भी होती है, तो दुर्गा पूजा भी होती है.

मजहबी विवादों से दूर विविधता में एकता की यह परिघटना पिछले तीन दशकों से घट रही है.

मुरादाबाद के रामगंगा विहार में डा. रुपा घोष और डा. महजबीं परवीन रहती हैं.

दोनों जिगरी दोस्त हैं और इनकी दोस्ती ऐसी है, जिसका लेख खुद विधाता ने लिखा हुआ प्रतीत होता है.

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक डा. महजबीं परवीन की मौसी शबनम एनसीसी में कार्यरत थीं और तब डा. रूपा घोष भी एनसीसी में सक्रिय थीं.

यहां पर रूपा की मुलाकात महजबीं से हुई और समय के धारे में उनकी दोस्ती दिन पर दिन मजबूत हो गई.

इन सहेलियों में दोस्ताना ऐसा कि दोनों की शिक्षा गोरखपुर में एक साथ हुई. फिर दोनों ने नेचुरोपैथ की शिक्षा भी वहीं ली और वहीं साथ-साथ नौकरी भी करने लगीं.

दुनिया के झमेलों और कटाक्षों से अप्रभावित ये दोनों महिलाएं दिन साथ-साथ बिताती हैं. साथ ही नेचुरोपैथी की प्रैक्टिस भी करती हैं.

दो मुख्तलिफ मजहबों से ताल्लुक रखने के बावजूद उनकी हमख्याली ऐसी कि जिस घर में महजबीं नमाज अदा करती हैं, तो वहां रूपा दुगा पूजा भी करती हैं.

दोनों मिलकर जीवन ही व्यतीत ही नहीं कर रहीं, बल्कि हिंदुओं और मुस्लिमों के त्यौहार भी साथ-साथ हर्षपूर्वक मनाती हैं.

कुछ लोग इनकी दोस्ती की तारीफ करते हुए नहीं थकते, तो कुछ उन्हें भटकाने वाली सलाहें थक-हार चुके हैं.

वे विभिन्न कार्यक्रमों में एकसाथ भाग लेती हैं और महिलाओं के बीच आईकॉन बनी हुई हैं.