मुंबई
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के आह्वान पर महाराष्ट्र में वक्फ़ संपत्तियों के संरक्षण को लेकर शुरू किए गए राज्यव्यापी अभियान को मुंबई में नई रफ्तार मिल रही है। इसी क्रम में दक्षिण मुंबई के मडनपुरा स्थित साल्वेशन आर्मी हॉल में 28 मई को पहली कॉर्नर मीटिंग आयोजित हुई, जिसमें विभिन्न फिरकों के उलमा, मौजूदा व पूर्व सांसद, विधायक, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि वक्फ़ संपत्तियों की रक्षा हर हाल में की जाएगी और उनके दुरुपयोग के खिलाफ संघर्ष तेज़ किया जाएगा।
धारा 144 और बारिश के बावजूद आंदोलन को मिली नई दिशा
मुंबई में वर्तमान में धारा 144 लागू है और बारिश की वजह से बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी है। ऐसे हालात में AIMPLB ने निर्णय लिया है कि जब तक प्रशासन से इजाजत नहीं मिलती, तब तक मुंबई के विभिन्न इलाकों में कॉर्नर मीटिंग्स और जनजागरूकता अभियान के ज़रिए आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। ईदुल अजहा से पहले तक शहर में लगभग 15 कॉर्नर मीटिंग्स आयोजित किए जाने की योजना है।
साल्वेशन आर्मी हॉल में हुई पहली बैठक में साझा प्रतिबद्धता
28 मई की इस ऐतिहासिक बैठक में AIMPLB के सदस्य, विभिन्न इस्लामी संगठनों के प्रतिनिधि, सियासी दलों के नेता और समाजसेवी एक मंच पर नज़र आए। कार्यक्रम में पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत, कांग्रेस विधायक अमीन पटेल, विधायक मनोज जमसोत्कर, पूर्व विधायक यूसुफ अब्राहनी, वरिष्ठ समाजसेवी नसीम सिद्दीकी, अरशद सिद्दीकी, सईद खान और इकबाल अफसर जैसे प्रमुख चेहरों ने वक्फ़ की सुरक्षा को लेकर एकजुटता दिखाई।
दलित नेतृत्व का समर्थन: न्याय की साझा लड़ाई का ऐलान
इस आंदोलन को सामाजिक समरसता का स्वरूप उस समय मिला जब दलित नेता और सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी श्री सोंटके ने AIMPLB को अपना समर्थन देते हुए कहा कि धार्मिक और सामाजिक अधिकारों के हनन के खिलाफ यह लड़ाई केवल मुसलमानों की नहीं, बल्कि हर दबे-कुचले तबके की साझा लड़ाई है। उन्होंने बोर्ड को एक ज्ञापन भी सौंपा और सहयोग का आश्वासन दिया।
धर्मगुरुओं की सक्रिय और सर्वधर्मीय भागीदारी
बैठक की अध्यक्षता मौलाना महमूद अहमद खान दरियाबादी ने की। मंच पर AIMPLB के सदस्य मुफ्ती सईदुर्रहमान फावरकी, सलीम मोटरवाला और इकबाल चुन्नावाला भी मौजूद रहे। विभिन्न फिरकों के धर्मगुरुओं में जमीअत उलमा के मौलाना मोहम्मद आरिफ उमरी, शिया धर्मगुरु मौलाना आबिद रज़ा रज़वी, अहले हदीस के मौलाना असलम सय्यद, और जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मौलाना अब्दुल क़वी फलाही ने भी अपनी राय रखी और आंदोलन को नैतिक व वैचारिक समर्थन दिया।
जमीनी कार्यकर्ताओं की मेहनत और आयोजन की सफलता
इस सफल आयोजन के पीछे जुनैद पटेल, मुबीन कुरैशी और उनकी समर्पित टीम की सक्रिय भूमिका रही। कार्यक्रम के अंत में सभी वक्ताओं ने एकजुट होकर यह घोषणा की कि वक्फ़ की संपत्तियों की हिफाज़त के लिए कानूनी, सामाजिक और जनआंदोलन के सभी विकल्पों को अपनाया जाएगा और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक न्याय नहीं मिलता।
आंदोलन की अगली कड़ी
आयोजकों के अनुसार, आगामी दिनों में अन्य उपनगरों — भायखला, कुर्ला, मुम्ब्रा, और जोगेश्वरी जैसे क्षेत्रों में भी इसी तरह की कॉर्नर मीटिंग्स आयोजित की जाएंगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस संघर्ष से जोड़ा जा सके और वक्फ़ संरक्षण को जनांदोलन का रूप दिया जा सके।