Martyrs' Day: Major political leaders of Jammu and Kashmir claim they are under house arrest
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और विपक्षी दलों के प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने रविवार को दावा किया कि 1931 में आज ही के दिन डोगरा सेना द्वारा मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने से उन्हें रोकने के लिए नजरबंद कर दिया गया.
नेताओं द्वारा नजरबंद किए जाने के दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए इस घटना की तुलना जलियांवाला बाग हत्याकांड से की.
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर कहा, “13 जुलाई का नरसंहार हमारे लिए जलियांवाला बाग है। अंग्रेजों के खिलाफ भी लोगों ने अपनी जान कुर्बान की थी। कश्मीर भी ब्रिटिश हुकुमत का हिस्सा था। यह कितनी शर्म की बात है कि ब्रिटिश शासन के सभी रूपों के खिलाफ लड़ने वाले सच्चे नायकों को आज केवल इसलिए खलनायक के रूप में पेश किया जा रहा है क्योंकि वे मुसलमान थे.
औपनिवेशिक प्रशासन को दमनकारी शक्तियां प्रदान करने वाले ‘रौलट एक्ट’ के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों लोगों को 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बिना किसी उकसावे के ब्रिटिश सेना ने गोलियों से भून दिया था.
उमर ने कहा, “आज हमें उनकी कब्रों पर जाने का अवसर भले ही न मिले, लेकिन हम उनके बलिदान को नहीं भूलेंगे.
उन्होंने पूर्व में एक पोस्ट में नेताओं को नजरबंद किये जाने की आलोचना करते हुए इसे ‘सरासर अलोकतांत्रिक कदम’ करार दिया था.
उमर ने कहा, “बेहद अलोकतांत्रिक कदम के तहत घरों को बाहर से बंद कर दिया गया। पुलिस और केंद्रीय बलों को जेलर के रूप में तैनात किया गया है और श्रीनगर के प्रमुख पुलों पर नाकाबंदी कर दी गयी है। यह सब लोगों को ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कब्रिस्तान जाने से रोकने के लिए किया गया है, जहां उन लोगों की कब्रें हैं जिन्होंने कश्मीरियों को आवाज देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.”
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं कभी नहीं समझ पाऊंगा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने वाली सरकार किस बात से इतना डरती है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दिल्ली और कश्मीरियों के बीच अविश्वास तभी खत्म होगा जब भारत कश्मीरी ‘शहीदों’ को अपना मानेगा.
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जिस दिन आप (केंद्र सरकार) हमारे नायकों को अपना मानेंगे, जैसे कश्मीरियों ने महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक आपके नायकों को अपनाया है, उस दिन जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार कहा था, ‘दिलों की दूरी’ सचमुच खत्म हो जाएगी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने आवास के बंद दरवाजे की तस्वीरें पोस्ट कीं। उन्होंने कहा, “जब आप शहीदों के कब्रिस्तान की घेराबंदी करते हैं, लोगों को मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए उनके घरों में बंद कर देते हैं, तो यह बहुत कुछ कहता है। 13 जुलाई के दिन हम उन शहीदों को याद करते हैं जो देश भर के अनगिनत लोगों की तरह अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े हुए। वे हमेशा हमारे नायक रहेंगे.
महबूबा ने दावा किया कि अपने घरों से चुपके से निकलने में कामयाब रहे पार्टी के कई नेताओं को विभिन्न थानों में हिरासत में ले लिया गया।
उन्होंने दावा किया, “खुर्शीद आलम, जोहेब मीर, हामिद कोहशीन, आरिफ लियागरू, सारा नईमा, तबस्सुम, बशारत नसीम सहित पार्टी के कई नेता जो अपने घरों से चुपके से निकलने में कामयाब रहे, उन्हें पुलिस थानों में हिरासत में लिया गया है। वे मजार-ए-शुहादा जा रहे थे। ऐसा लगता है कि हम उस दमनकारी दौर में वापस जा रहे हैं जिसके खिलाफ हमारे 13 जुलाई के शहीदों ने लड़ाई लड़ी थी.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने भी दावा किया कि उन्हें अपने घर से बाहर निकलने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा, “घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। नजरबंद हैं। मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार कश्मीर के लोगों के लिए पाक चीजों को फिर से परिभाषित करने को लेकर इतनी उत्सुक क्यों है। 13 जुलाई को दिए गए बलिदान हम सभी के लिए पाक हैं.