असम ने प्रमुख मुस्लिम हस्तियों के नाम पर शुरू किए प्रतिष्ठित पुरस्कार

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-06-2022
असम ने प्रमुख मुस्लिम हस्तियों के नाम पर शुरू किए प्रतिष्ठित पुरस्कार
असम ने प्रमुख मुस्लिम हस्तियों के नाम पर शुरू किए प्रतिष्ठित पुरस्कार

 

आवाज-द वॉयस / गुवाहाटी

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक मुस्लिम हस्तियों की याद में तीन प्रतिष्ठित पुरस्कारों को पुनर्जीवित किया है. ये पुरस्कार अजान पीर पुरस्कार, सैयद अब्दुल मलिक साहित्य पुरस्कार और अहमद अली बसकंदी पुरस्कार हैं.

यह फैसला राज्य सरकार द्वारा स्वदेशी असमिया मुसलमानों के समग्र भविष्य के विकास के लिए उपायों और सिफारिशों का सुझाव देने के लिए गठित उप-समिति के बाद आया है. इस आशय की रिपोर्ट  हाल ही में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को सौंपी गई थी.

प्रख्यात पत्रकार, लेखक और राजनीतिक टिप्पणीकार वासबीर हुसैन की अध्यक्षता में सांस्कृतिक पहचान पर उप-समिति ने असमिया मुसलमानों की अनूठी संस्कृति और विरासत की रक्षा के लिए कई सिफारिशें की हैं. सांस्कृतिक पहचान पर उप-समिति की सिफारिशों में से एक अजान पीर पुरस्कार और सैयद अब्दुल मलिक साहित्य पुरस्कारों का पुनरुद्धार है.

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असम के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री बिमल बोरा ने बताया कि अजान पीर पुरस्कार प्रख्यात लोकगीतकार और शिक्षक डॉ अमलेंदु भट्टाचार्जी को प्रदान किया जाएगा.

अजान पीर पुरस्कार राज्य सरकार द्वारा 2004 में सांप्रदायिक सद्भाव, शांति और लोक कल्याण को बढ़ावा देने के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए पेश किया गया था. 17वीं सदी के सूफी संत और कवि हजरत शाह मीरान को अजान फकीर के नाम से जाना जाता है. अजान फकीर इराक के बगदाद से असम आए और उन्होंने जिकिर की रचना की और उसे लोकप्रिय बनाया. जिकिर के गीतों ने शुरू में कुरान और हदीस के आध्यात्मिक पहलुओं पर प्रकाश डाला. अजान फकीर ने बाद में श्रीमंत शंकरदेव द्वारा प्रचारित ‘सभी को गले लगाने’ के दर्शन को शामिल करके उसी की रचना करना शुरू कर दिया. बाद में असम सरकार ने 2015 से अजान पीर अवार्ड देना बंद कर दिया था.

अब साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टर चबीलाल उपाध्याय को सैयद अब्दुल मलिक साहित्य पुरस्कार से नवाजा जाएगा. उपाध्याय को असमिया साहित्य के गोरखा भाषा में अनुवाद के लिए भी जाना जाता है. लेखक सैयद अब्दुल मलिक के साहित्यिक और रचनात्मक कार्यों में 60 उपन्यास, 11 नाटक, पांच कविता संग्रह, 5 बच्चों की किताबें, 3 यात्रा वृतांत और 1000 लघु कथाएँ शामिल हैं. मलिक की लघु कहानी वीभत्स वेदना को आम आदमी के विभाजन के आघात पर किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई अब तक की सबसे अच्छी लघु कहानी माना जाता है. सैयद अब्दुल मलिक साहित्य पुरस्कार भी बीच में ही बंद कर दिया गया.

अहमद अली बसकंदी पुरस्कार असम के डिब्रूगढ़ जिले के सैयद सदुल्लाह को हर समुदाय के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा. मौलाना अहमद अली बसकंदी एक इस्लामी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता थे. वे सूफी दर्शन के अनुयायी थे. मुस्लिम समुदाय के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान दारुल उलूम बंस्कंडी है जिसे उत्तर-पूर्वी भारत का शांतिनिकेतन (शांति का निवास) कहा जाता है.

असमी सैयद वेलफेयर ट्रस्ट सहित मुस्लिम समुदाय ने हिमंत बिस्वा सरमा सरकार के अजान पीर अवार्ड, सैयद अब्दुल मलिक अवार्ड और अहमद अली बसकंदी अवार्ड को पुनर्जीवित करने के कदम का स्वागत किया है.

पुरस्कार सोमवार शाम डिब्रूगढ़ में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान प्रदान किए जाएंगे. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पुरस्कार प्रदान करेंगे.