क्वींसलैंड
आम के मौसम में किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता तब पैदा होती है, जब पेड़ों से बड़ी संख्या में कच्चे फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। यह समस्या न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है, बल्कि भोजन और प्राकृतिक संसाधनों की भी भारी बर्बादी करती है। ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई हिस्सों में आम उत्पादक हर साल इस चुनौती से जूझते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, आम के पेड़ों पर लगे हजारों फलों में से केवल लगभग 0.1 प्रतिशत फल ही पूरी तरह परिपक्व हो पाते हैं। समय से पहले फल गिरना आम की कम पैदावार का एक प्रमुख कारण है। जलवायु परिवर्तन के चलते यह समस्या और गंभीर होती जा रही है, जिसका असर किसानों की आय और वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर पड़ रहा है।
ऑस्ट्रेलिया में आम एक उच्च मूल्य वाली फसल है। यहां हर साल करीब 63,000 टन आम का उत्पादन होता है, जिससे लगभग 22 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की आर्थिक गतिविधि जुड़ी है। लेकिन आम का पेड़ पर्यावरणीय बदलावों के प्रति बेहद संवेदनशील होता है। सूखा, अत्यधिक गर्मी, लू और पत्तियों का झड़ना जैसी स्थितियां पेड़ को तनाव में डाल देती हैं, जिससे फल गिरने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि जब पेड़ तनाव में होता है, तो उसके भीतर हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है और कार्बोहाइड्रेट यानी शर्करा की कमी हो जाती है। फल के विकास के लिए जरूरी ऊर्जा जब पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती, तो पेड़ अपने अस्तित्व को प्राथमिकता देता है और फल को गिरा देता है।
शोधकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को एक तरह का आणविक “क्विट सिग्नल” बताया है। यह संकेत जीन गतिविधियों और हार्मोनल संदेशों के जटिल तंत्र से जुड़ा होता है, जो फल के डंठल के ऊतकों में सक्रिय होता है। यहीं से यह तय होता है कि फल को बनाए रखना है या गिरा देना है।
समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक पौध वृद्धि नियामकों यानी प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स के उपयोग पर काम कर रहे हैं। ये हार्मोन के कृत्रिम रूप होते हैं, जो तनाव की स्थिति में पेड़ के भीतर संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। परीक्षणों में पाया गया कि फूल आने के शुरुआती चरण में इनका प्रयोग करने से पैदावार में लगभग 17 प्रतिशत तक वृद्धि हुई।
शोधकर्ता बताते हैं कि यह अध्ययन अभी जारी है और इसका उद्देश्य आम की नई किस्में विकसित करना नहीं, बल्कि फल झड़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया को समझकर किसानों को बेहतर प्रबंधन उपाय उपलब्ध कराना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस शोध का लाभ केवल आम तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सेब, संतरा और एवोकाडो जैसी अन्य फसलों में भी फल झड़ने की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है।