साइकिलिंग डेः भारतीय बाजार में ट्रेंडी लुक्स के साइकिल ब्रांडों का दबदबा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 03-06-2022
भारतीय बाजार में ट्रेंडी लुक्स के साइकिल ब्रांडों का दबदबा
भारतीय बाजार में ट्रेंडी लुक्स के साइकिल ब्रांडों का दबदबा

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

साइकिलिंग शुरुआती दौर में यात्रा का एक साधन थी. बाद में इसके लाभों को देखते हुए इसे व्यायाम में भी शामिल कर लिया गया. साइकिल चलाने से शारीरिक और मानसिक क्षमता में गुणात्मक वृद्धि देखी गई है. कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अपने शोधों में इसे पूर्ण व्यायाम की संज्ञा दी है. साइकिलिंग जैविक ईंधन के प्रति जागरूकता भी फैलाती है. बहुत से लोगों ने इसे शौक के तौर पर अपनाया हुआ है. फिटनैस या वजन घटाने की बात हो, तो साइकिलिंग सबसे सरल उपाय और साधन माना जाता है. आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण दिनचर्या वाले जीवन में व्यायाम के लिए समय निकालना थोड़ा मुश्किल होता है, तो भी लोग साइकिलिंग करके न केवल यात्रा की दूरी तय कर सकते हैं, बल्कि साथ में स्वास्थ्य लाभ भी ले सकते हैं. 

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भारत के महानगरों में साइकिल ने पर्यावरण जागरूकता के साथ नया अनुभव दिया है. दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के यंगस्टर अक्सर साइकिलिंग करते हुए अपने कॉलेजों या दफ्तरों की ओर जाते दिख जाते हैं.

जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में साइकिलें पहले की तरह यात्रा का साधन बनी हुई हैं. न केवल वयस्क पेशेवर बल्कि बच्चे भी साइकिल को एक गतिविधि के रूप में ले रहे हैं. कुछ कंपनियां वर्कप्लेस को साइकिल फ्रेंडली बनाने पर विचार कर रही हैं. तो ट्रेंड को देखते हुए कुछ कंपनियों में बड़े पर अपने ब्रांड के साइकिल स्टैंड बनाए हुए हैं, जहां साइकिलें किराए पर मिलती हैं. जहां आप बार कोड स्कैन करके डिजिटल ट्रांजेक्शन करके भुगतान कर सकते हैं और साइकिल ले सकते हैं. चूंकि अधिक लोग साइकिल को एक गतिविधि के रूप में ले रहे हैं. इसलिए कई लोगों ने सरकार से भारत में इसे एक सुरक्षित खेल बनाने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है.

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भारतीय साइकिल उद्योग दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है, इसके बाद चीन का स्थान है. देश में साइकिल उद्योग हर साल 5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था. कोरोनावायरस महामारी के बाद अब इसके 15-20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है. गौरतलब है कि देश में हर साल 22 मिलियन यूनिट्स बनती हैं और सालाना टर्नओवर 7,000 करोड़ रुपये है. उद्योग के आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में 22 मिलियन और 2019-20 में 18 मिलियन साइकिल बेची गईं.

भारत में साइकिल के पहले के डिजाइन बहुत सरल थे और आम आदमी को ध्यान में रखकर बनाए गए थे. अब मांग के अनुरूप इनके डिजायन बहुत ही आधुनिक और स्टाइलिश लुक के साथ आ रहे हैं. अब साइकिलों में एल्यूमीनियम और यात्री विमानों में उपयोग होने वाले कार्बन फाइबर फ्रेम पर नए प्रयोग हो रहे हैं, जो ज्यादा हल्के और चिकने होते हैं और उनका लुक भी अच्छा होता है. अत्याधुनिक बॉटम ब्रैकेट तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जो साइकिल सवार की पेडलिंग में बहुत मदद करती है. डिस्क ब्रेक और सिंगल व मल्टी गेयर्स भी साइकिलिंग के अनुभव को और रोमाचंक बना रहे हैं. हाइब्रिड साइकिल के दौर में माउंटेन बाइक, रोड बाइक, ट्रेकिंग बाइक, ई-बाइक और शहरी मॉडल की विभिन्न श्रृंखलाएं भारतीय बाजारों में मौजूद है.

भारत का सबसे पहला साइकिल ब्रांड एटलस है, जो 1950 में स्थापित किया गया था. अब लगभग दो दर्जन ब्रांड भारतीय बाजारों में उपलब्ध हैं. इनमें प्रमुख तौर पर एटलस, एवन, बियांची, बीएसए, बीटीविन, कैनोन्डेल, दाहोन, फायरफॉक्स, घोस्ट, जायंट, हरक्यूलिस, हीरो, क्रॉस, लेडीबर्ड, लैपियरे, मच सिटी, मेरिडा, मंगूस, मोंट्रा,  रैले, रिडले और रोडियो आदि शामिल हैं.

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एटलस और एवन देश की वो कंपनियां हैं, जो बहुत सस्ती कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद की पेश करने में विश्वास करते हैं. अल्तास मोशन और एटलस अल्टीमेट सिटी वर्तमान में उनके कुछ सबसे अधिक बिकने वाले मॉडल हैं.

अल्तास बच्चों के लिए साइकिल भी बेचती है. बीएसए साइकिल वह ब्रांड है, जिसने भारत में एमटीबी, लेडीज साइकिल, किड्स साइकिल, गियर्ड साइकिल आदि लॉन्च किए हैं. अगर इनकी कीमत की बात करें, तो प्राइस रेंज 2 हजार से शुरू होकर 10 लाख रुपए और उससे भी ज्यादा कीमत पर उपलब्ध है. हर ब्रांड की अपनी खूबियां और प्राइस हैं. महंगे सेगमेंट में ट्रेक और जायंट का दबदबा है, जो 25000 रुपये से लेकर 10.85 लाख रुपये तक की साइकिलों की नवीनतम रेंज प्रस्तुत करता है.