मेघा परमार की याचिका पर निर्णय तक विक्रम पुरस्कार समारोह पर रोक

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-12-2025
Vikram Awards ceremony put on hold until decision on Megha Parmar's petition
Vikram Awards ceremony put on hold until decision on Megha Parmar's petition

 

जबलपुर।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पर्वतारोही भावना डेहरिया को वर्ष 2023 के साहसिक खेलों के लिए दिए जाने वाले विक्रम पुरस्कार पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने यह रोक तब तक जारी रखने का आदेश दिया है जब तक कि एक अन्य पर्वतारोही मेघा परमार की याचिका पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता।

न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया। अदालत ने याचिकाकर्ता परमार को याचिका में संशोधन की अनुमति दी और मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी के लिए तय की।

सीहोर निवासी मेघा परमार की याचिका के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 के लिए साहसिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर विक्रम पुरस्कार की घोषणा की है, जिसके लिए छिंदवाड़ा की पर्वतारोही भावना डेहरिया का चयन हुआ है।
परमार का कहना है कि उन्हें डेहरिया के चयन पर आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने 22 मई 2019 को भावना डेहरिया से पहले माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था, इसलिए वह स्वयं भी पुरस्कार की दावेदार हैं।

याचिका में दावा किया गया है कि परमार सुबह 5 बजे शिखर पर पहुँची थीं, जबकि डेहरिया ने यह उपलब्धि सुबह 9:45 बजे हासिल की। दोनों पर्वतारोहियों के बीच करीब पाँच घंटे का अंतर बताया गया है।
मेघा परमार का तर्क है कि उपलब्धि पहले हासिल करने के आधार पर उन्हें भी पुरस्कार में शामिल किया जाना चाहिए।

पिछली सुनवाई में परमार ने 2022 के विक्रम पुरस्कार चयन का उदाहरण देते हुए कहा था कि नियमों में ढील दी गई थी और पर्वतारोही भगवान सिंह और रत्नेश पांडे, जिन्होंने 2016 में एवरेस्ट फतह किया था, उनके बीच केवल एक घंटे का अंतर होते हुए भी दोनों को सम्मानित किया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने मेघा परमार की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तर्क दिया कि याचिकाकर्ता पुरस्कार के लिए वैध दावेदार हैं और जब तक याचिका पर फैसला नहीं होता, तब तक पुरस्कार किसी और को नहीं दिया जाना चाहिए।

दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आदेश दिय,“अगली सुनवाई तक प्रतिवादी अधिकारी विक्रम पुरस्कार समारोह आयोजित न करें।”

गौरतलब है कि विक्रम पुरस्कार मध्यप्रदेश का सर्वोच्च खेल सम्मान है, जिसकी शुरुआत 1972 में हुई थी। हर वर्ष विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 12 वरिष्ठ खिलाड़ियों को यह पुरस्कार दिया जाता है। सम्मानित खिलाड़ियों को दो लाख रुपये, स्मृति चिह्न और उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित कर शासकीय सेवा में नियुक्ति का प्रावधान भी होता है।